हरदा विधायक ने विधानसभा में जिले के मुद्दे मांगे उठाई। साथ ही कर्ज पर कर्ज लेने वाली मोहन राज सरकार को भी घेरा
हरदा :- हरदा विधायक डॉ. रामकिशोर दोगने द्वारा मध्य प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान सदन में सरकार द्वारा पेश किए गए बजट के विपक्ष में बोलते हुए विभिन्न जनहितैषी मांगे की गई। विधायक डॉ. दोगने द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि सरकार का बजट 04 लाख 21 हजार करोड़ का है.। इसकी देनदारी भी 04 लाख 21 हजार करोड़ रूपये है। हम घर का बजट बनाते हैं उसमें कुछ बचाते हैं, परन्तु सरकार तो जितना आया उतना खर्चा कर रही हैं और उतना ही लोन ले लिया है, इस तरह से कैसे प्रदेश चलेगा।
इसमें यह उल्लेखित हो रहा है कि 04 लाख 21 हजार करोड़ का साल का व्याज भी 42 हजार 100 करोड़ रूपये होता है। मध्य प्रदेश में 55 जिले हैं जिसमें 765 करोड़ रूपये का भार प्रत्येक जिले पर आ रहा है। यह भार कैसे पटेगा इसके ऊपर सरकार को सोचना चाहिये, क्योंकि जैसे हमारा घर चलता है उसी तरह से प्रदेश को चलाने के लिये हम सब यहां पर बैठे हैं। हमारा प्रदेश अच्छा चले हमारी भी वही मंशा है, प्रदेश में लोगों का विकास हो, लोगों के काम हों परन्तु काम तो नहीं हो रहे हैं लेकिन लोन लिया जा रहा है, तो इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
मैं इस बात की तरफ आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि हमारा मध्यप्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है किसान को खेत तक जाने के लिये रास्ते नहीं हैं. मनरेगा बंद हो गई है, ग्राम सड़क योजना बंद हो गई है. कोई भी पैसा जनपद-पंचायत में नहीं आ रहा है, उसको चालू किया जाये। आज हम देखें कि हारवेस्टर या ट्रेक्टर या गाड़ी किसान के खेत तक जाने लायक नहीं है. किसान परेशान हैं तो उनकी व्यवस्था की जाये, तो ज्यादा अच्छा है। बजट में उनकी व्यवस्था का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी होना चाहिये। मक्का का समर्थन मूल्य घोषित जरूर किया है, पर खरीदी नहीं हो रही है. मक्का की समर्थन मूल्य पर खरीदी होनी चाहिये. गेहूं की खरीदी पर 2700 रूपये देने की बात कही गई थी, वह भी होना चाहिये। सोयाबीन पर 6 हजार रूपये देने की बात हुई थी, वह भी होना चाहिये.।
इसके साथ ही धान की 3100 रूपये देने की बात हुई थी, वह भी किसानों को नही मिल रहा है। जब तक हमारे किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा, तो प्रदेश का विकास नहीं होगा, क्योंकि हमारा पूरा प्रदेश कृषि आधारित है, प्रदेश की पूरी अर्थ व्यवस्था किसानों के ऊपर चलती है। हम देखते हैं उद्योग धंधे लगते हैं, उनको सुविधा दी जाती है. पर किसानों को कोई भी सुविधा नहीं दी जा रही है। आज वर्तमान में देखें उद्योग धंधों को सबसिडी दी जा रही है, पर किसानों की सबसिडी खत्म कर दी गई है।
किसानों को जरूर आगे बढ़ायें तो निश्चित रूप से प्रदेश आगे बढ़ेगा। किसान उपभोक्ता भी है। आज जितने उद्योग धंधे अगर किसी चीज का उत्पादन करते हैं तो उसका उपभोक्ता किसान ही है, पर उनके लिये कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। उद्योग धंधों को लाभ दिया जा रहा है।
