ग्वालियर। 21 जून को भगवान सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। भगवान सूर्य के आद्रा नक्षत्र में प्रवेश से अच्छी बारिश के योग बनेंगे। ज्योतिषशास्त्र में 27 नक्षत्रों में आद्रा नक्षत्र को जीवनदायनी नक्षत्र माना जाता है। क्योंकि आद्रा नक्षत्र का सात्विक अर्थ गीला होता है। वहीं 22 जून से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही हैं। इस बार माता का आगमन हाथी पर होगा, जिससे अधिक बारिश होगी। जबकि माता की विदाई भैंसे पर होगी, जिससे रोग और शोक दोनों में वृद्धि होगी।
ज्योतिषाचार्य गौरव उपाध्याय के अनुसार इस बार 22 जून से नवरात्र प्रारंभ होंगे। एक साल में चार बार नवरात्र आते हैं। जो कि चैत्र, आश्विन, आषाढ़ और माघ मास में आते हैं। इसमें से माघ और आषाढ़ मास के नवरात्रि की गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस दौरान माता की गुप्त रूप में आराधना की जाती है। इस बार माता का आगमन हाथी पर होगा। जबकि विदाई भैंसे पर होगी। हाथी पर आने से इस बार अच्छी बारिश की संभावना है। जबकि भैंसे पर विदाई के कारण रोग और शोक में वृद्घि होगी।
वहीं ज्योतिषाचार्य सुनील चौपड़ा के अनुसार इस बार नवरात्रि में पंचमी और षष्ठी तिथि एक ही दिन होने से आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि 8 दिन की होगी। माता की घटस्थापना का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 7 बजकर 12 मिनट तक का रहेगा। घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। सनातनधर्म में धार्मिक कार्यों में घटस्थापना करने का विधान है। कलश को पृथ्वी माता का रूप माना जाता है। इसके बाद इस कलश में देवी देवताओं का आव्हान किया जाता है। नवरात्र में माता के 10 महाविद्याओं की पूजा होती है, जिसमें माता काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवरी, माता धूमावती, माता बंगलामुखी, मातंगी और कमलादेवी शामिल हैं। गुप्त नवरात्रि में प्रलय एवं संहार के देव महादेव एवं माता काली की पूजा का विधान है।
21 को करेंगे भगवान भास्कर आद्रा नक्षत्र में प्रवेश
ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी के अनुसार कृष्णपक्ष अमावास्या पर 21 जून को भगवान सूर्य रात्रि 11 बजकर 27 मिनट पर आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। भगवान सूर्य के आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करते ही अच्छी बारिश के योग बनेंगे। आद्रा नक्षत्र में से कृषि का भी श्रीगणेश किया जाता है। राहु को आद्रा नक्षत्र का अधिपति माना जाता है। आद्रा नक्षत्र के चारों चरण मिथुन राशि में होते हैं। इस कारण इस नक्षत्र पर मिथुन राशि के स्वामी बुध का भी प्रभाव रहता है। आद्रा नक्षत्र में भगवान सूर्य का भ्रमण 5 जुलाई तक रहेगा। इसके बाद दूसरा नक्षत्र पुनर्वसु में भगवान सूर्य का प्रवेश गुरु पूर्णिमा के दिन होगा। सूर्य के आद्राकालीन ग्रह स्थिति के अनुसार कुंभ लग्न बनेगा इससे पुनर्वसु नक्षत्र में भी बारिश का योग रहेगा।
भक्तों को भगवान शिव और भगवान विष्णु को इस समय आम और खीर का भोग लगाना चाहिए। इससे भक्तों पर भगवान शिव और विष्णु की कृपा बनी रहेगी। साथ ही दान, पुण्य और गाय को हरा चारा खिलाएं। आद्रा नक्षत्र 27 नक्षत्रों में छठा नक्षत्र है। इस बार 21 जून को जब भगवान सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे उस दौरा चतुर मेघ नाम का मेघ सक्रिय रहेगा। साथ ही उस समय वायु तत्व प्रधान रहेगा। इसके कारण इस बार पूरे सीजन में बारिश 62 दिन होगी।