ब्रेकिंग
हरदा: रिलाएबल सोसायटी ने आयोजित किया यूथ मीट :यूथ वॉइस के माध्यम से युवा स्वास्थ्य, नशाखोरी तथा भ्रष... घोर कलयुग हैवान दरिंदे भतीजे ने 80 साल की वृद्धा ( बड़ी मां) के साथ किया दुष्कर्म, पुलिस ने दस घंटे ... जोगा किले की दीवार पर खड़ा होकर युवक ले था सेल्फी, संतुलन बिगड़ने पर नर्मदा नदी में गिरा, एसडीईआरएफ ... हरदा में शतरंज प्रतियोगिता संपन्न , कलेक्टर जैन आये प्रथम ! हरदा : जिले में रिक्त 21 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और 122 सहायिका के पदों पर होगी भर्ती सागर कलेक्टर की भ्रमित पोस्ट को लेकर केदार सिरोही ने लिखा आपत्ति पत्र, दिग्विजय सिंह ने केदार सिरोही... मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने मारा छापा, 80 हजार किलो खाद पकड़ी, कालाबाजारी करने वाले व्यापारियों में नच... Today News: मप्र आज का मौसम : रविवार को ग्वालियर, चंबल, सागर-रीवा सम्भाग में भारी बारिश का अलर्ट राजा रघुवंशी हत्याकांड मे नया मोड़ शनिवार रात एक प्रॉपर्टी ब्रोकर को एसआईटी ने पकड़ा! प्रॉपर्टी ब्रोकर... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 22 जून 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे

Harda: रामानुजाचार्य स्वामी जी का प्राकट्योत्सव धूमधाम से मना

हरदा। शेषावतार आद्य गुरू श्री श्री 1008 रामानुजाचार्य स्वामी जी का 1007 वाँ प्राकट्योत्सव , रविवार 12 मई को महाराणा प्रताप कॉलोनी स्थित श्री रामानुज कोट, मंदिर में बडी धूमधाम से मनाया गया , जिसमें बडी संख्या में रामानुज संप्रदाय और अन्य भागवत् जनों ने श्री रामानुज स्वामी जी प्राकट्योत्सव में शामिल हुए ! प्रात:काल से ही श्री रामानुज स्वामी जी का अभिषेक , पूजन ,अर्चना , स्तुति और आरती के पश्चात गोष्ठी प्रसादी का सिलसिला दोपहर तक चलता रहा !!

रामानुजाचार्य के दर्शन में सत्ता या परमसत् के सम्बन्ध में तीन स्तर माने गये हैं – ब्रह्म अर्थात् ईश्वर, चित् अर्थात् आत्म तत्व और अचित् अर्थात् प्रकृति तत्व।

वस्तुतः ये चित् अर्थात् आत्म तत्त्व तथा अचित् अर्थात् प्रकृति तत्त्व ब्रह्म या ईश्वर से पृथक नहीं है बल्कि ये विशिष्ट रूप से ब्रह्म के ही दो स्वरूप हैं एवं ब्रह्म या ईश्वर पर ही आधारित हैं। वस्तुतः यही रामनुजाचार्य का विशिष्टाद्वैत का सिद्धान्त है।

- Install Android App -

जैसे शरीर एवं आत्मा पृथक नहीं हैं तथा आत्म के उद्देश्य की पूर्ति के लिये शरीर कार्य करता है उसी प्रकार ब्रह्म या ईश्वर से पृथक चित् एवं अचित् तत्त्व का कोई अस्तित्व नहीं हैं। वे ब्रह्म या ईश्वर का शरीर हैं तथा ब्रह्म या ईश्वर उनकी आत्मा सदृश्य हैं।

रामानुज के अनुसार भक्ति का अर्थ पूजा-पाठ या कीर्तन-भजन नहीं बल्कि ध्यान करना या ईश्वर की प्रार्थना करना है। इसी गहन भक्ति के तहत संत रामानुजाचार्य को मां सरस्वती के दर्शन भी प्राप्त हुए थे , सामाजिक परिप्रेक्ष्य से रामानुजाचार्य ने भक्ति को जाति एवं वर्ग से पृथक तथा सभी के लिये सम्भव माना है।

इसके अलावा रामानुजाचार्य को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत कर उसके लिए दार्शनिक आधार भी प्रदान किया कि जीव ब्रह्म में पूर्णता विलय नहीं होता है बल्कि भक्ति के द्वारा ब्रह्म को प्राप्त करके जीवन मृत्य के बंधन से छूटना यही मोक्ष है