भोपाल, मध्यप्रदेश। राजधानी में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पराली जलाने पर सख्त कदम उठाए गए हैं। भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने आदेश जारी कर पराली जलाने पर दो महीने का प्रतिबंध लगाया है। यह प्रतिबंध भोपाल जिले की संपूर्ण राजस्व सीमा में लागू रहेगा। आदेश का पालन न करने वालों के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी।
प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर चिंता
भोपाल में पराली जलाने की घटनाओं की वजह से वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा था। कई इलाकों में बढ़ते प्रदूषण ने प्रशासन को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। कलेक्टर ने बताया कि खेतों में पराली या नरवाई जलाने से वायुमंडल में हानिकारक गैसें फैलती हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है। साथ ही, इससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
कृषकों को जागरूक करने की आवश्यकता
आदेश में कहा गया है कि फसल कटाई के बाद खेत को साफ करने के लिए किसान अक्सर डंठलों को जलाकर खेत तैयार करते हैं। इसे नरवाई जलाने की प्रथा कहा जाता है। यह प्रथा न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि खेत की उपजाऊ शक्ति को भी प्रभावित करती है। खेत की मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है।
नरवाई जलाने के नुकसान
विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने से खेतों में होने वाले प्राकृतिक लाभ खत्म हो जाते हैं।
1. मिट्टी की उपजाऊ शक्ति घटती है।
2. खेतों में प्राकृतिक पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।
3. वायु में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
4. क्षेत्र में आग लगने की घटनाएं भी बढ़ सकती हैं।
पराली जलाने की रोक क्यों जरूरी?
भोपाल कलेक्टर ने बताया कि पराली जलाने की वजह से न केवल पर्यावरण, बल्कि जन-धन की हानि भी होती है। हाल के दिनों में यह देखा गया है कि मध्यप्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं पंजाब से भी ज्यादा हो रही हैं। इसके चलते प्रदेश के कई शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है।
आदेश का सख्ती से पालन होगा
इस आदेश के तहत किसी भी किसान या व्यक्ति को पराली जलाने की अनुमति नहीं होगी। यदि किसी ने इसका उल्लंघन किया, तो उस पर FIR दर्ज की जाएगी। प्रशासन का मानना है कि सख्त कार्रवाई से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
किसानों के लिए विकल्पों की तलाश
प्रशासन किसानों को जागरूक करने और उन्हें पराली जलाने के विकल्प मुहैया कराने की दिशा में काम कर रहा है। जैविक खाद बनाने की तकनीक और पराली को मशीनों की मदद से हटाने के उपायों पर जोर दिया जा रहा है। इससे किसानों को अपनी जमीन की उर्वरता बनाए रखने में मदद मिलेगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
भोपाल का प्रदूषण स्तर खतरनाक
हाल ही में यह सामने आया कि मध्यप्रदेश के कई शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। भोपाल भी इन शहरों में शामिल है। पराली जलाने की वजह से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें बढ़ रही हैं, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक हैं।
प्रशासन की अपील
भोपाल प्रशासन ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे पर्यावरण को सुरक्षित रखने में सहयोग करें। किसानों से विशेष रूप से अनुरोध किया गया है कि वे पराली जलाने की बजाय वैकल्पिक उपाय अपनाएं। प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि किसानों को इस बदलाव के लिए हर संभव मदद दी जाएगी।
पराली जलाने पर दो महीने का प्रतिबंध भोपाल के पर्यावरण को सुधारने और वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल किसानों को जागरूक करने का प्रयास है, बल्कि पूरे समाज को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाने का एक प्रयास भी है। इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है और उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।