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किसानों के लिए खुशखबरी! सोयाबीन की कीमतें छू सकती हैं नया मुकाम, 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचने की उम्मीद

मध्य प्रदेश, जिसे सोया स्टेट के नाम से भी जाना जाता है, में सोयाबीन की कीमतों को लेकर किसानों और व्यापारियों में उत्साह का माहौल है। जहां सरकार ने 4892 रुपये प्रति क्विंटल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद को मंजूरी दी है, वहीं किसान इस योजना में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। किसानों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में सोयाबीन की कीमतें एमएसपी से काफी ऊपर जा सकती हैं।

सोयाबीन की कीमतों में सुधार

दीपावली के बाद से सोयाबीन की कीमतों में सुधार देखा गया है। मंडियों में सोयाबीन की कीमतें 4300 रुपये से 4900 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जनवरी 2025 तक ये कीमतें 5500 रुपये से 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकती हैं।

एमएसपी पर बिक्री में किसानों की रुचि क्यों कम है?

मध्य प्रदेश सरकार ने 4892 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी पर सोयाबीन खरीदने का फैसला किया था। हालांकि, किसानों ने इस मूल्य पर अपनी फसल बेचने में रुचि नहीं दिखाई। इसकी वजह ये है कि किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पादन की कमी और मांग में बढ़ोतरी के चलते कीमतों के और बढ़ने की उम्मीद है।

सोयाबीन की कीमतें क्यों बढ़ सकती हैं?

1. अंतरराष्ट्रीय उत्पादन पर असर:

  • ब्राज़ील में बाढ़ के कारण सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
  • अमेरिका में सोयाबीन तेल की मांग तेजी से बढ़ी है।
  • डीओसी (डियोइल्ड केक) और अन्य सोयाबीन उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय मांग में वृद्धि हुई है।

 

2. घरेलू बाजार में मांग:

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  • भारत में त्योहारी सीजन के बाद सोयाबीन उत्पादों की मांग बढ़ गई है।
  • बीज क्वालिटी के सोयाबीन की कीमतें पहले ही 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुकी हैं।

 

विशेषज्ञों की राय

सोयाबीन कारोबारी और विशेषज्ञ मानते हैं कि जनवरी 2025 तक कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी रहेंगी। मंडियों में बीज क्वालिटी के सोयाबीन की खरीद-फरोख्त 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक हो रही है, और मुहूर्त के कुछ खास सौदों में तो कीमतें 7100 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुकी हैं।

किसानों का इंतजार

मध्य प्रदेश के किसान अपनी फसल मंडी में लाने से बच रहे हैं। उन्हें विश्वास है कि आने वाले महीनों में उन्हें अपनी मेहनत का बेहतर दाम मिलेगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्पादन में कमी और घरेलू बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए, यह इंतजार उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

सरकार से उम्मीदें

किसानों की मांग है कि सोयाबीन की एमएसपी को 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाया जाए। सोशल मीडिया और ग्रामीण क्षेत्रों में इसे लेकर आवाजें भी उठी हैं। सरकार से उम्मीद है कि वह किसानों की इस मांग पर विचार करेगी और उन्हें बेहतर मूल्य दिलाने के लिए कदम उठाएगी।

सोयाबीन की कीमतों में आने वाले महीनों में बढ़ोतरी की पूरी संभावना है। किसानों का यह इंतजार और रणनीति सही दिशा में जाती दिख रही है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सोयाबीन एक बार फिर किसानों के लिए सोना साबित हो सकती है।

यह समय किसानों के लिए समझदारी से निर्णय लेने का है। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो सोयाबीन की ऊंची कीमतें किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकती हैं।

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