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MP Board 10th-12th Exam 2025: बोर्ड ने जारी किया बड़ा अपडेट, बच्चों को होगी परेशानी, देखे पूरी खबर

MP Board 10th-12th Exam 2025: भोपाल। मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MPBSE) द्वारा जारी किए गए वार्षिक परीक्षा कार्यक्रम में 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं निर्धारित की गई हैं, जो आगामी त्योहारों से टकरा रही हैं। इस अपडेट ने छात्रों, अभिभावकों और स्कूलों को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि ये महत्वपूर्ण तिथियां होली और रंगपंचमी के करीब पड़ रही हैं, जो राज्य के कई हिस्सों में बड़े त्योहार माने जाते हैं।

10वीं और 12वीं की परीक्षा तिथियां

एमपी बोर्ड की 10वीं की परीक्षाएं 27 फरवरी से शुरू होकर 19 मार्च 2025 तक चलेंगी, जबकि 12वीं की परीक्षाएं 25 फरवरी से 25 मार्च 2025 तक चलेंगी। विशेष रूप से, 10वीं का सामाजिक विज्ञान का पेपर 13 मार्च को रखा गया है, जिस दिन होलिका दहन होता है। इसके अलावा, 19 मार्च को 10वीं का विज्ञान का पेपर और 12वीं के शारीरिक शिक्षा और नेशनल स्किल्स कवालिफिकेशन फ्रेमवर्क के पेपर भी हैं।

त्योहारों के साथ परीक्षा की टक्कर: छात्रों और अभिभावकों की मुश्किलें

होलिका दहन और रंगपंचमी मध्य प्रदेश के कई जिलों, विशेषकर मालवा और निमाड़ क्षेत्र में, बड़े उत्सव की तरह मनाए जाते हैं। इन इलाकों में रंगपंचमी के दिन परंपरागत खेलों और रंगों का उत्सव होता है। इंदौर की प्रसिद्ध गेर और भोपाल संभाग में रंगपंचमी का जश्न खास तौर से लोकप्रिय है। इस दिन कई सरकारी कार्यालय, स्कूल और अन्य प्रतिष्ठान बंद रहते हैं, और सार्वजनिक परिवहन की सुविधा भी सीमित होती है।

अभिभावकों का मानना है कि इस स्थिति में बच्चों का परीक्षा केंद्र तक समय पर पहुंचना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, और त्योहार के दिन परीक्षा देना उनके लिए असुविधाजनक भी हो सकता है। त्योहार के माहौल में छात्रों का पढ़ाई पर फोकस करना भी कठिन हो सकता है, जिससे उनकी तैयारी प्रभावित होने का डर है।

परीक्षा की तिथियों में बदलाव की मांग

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त्योहारों को ध्यान में रखते हुए, कुछ अभिभावकों और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने परीक्षा तिथियों में बदलाव की मांग की है। वे मानते हैं कि त्योहार के दिन परीक्षा होने से बच्चों पर अनावश्यक दबाव पड़ सकता है, जो उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर भी असर डाल सकता है। अभिभावकों का कहना है कि बोर्ड को इस मामले पर विचार करना चाहिए और संभव हो तो परीक्षा की तिथियों को थोड़ा आगे-पीछे कर देना चाहिए, ताकि छात्र बिना किसी तनाव के परीक्षाएं दे सकें।

तंग परीक्षा शेड्यूल से भी बढ़ी चुनौती

परीक्षा शेड्यूल में कुछ महत्वपूर्ण विषयों के बीच कम गैप दिया गया है, जिससे छात्रों को पूरी तरह से तैयारी करने में मुश्किल हो सकती है। उदाहरण के तौर पर, 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए 6 मार्च को संस्कृत का पेपर है, इसके बाद 10 मार्च को गणित का पेपर और फिर 13 मार्च को सामाजिक विज्ञान का पेपर है। इस तरह से लगातार परीक्षा होने से छात्रों को विषयों की अच्छी तैयारी का समय नहीं मिल पा रहा है।

विद्यार्थियों और शिक्षकों का क्या कहना है?

विद्यार्थियों का कहना है कि त्योहारों के साथ परीक्षाओं का टकराव न केवल उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि पढ़ाई के समय को भी सीमित कर देता है। वहीं, शिक्षकों का मानना है कि बोर्ड को त्योहारों की महत्ता समझनी चाहिए और छात्रों की समस्याओं पर संवेदनशीलता दिखाते हुए उपयुक्त बदलाव करने चाहिए।

 

मध्य प्रदेश बोर्ड के इस परीक्षा कार्यक्रम ने छात्रों और अभिभावकों में एक नई चिंता को जन्म दिया है। होली और रंगपंचमी जैसे प्रमुख त्योहारों के दिन परीक्षाएं आयोजित करना कई छात्रों के लिए असुविधाजनक है। अब देखना यह है कि बोर्ड छात्रों और अभिभावकों की इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए किसी प्रकार का बदलाव करता है या नहीं।