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MP BIG NEWS: मुख्यमंत्री मोहन राज की सरकार में कानून व्यवस्था के हाल बेहाल, रक्षक खुद ही असुरक्षित, ऐसे हालत पहले कभी नहीं देखे ,आखिर सीएम साहब कब लोगे एक्शन! वीडियो जारी कर कानून के रखवाले ने बताई अपनी पीड़ा! 

अधिकारियों ने हमें ये कैसे शस्त्र दिए है कि तीर भी चलान हैं और परिंदा भी न मरे, ये भी ध्यान रखना है।

मप्र मे पुलिस पर हमला होना कोई नई बात नही है विगत वर्ष भी अवेध रेत खनन पकड़ने गए टीआई पर ट्रेक्टर चड़ा दिया था उनकी मौत हो गई थी।एक शादी मे जेवर लूटने वाले एक आदिवासी परिवार ने पुलिस को बंधक बनाकर पीटा था।अभी हाल मे रीवा और इंदौर मे देखने को मिला जिसमे पुलिस कर्मचारी और आधिकारी के साथ मारपीट हुई ये प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था बनाने वाली पुलिस की सुरक्षा पर सवालिया निशान है और इसके लिए प्रदेश के मुखिया सीएम मोहन यादव,पुलिस महानिदेशक को अवश्य ध्यान देना होगा। 

 

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 भोपाल। एक ही दिन में मध्य प्रदेश में पुलिस टीम पर हमले की चार घटनाएं हो गईं। मऊगंज जिले के गड़रा गांव में आदिवासी दबंगों ने घेर कर एएसआई की हत्या कर दी। कई पुलिसकर्मी घायल हुए। ग्वालियर में दो जगह पुलिस पार्टी को पीटा गया। इंदौर में भी हाई कोर्ट के सामने जाम लगा रहे वकीलों ने पुलिस कर्मियों को पीटा।

वर्ष 2024 मे भी पुलिस पर हुए थे हमले

इससे पहले भी हाल के कुछ महीनों में प्रदेश में पुलिस टीम पर हमले की कई घटनाएं अंजाम दी जा चुकी हैं। इससे प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।प्रदेश मे पुलिस पर हो रहे हमलो को लेकर विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास गृह मंत्रालय होने के बावजूद प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी है। पुलिस पर लगातार हो रहे हमलों के कारण पहली बार ऐसा है, जब अपराधी नहीं बल्कि पुलिस दहशत में है।

 

राजनीतिक रसूख के चलते कई प्रकरण मे पुलिस खुद स्वतंत्र जांच नही कर सकती उंची पहुंच के चलते हत्या जैसे मामले मे पुलिस पर बहुत दबाब होता है अगर कोई हाई प्रोफाइल मामला हो तो हर एक बयान , जांच गले की हड्डी बन जाता है मगर आज प्रदेश की जनता सुरक्षा देने वाली पुलिस खुद की रक्षा के लिए तनाव मे है। कुछ विसंगतिया भी पुलिस और अपराधी के बीच दोस्ताना रवैया हो जाए और

पुलिस का डंडा नहीं चलता, तो ये अपराधी बेखौफ हो जाते हैं। इसी तरह, कोई पुलिस अधिकारी लंबे समय तक एक ही जिले या सर्किल में कार्यरत रहता है तो हर तरह के संबंध बन जाते हैं। इससे अपराधियों का संपर्क थाने तक हो जाता है और अपराधियों के हौसले बुलंद हो जाते हैं। मध्य प्रदेश में लंबे समय से निरीक्षकों के जिले नहीं बदले गए हैं।

“” ये कुछ घटनाये पुलिस पर हुए हमले की

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शराब पीने से रोकने पर सिपाही और टीआई की पिटाई

ग्वालियर के कंपू में शनिवार को कुछ दुकानदारों ने शराब पीने से रोकने पर एक सिपाही कृष्ण कुमार को पीटा। थाना प्रभारी रुद्र पाठक पहुंचे तो उन्हें भी पीट दिया।

सिपाही से मारपीट वर्दी उतरवाने की धमकी

ग्वालियर के गोविंदपुरी पुलिस चौकी के पास सिपाही सतेंद्र कटियार ने चेकिंग के लिए हाथ देकर रोका तो कार चालक अरविंद सिंह गुर्जर ने उन्हें पीट दिया। कार चालक ने खुद को मंत्री का रिश्तेदार बताकर वर्दी तक उतरवाने की धमकी दी

सोशल मिडिया छतरपुर के उपनिरीक्षक ने वीडियो में बयां किया दर्द

छतरपुर जिले के सिविल लाइंस थाने में कार्यरत उपनिरीक्षक अवधेश कुमार दुबे ने फेसबुक पर लाइव आकर प्रदेश में पुलिस पर हो रहे हमलों को लेकर अपनी बात कही है। सोमवार को यह वीडियो पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मियों ने साझा भी किया।

सीएम साहब हमारी तरफ भी देखिए हमें जिंदा रहने दीजिए

उपनिरीक्षक बनने से पहले सेना में कार्यरत रहे अवधेश कुमार दुबे ने इंटरनेट मीडिया पर कहा कि करीब 18 साल भारतीय सेना में रहकर दुश्मनों के दांत खट्टे किए, पुलिस में नौकरी करते उन्हें आठ साल हो गए हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश पुलिस पर जो हमले हुए हैं, उससे काफी दुखी हो गए हैं, उनका मन बहुत व्यथित है। हमारे जो जवान पेट्रोलिंग करते हैं, उन्हें हम बाज या चीता नाम से जानते हैं, लेकिन आज महसूस हो रहा है कि हमारे पंजे नोच दिए गए हैं। उपनिरीक्षक दुबे ने कहा है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने हमें ये कैसे शस्त्र दिए है कि तीर भी चलाना हैं और परिंदा भी न मरे, ये भी ध्यान रखना है। मेरा मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव और डीजीपी से निवेदन है कि हमारी तरफ भी देखिए हमें जिंदा रहने दीजिए।