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श्री बालाजी गैस एजेंसी मामला – दस्तावेज में धोखाधड़ी कर पार्टनर से मालिक बनने के मामले में विवेचना में बढ़ी धारा 338, पहले दर्ज एफआईआर में लगी थी धारा 318(4) 

हरदा । श्री बालाजी गैस एजेंसी के एक पार्टनर मुशर्रफ खान द्वारा दस्तावेज में जालसाजी और कूट रचना कर एकतरफा मालिक बनने की शिकायत पुलिस अधीक्षक को एक अन्य पार्टनर कितिन अग्रवाल ने की थी।

इस मामले की जांच एसडीओपी को सौंपी गई थी। जांच प्रतिवेदन के आधार पर सिविल लाइन थाना में  एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसमे भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 (4) धारा लगाई गयी थी।

विवेचक प्रकाश सोलंकी को इस मामले की जांच सौंपी गई थी। दस्तावेज और अन्य साक्ष्य के आधार पर उनके द्वारा इसी प्रकरण में भारतीय न्याय संहिता की धारा 338 बढ़ाई  गयी।

सूत्रों से मिली जानकारी में  गैस कम्पनी से अभी तक न तो मूल शपथ पत्र बरामद किया गया है और न हीं पार्टनर मुशर्रफ खान को पुलिस ने पूछताछ के लिए थाना बुलाया है।

 

◆ क्या है धारा 338 – 

338. मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत, आदि की कूटरचना-

जो कोई, किसी ऐसी दस्तावेज की, जिसका कोई मूल्यवान प्रतिभूति या वसीयत या पुत्र के दत्तकग्रहण का प्राधिकार होना तात्पर्यिंत हो, या जिसका किसी मूल्यवान प्रतिभूति की रचना या अन्तरण का, या उस पर के मूलधन, ब्याज या लाभांश को प्राप्त करने का, या किसी धन, चल सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति को प्राप्त करने या परिदत्त करने का प्राधिकार होना तात्पर्यित हो, या किसी दस्तावेज को, जिसका धन दिये जाने की अभिस्वीकृति करने वाला निस्तारण-पत्र या रसीद होना, या किसी चल संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति के परिदान के लिए निस्तारण-पत्र या रसीद होना तात्पर्यित हो, कूटरचना करता है वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा और जुर्माने का भी दायी होगा।

 

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अपराध का वर्गीकरण –

दण्ड-आजीवन कारावास, या 10 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना-असंज्ञेय-अजमानतीय-प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय-अशमनीय।

जब मूल्यवान प्रतिभूति केन्द्रीय सरकार का वचनपत्र है-दण्ड-आजीवन कारावास, या 10 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना-संज्ञेय अजमानतीय-प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय-अशमनीय। नोट : यह धारा भा.दं.सं., 1860 की धारा 467 के समरूप है।

 

◆ क्या कहना है इनका – 

श्री बालाजी गैस सर्विस के एक पार्टनर ने दूसरे पर धोखाधड़ी की लिखित शिकायत की थी। जांच में बाद एक साझेदार के खिलाफ बीएनएस की धारा 318 (4) में केस दर्ज कर लिया गया है।  इस मामले में विवेचना के बाद विवेचक द्वारा  ipc की धारा 467 यानी भारतीय न्याय संहिता की धारा 338 बढ़ाई गई है। 

– संतोष चौहान, टीआई, सिविल लाइन थाना