हरदा – ईश्वर की भक्ति अंतर्मन से हो तो प्रभु पुकार अवश्य सुनते है।विदर्भ देश के राजा भीष्मक की सुंदर पुत्री रुक्मणि ने मन ही मन श्री कृष्ण को अपना पति स्वीकार कर लिया था।रुक्मणि के भाई उसका विवाह शिशुपाल से करना चाहते थे,रुक्मणि ने श्री कृष्ण को संदेश भिजवाया।रुक्मणि का संदेश पाकर श्री कृष्ण ने रुक्मणि का हरण कर लिया।इसके बाद रुक्मणि के भाई रुक्म और श्रीकृष्ण में युद्ध हुआ।विजय के बाद श्रीकृष्ण ने रुक्मणि से विवाह किया।
यह प्रसंग नार्मदीय ब्राह्मण धर्मशाला में भागवत कथा के छठवें दिन कथावाचक आचार्य नारायण साकल्ले ने सुनाया।कथा के दौरान बारातियों के साथ श्री कृष्ण बारात लेकर आए,वहीं विवाह प्रसंग के दौरान व्यासपीठ से “धीरे चलो सुकुमार,सुकुमार महारानी” गीत गाया गया।रुक्मणि विवाह मंडप में आई,वहीं मंत्रोच्चार के साथ भगवान ने रुक्मणि को वरमाला पहनाई।भागवत कथा कृष्ण रुक्मणि विवाह की सजीव झांकी पर श्रद्धालुओं ने फूल बरसाए।मधुर गीतों पर श्रोताओं ने नृत्य कर एक दूसरे को विवाह की बधाई दी।इसके पहले तुलसी विवाह की कथा भी हुई।
कथावाचक ने श्रोताओं को एकादशी व्रत का महत्व बताया।कथा के दौरान हरदा विधायक डॉ आर के दोगने,नगरपालिका अध्यक्ष भारती राजू कमेडिया ने व्यासपीठ का सम्मान कर आशीर्वाद लिया।आयोजक अनिल शुक्ला ने बताया कि आज कथा का समापन होगा।कथा का समय सुबह 9 बजे से रहेगा।कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।कथा में समापन दिवस पर श्री कृष्ण सुदामा चरित्र कथा होगी।