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Harda News: अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते नही बना बेटी का जाति प्रमाण पत्र 01 साल से भटक रहा श्यामलाल

4 बच्चो के जाति प्रमाणपत्र बने हैं । फिर  एक बेटा ओर बेटी के प्रमाणपत्र बनानें क्यूं  अड़ंगा लगा रहें अधिकारी…

जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए एक ग्रामीण एक वर्ष से परेशान हो रहा हैं उसके चार बच्चों के डिजिटल जाति प्रमाण पत्र बने है मगर दो बच्चों के जाति प्रमाण पत्र नही बने है। पटवारी और तहसील और एसडीएम कार्यालय में पदस्थ अधिकारियों की हठधर्मिता के कारण प्रार्थी को परेशान कर उसका आवेदन अस्वीकार किया जा रहा है। ऐसा ये एक नही कई मामलें है जो हरदा तहसील में बैठे बाबू कर्मचारी अनेक अनुसूचित जाति जनजाति के प्रमाण पत्र बनानें में बहुत ज्यादा परेशान कर रहे है।जब पहले इन्होने 4 बच्चों को जाति प्रमाण पत्र बना दिया है तो शेष दो बच्चों के प्रमाणपत्र बनाने में दिक्कतें क्यूं दे रहे है।

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 हरदा : ग्रामीण क्षेत्रो में अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगो को सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए जाति प्रमाणपत्र बनवाने होते है। इसके लिए उन्हे आवश्यक दस्तावेजों की खानापूर्ति कर तहसील/एसडीएम कार्यालय में जमा करना होता है। इसके बाद करीब एक माह के बाद कार्यालय से प्रमाणपत्र की डिजिटल प्रति प्राप्त की जाती है। राजस्व विभाग में बैठे ऐसे अधिकारी है जो छोटी सी बातों को लेकर अनुसूचित जाति के हितग्राहियों को परेशान कर रहे हैं।

मामला ग्राम मांगरुल निवासी श्यामलाल ओनकर का हैं। जो अपने पुत्री का जाति प्रमाणपत्र बनवाना चाहते है। इसके लिए विगत एक वर्ष से श्यामलाल परेशान हो रहे हैं। मगर अपनी बेटी और एक बेटे का जाति प्रमाणपत्र नही बनवा पा रहें है।

जाति प्रमाणपत्र के न होने बेटी की पढ़ाई हुई बाधित –

श्यामलाल बताते हैं उनकी बेटी पहले हरदा मे छात्रावास में रहकर ही पढ़ाई कर रही थी।मगर बाद में जब जाति प्रमाणपत्र मांगा तो प्रमाणपत्र समय पर नही बन पाया और बेटी को छात्रावास से निकाल दिया गया।इससे उनकी बेटी की आगे की पढ़ाई बाधित हो गई है। इसके साथ जाति प्रमाण पत्र के न होने के कारण बच्ची को मिलने वाली छात्रवृत्ति से भी वंचित किया जा रहा है। श्यामलाल ने बताया कि विगत एक वर्ष से लगातार अधिकारियों के चक्कर लगा रहा हूं बावजूद इसके अभी मेरी बेटी का जाति प्रमाणपत्र नही बन पाया है। श्यामलाल ने जूलाई-अगस्त 2022 में बेटी भावना पिता श्यामलाल ओनकर के नाम से जति प्रमाणपत्र के लिए पंजीयन क्रमांक RS/448/0104/3149/2022 आनलाइन आवेदन किया था।इसका अनुविभागीय कार्यालय से आवेदन निरस्त किए जाने का कारण जांच प्रतिवेदन के आधार पर पूर्वजो की जाति बलाही पाई गई हैं और आवेदक ने अपनी जाति कतिया अंकित कर आवेदन प्रस्तुत किया है। पूर्वजों और आवेदक की जाति में भिन्नता पाई जाने के कारण आवेदन निरस्त किया गया है।

