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पांच साल में 20 फीसद बढ़े अस्थमा के मरीज, कोविड के बाद और तेजी से बढ़े मरीज

मकड़ाई समाचार ग्वालियर। कोरोना का पोस्ट कोविड इफेक्ट के रुप में अस्थमा की समस्या देखी जा रही है। जिन लोगों को कोरोना हुआ और संक्रमण फेफड़ें तक पहुंचा उनमें पोस्ट काविड इफेक्ट के रुप में अस्थमा की परेशानी देखी जा रही है। टीबी एंड चेस्ट के विशेषज्ञ डा उज्जवल शर्मा बताते हैें कि पोस्ट कोविड 7 फीसद मरीजों में अस्थमा की शिकायत देखने काे मिल रही है। यदि पिछले पांच साल के ओपीडी के आंकड़ों पर नजर डालें तो अस्थमा के 20 फीसद मरीज बढ़े हैं। जिन्हें सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस बीमारी से बचने के लिए खान पान बेहतर रखें और तेज धूप में निकलने से बचें तथा मास्क का प्रयाेग करने से प्रदूषण से बचाव होता है जो अस्थमा मरीजों को लाभ देता है इसलिए मास्क का प्रयोग करें।

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देखा जा रहा है कि लोगों के बदलते खान पान व दिनचर्या से कई चीजों से एलर्जी हो रही है। जाे आगे चलकर अस्थमा का रुप ले लेती है। जिसमें मरीज को बैचेनी, सांस लेने में परेशानी सहित अन्य कई तरह की परेशानी होती है। डा उज्जवल बताते हैं कि सांस की नली में सूजन आ जाती है जिससे सांस लेने में परेशानी, खांसी, छाती में जकड़न, फेफड़े में परेशानी,घुटन होना, सांस लेने में सीटी बजने की आवाज सी आती है। प्रदूषण, धूम्रपान, धूल वाले स्थान पर रहने वालों में इस तरह की समस्या अधिक देखी जाती है।

ऐसे लोगों काे चाहिए कि वह धूम्रपान से बचें, धूल वाले स्थान से दूर रहें, खान पान का ध्यान रखें, प्रदूषण वाले स्थान से बचें और मास्क का प्रयोग करें। यदि शुरूआती दौर में इस तरह के लक्षण आते हैं तो वह तत्काल डाक्टर से संपर्क करें जिससे उसका इलाज समय पर मिलने से अस्थमा की बीमारी को शुरूआती दौर में ही रोका जा सके। अन्था यह बीमारी जटिल रुप धारण कर लेती है और लंबे समय तक इलाज लेना पड़ता है।