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हरदा: भा.ज.पा. सरकार पार्षदों के अधिकार कुचल रही है, लोकतंत्र की हत्या कर रही है!   नगर पालिका अध्यक्ष नैतिकता के तौर पर इस्तीफा दे कमल पटेल सन्यास ले- विधायक आर के दोगने

मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार अब जनता से मिला जनादेश और पार्षदों के अधिकार छीनने पर उतर आई है। नगर पालिका परिषद, नगर परिषद और नगर निगमों में भाजपा के अध्यक्ष बैठे हैं, जहां विकास कार्य पूरी तरह ठप हैं। जनता में आक्रोश है, पार्षदों में असंतोष है। शहर की समस्याएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। न तो साफ-सफाई हो रही है, न पानी की व्यवस्था ठीक है, न ही कोई विकास कार्य हो रहे हैं। पार्षदों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है और उनकी नहीं सुनी जा रही है। यही कारण है कि पार्षदों में नाराजगी है, इसलिए भाजपा के अपने पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग करके कांग्रेस पार्षद को विजयी बनाया। यह घटना नगर पालिका अध्यक्ष एवं हरदा के शीर्ष नेतृत्व की नाकामी को उजागर करती है।

 

हरदा में जिला योजना समिति के चुनावों में जब भाजपा पार्षदों ने ही क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस पार्षद को विजयी बनाया, तब सरकार पूरी तरह बौखला गई। मीडिया में जब हेडलाइंस बनीं कि भाजपा पार्षदों ने खुद भाजपा के खिलाफ वोट डाला, तो सरकार ने आनन-फानन में जिला योजना समिति चुनावों पर रोक लगा दी और पूर्व आदेश को रद्द कर दिया। हरदा से लेकर पूरे मध्य प्रदेश में इस परिणाम ने हलचल मचा दी और सरकार की सांस फूलने लगी। उन्हें यह डर लगने लगा कि अगर मध्य प्रदेश के छोटे से जिले हरदा में इस प्रकार की स्थिति बन सकती है, तो अन्य स्थानों पर भी यही स्थिति बन सकती है। दरअसल, पूर्व में भी नगर पालिका अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने की स्थिति बनी थी, जिसे सरकार ने किसी तरह भाप लिया था और फिर नियमों में संशोधन कर लिया था।

 

यह सब इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि:

भाजपा सरकार को अब अपने ही चुने हुए पार्षदों पर भरोसा नहीं रहा।

सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का खुलेआम मजाक बना रही है। पार्षदों के अधिकारों का निरंतर हनन किया जा रहा है। जनता की आवाज को दबाने के लिए नियमों में बार-बार तोड़फोड़ की जा रही है।

लोकतंत्र की आत्मा को बार-बार रौंदा जा रहा है।

 

हम सरकार से पूछना चाहते हैं :

1. जब जनता विकास कार्य न होने पर आक्रोशित है, तो आप अध्यक्षों को बचाने के लिए नियम क्यों बदल रहे हैं?

 

2. जब पार्षद लोकतांत्रिक तरीके से अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं, तो उसे रोकना किस संविधान की किताब में लिखा है?

 

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3. जिला योजना समिति चुनाव में अपनी हार को देखकर नियम बदलना क्या जनता के साथ धोखा नहीं है?

 

4. जब भाजपा के अपने ही पार्षद क्रॉस वोटिंग कर रहे हैं, तो यह किसकी नाकामी है — स्थानीय नेतृत्व की या सरकार की?

5. क्या जनता की आवाज कुचलने का नाम ही अब भाजपा का शासन बन गया है?

 

 

जिला अध्यक्ष ओम पटेल बोले:

“प्रदेश की भाजपा सरकार ने जनता के अधिकारों को कुचला है और पार्षदों की अवहेलना की है। यह सरकार लोकतंत्र के खिलाफ खड़ी हो गई है। यह साफ है कि भाजपा अब अपने ही नेताओं पर विश्वास नहीं कर पा रही है। पार्षदों के अधिकारों का लगातार हनन और जनता की समस्याओं को नजरअंदाज करना इस सरकार की कायरता को दर्शाता है। भाजपा की नीतियां अब पूरी तरह से असफल हो चुकी हैं और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

 

विधायक आर. के. दोगने बोले:

“भा.ज.पा. सरकार की नाकामी अब प्रदेश के हर कोने में महसूस हो रही है। यह स्पष्ट हो चुका है कि भाजपा न केवल प्रदेश की जनता, बल्कि अपने ही चुने हुए प्रतिनिधियों से भी विश्वास खो चुकी है। “नगर पालिका अध्यक्ष को नैतिकता के आधार पर तुरंत इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया। इस नाकाम नेतृत्व के कारण ही जनता और पार्षदों में निराशा है। कमल पटेल को भी अब अपना सन्यास लेकर नर्मदा तट पर जाकर ‘नर्मदे हर’ का जाप करना चाहिए, क्योंकि वे जनता की सेवा में अब असफल हो चुके हैं।”अब जनता भाजपा की नाकामी का जवाब 2027 के चुनाव में वोट के माध्यम से देगी।

 

नेता प्रतिपक्ष श्री अमर रोचलानी का बयान:

“कांग्रेस हमेशा से लोकतंत्र की रक्षा करती आई है, और हम किसी भी हालत में भाजपा की तानाशाही को सहन नहीं करेंगे। भाजपा अब सिर्फ तानाशाही के रास्ते पर चल रही है और जनता की आवाज को कुचलने का प्रयास कर रही है। हम कांग्रेस के नेता के रूप में जनता के अधिकारों की रक्षा करेंगे और इस सरकार के हर गलत कदम का विरोध करेंगे। भाजपा की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, और 2027 के चुनाव में हम इसे पूरी तरह से हराएंगे।”