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अधिकारियों की हठधर्मिता –

इससे पूर्व भी कई मामलों में अनुविभागीय कार्यालय के अधिकारियों की हठधर्मिता चलते रोजाना दर्जनों लोग परेशान हो रहे हैं। अनुसूचित जाति के लोगो के साथ इनकी संकीर्ण विचारधारा के चलते उन्हे  परेशान किया जाता है। आज मप्र सरकार समाजिक समरसता रास्ता अपना रही है। आपसी सामंजस्य बैठे सभी वर्गो को बराबर प्रोत्साहन मिले मगर सरकार के अधीनस्थ कर्मचारी ही भेदभाव का रवैया अपनाकर अजा वर्ग के प्रार्थियों हितग्राहियों को परेशान कर रहे हैं।

आज श्यामलाल की पुत्री को होस्टल से निकाल दिया गया उसकी पढ़ाई प्रभावित हुई। जाति प्रमाणपत्र न होने से उसे छात्रवृत्ति नही मिल पाई। इन सबमे जो खर्च हुआ उसका हर्जाना कौन भरेगा। कलेक्टर साहब अपने   अधीनस्थ इन अधिकारियों को समझाईश देगें कि अनुसूचित जाति के प्रार्थी और हितग्राहियों के प्रति उनकी सोच में बदलाव होना चाहिए उनका काम बिगडे़ नही। श्यामलाल ने पूर्व में इसको लेकर सीएम हैल्प लाईन में शिकायत की थी तो स्थानीय अधिकारियों ने उसे डराया कि तुम हमारी शिकायत सीएम से कर रहे हो तो अब और तुम्हारा काम नही होगा। ऐसी ही हठधर्मिता के चलते अधिकारियों ने श्यामलाल की बेटी का जाति प्रमाणपत्र नही बनाया और आज भी श्यामलाल हिम्मत नही हारा है अपनी बेटी और एक बेटे के जाति प्रमाणपत्र के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।

जाति प्रमाण पत्र में आवश्यक दस्तावेज (आवेदक व्दारा स्वप्रमाणित) –

जाति की पुष्टि हेतु – परिवार के सदस्य । दादा/दादी/परदादा/पिता/माता/चाचा/भाई) के नाम दर्ज अचल सम्पत्ति का रिकार्ड ( भूमि/भूखण्ड/मकान की रजिस्ट्रीया अन्य कोई राजस्व रिकार्ड आदि) की छायाप्रति, जिसमे जाति का उल्लेख हो। अथवा परिवार के किसी सदस्य (दादा/दादी/परदादा/पिता/माता/चाचा/भाई पिता पक्ष से अन्य रक्त संबंध) को वर्ष 1996 के बाद अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) व्दारा जारी जाती प्रमाण पत्र। भाई-वहन का जाति प्रमाण पत्र ।

वर्ष 1950 की स्थिति में या उससे पूर्व या पश्चात परिवार के म.प्र में निवास सम्बन्धी प्रमाण पत्र हेतु शिक्षा / शासकीय सेवा/मतदान परिचय पत्र/परिवार के सदस्य (दादा/दादी/परदादा/पिता/माता/चाचा/भाई) के नाम दर्ज अचल सम्पत्ति का रिकार्ड । भूमि/भूखण्ड/मकान की रजिस्ट्रीया अन्य कोई राजस्त रिकार्ड आदि) की छायाप्रति

स्वयं आवेदक शैक्षणिक योग्यता संबंधी प्रमाण पत्रों की छायाप्रति ।

जाति एवं निवासी की तिथि के सम्बंध में संलग्न घोषणा पत्र ।

यह जानकारी देना होता है।

सवाल ये उठता है कि श्याम लाल के चार बच्चो का जाति प्रमाणपत्र बना हुआ है। वो भी तहसील कार्यालय हरदा से ही बना हुआ है। उस आधार पर अब ये जिम्मेदार अधिकारी उसके एक बेटे ओर एक बेटी का जाति प्रमाणपत्र क्यो नही बना रहे है।” आज भी एक बुजुर्ग पीड़ित पिता दर दर भटकने को मजबूर है। आखिर इस बुजुर्ग को कब न्याय मिलेगा।________________________________

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