कागजों में गौशाला भूख की तलाश में दलदल में हरा चारा ढूंढते गाय माता: कहने को माता का दर्जा, फिर भी हो रही गायों की दुर्दशा
केके यदुवंशी
सिवनी मालवा। शहर में घूम रही आवारा गायों के लिए नगर में गौ-शाला बनाने के लिए लोगों को चुनाव के समय राजनेताओं नेआश्वासन दिया लेकिन गौशाला का अभी तक कोई अता-पता नहीं और जो गौशाला बनी हुई है प्रशासन की अनदेखी के चलते अवस्था है शहर में जनप्रतिनिधियों ने आश्वासन के चार साल बाद भी नगर में गायों के लिए गौ-शाला शहर के पास नहीं बनाई गई। वहीं हिंदू धर्म में माता का दर्जा होने वाली गायों की दुर्दशा हो रही है। खाने व पीने तक के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं। किसानों की फसलों को बर्बाद कर देती है जिससे किसानों को रात-रातभर जागकर फसलों की रखवाली करनी पड़ेगी।
बता दें कि इन दिनों सर्वाधिक दुर्दशा गायों की हो रही है जिस तरफ देखो गायों के झुंड के झुंड आवारा रूप से नजर आ रहीं हैं। नगर के मुख्य बाजार, पुरानी सब्जी मंडी रोड, बस स्टैंड, सब्जी मंडी एवं मुख्य मार्ग पर नजर आती है। जिसकी वजह से मुख्य मार्ग से गुजरने वाले वाहनों एवं पैदल चलने वाले लोगों के लिए मुसीबत बनी हुईं हैं।
इसके अलावा आवारा गाय सड़कों पर दुर्घटना की शिकार हो रही हैं गाय को पूजनीय मानता है। गाय को हमारे समाज में माता का दर्जा प्राप्त है गाय की इतनी दुर्दशा हो रही है। जिसकी हम कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। गाय को रखने वाले लोग स्वार्थी हो गए हैं ।
जब तक गाय दूध देती है। तब तक तो लोग उसे अपने पास रखते हैं और उसके बाद उसका दूध निकाल कर सड़कों पर आवारा रूप से छोड़ देते हैं। ऐसे लोगों पर भी प्रशासन को कार्रवाई करना चाहिए नगर पालिका प्रशासन के द्वारा पहले यह कार्रवाई शुरू कर दी थी लेकिन लेकिन कुछ समय से बंद कर दी गई।