भागवत कथा में मनाया अन्नकूट उत्सव,भगवान को लगाया 56 भोग भगवान कृष्ण की लीलाएं जनमानस को देती है संदेश- आचार्य नारायण साकल्ले
हरदा – नार्मदीय ब्राह्मण धर्मशाला में सोमवार को भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक आचार्य नारायण साकल्ले ने गोवर्धन पर्वत पूजन महत्व,अन्नकूट उत्सव मनाने का कारण,श्री कृष्ण की लीलाओं पर प्रसंग सुनाए।उन्होंने कहा कि देवराज इंद्र ने बृजवासियों से नाराज होकर भारी वर्षा की, ऐसे हालात में भगवान कृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी की रक्षा की।।
भगवान ने इंद्र के अभिमान को चकनाचूर किया।इंद्र ने सात दिनों तक भारी वर्षा की फिर उसे अहसास हुआ कि यह चमत्कार कोई आम मनुष्य नहीं कर सकता।अन्नकूट उत्सव में श्रद्धालु भगवान को 56 भोग लगाते एवं गिरिराज जी का पूजन करते है।कथा के दौरान भगवान गिरिराज जी को 56 भोग लगाए गए।कथा वाचक ने कहा कि मनुष्य को कभी अभिमान नहीं करना चाहिए।हम ईश्वर की लीलाओं को पहचान नहीं पाते है,भगवान कृष्ण ने अपनी लीलाओं से जनमानस को संदेश दिया है।
कथा के दौरान कृष्ण की बाल लीलाओं में ग्वाल बालों के साथ माखन चोरी,गोवर्धन पर्वत लीला की सजीव झांकी का श्रद्धालुओं ने आनंद लिया। व्यासपीठ द्वारा गाये भजनो से वातावरण भक्तिमय हो गया।कथा के दौरान भादूगांव मठ के ओंकार दास महाराज भी उपस्थित रहे।आयोजक दीपक शुक्ला ने बताया कि प्रतिदिन दोपहर 1 से कथा शुरू होगी,कथा ,13 नवंबर तक चलेगी।उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से कथा में उपस्थित होने का आग्रह किया है।कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।