, यह नहीं होना चाहिये. किसानों के लिये काम होना चाहिये. इसके साथ ही हम बिजली व्यवस्था की देखें तो आज किसानों के पास बिजली की मोटरें हैं। मोटर लगाने के बाद बिजली का कनेक्शन ले रहा है. कनेक्शन लेने के बाद बिजली विभाग वाले बहुत ज्यादा बिजली का बिल बना देते हैं तथा ना भरने की स्थिति में उनके ऊपर बहुत सारी पैनल्टी लगा देते हैं। बिजली विभाग ने पैनल्टी लगाने का एक नया तरीका निकाला है। बोलते है कि आपकी मोटर घिस गई है. तो आपको बिजली की खपत ज्यादा हो रही है. इसलिये आपके ऊपर 50 हजार से 01 लाख रूपये तक की पैनल्टी लगा दी है। अब किसान परेशान हो रहे हैं। अधिकारियों के पास जाते है पर उनकी कोई सुनने वाला नहीं है।
. बिजली विभाग को इतना पावर दे दिया गया है कि वह किसी की भी नहीं सुन रहे हैं। इसी तरह से गांव में गरीब आदमी जिसकी झोपड़ी 01 लाख रूपये तक की नहीं है उनके ऊपर एक लाख रूपये का बिजली का बिल दे रहे हैं. यह सोचने की बात है कि बिजली विभाग इस तरह से अन्याय कर रहा है। इसको रोका जाना चाहिये। मैं सरकार से यह कहना चाहता हूं कि आपके द्वारा शासकीय विभागों में आउटसोर्स पर कर्मचारी रखे गए हैं, आऊटसोर्स कम्पनीया कर्मचारियों का पैसा खा रही है ओर कर्मचारियों को कुछ भी सुविधा नही मिल रही है। यदि आउटसोर्स कंपनी को विभाग द्वारा 16 हजार रूपये दिए जाते हैं तो कम्पनी 12 हजार रूपये कर्मचारी को देती हैं बाकी 04 हजार रूपये कंपनी बीच में कमीशन का जाती है। यह गलत है ऐसा नहीं होना चाहिये।
सरकार सीधे आऊटसोर्स से कर्मचारियों की भर्ती करे और विभाग द्वारा सीधे कर्मचारियों को मानदेय भुगतान किया जावे। तो ज्यादा अच्छा रहेगा. ताकि लोगों को अच्छा रोजगार मिलेगा ओर फायदा भी मिलेगा। मेरा निवेदन है कि प्रत्येक गांव, प्रत्येक जिले, तहसील में हर गांव में बड़े बड़े सरकारी तालाब है। अगर हमारी अर्थ व्यवस्था को सुधारना है और वहां पर पानी की व्यवस्था करना है तो उन तालाबो पर जो अतिक्रमण है। उनको हटा दिया जाये तथा हमारे तालाबों का सौन्द्रयीकरण किया जाये। उसकी बराबर कटिंग करके खुदाई की जावे। जिससे गांव में पानी तथा सिंचाई की व्यवस्था हो जायेगी तथा वॉटर लेवल भी बना रहेगा।
हरदा जिले में हरदा से आशापुर रोड है, उसके बीच में टेन्डर निकले थे तो उस रोड को बनवाया जाये। अभी बजट में डिक्लेयर किया गया है। नर्मदापुरम से टिमरनी तक और टिमरनी के आगे खंडवा तक जाने के लिए रोड खराब है तो उसकी व्यवस्था की जाये, मेरे द्वारा लोक निर्माण विभाग के 43 रोड निर्माण कार्य कराए जाने के लिए सरकार को दे रखे हैं।
इसमें कुछ रोड के नाम हैं. सोनपुरा से मकतापुर, कोकरावद से रन्हाई, अबगांवकला से भैरवपुर, होते हुए भुन्नास, रुनझुन से सांगवामाल, कडोलाराघो से दीपगांव, प्रतापपुरा, टेमलावाड़ी से रूनझुन और सुखरास से खारपा सड़क मार्ग इस तरह से 43 सड़क मार्ग है।
जिनका निर्माण कार्य कराया जाना अति-आवश्यक है। इसके साथ ही मेरे हरदा जिले में 28 ग्राम पंचायते ऐसी है जो कि भवन विहीन हैं तो विहीन भवन विहीन ग्राम पंचायत में भवन निर्माण कार्य कराया जाएगा, तो ग्रामवासियों को सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही मेरा एक निवेदन है कि पूरे मध्यप्रदेश में आवेरब्रिज बन रहे हैं, लेकिन हरदा जिले में जिला लेवल पर आज भी रेलवे का ओवरब्रिज नहीं है।
लंबे समय तक वाहनों को खड़े रहना पड़ता है और बाम्बे से दिल्ली वाला मेन रोड है. जहां 15-15 मिनट में गाड़ियां निकलती हैं। इस हेतु यदि ओवरब्रिज का निर्माण कराया जाएगा, तो हरदा जिलेवासियों को सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही हमारा जिला कृषि प्रधान जिला है. कृषि महाविद्यालय की कई बार घोषणा हो चुकी है. तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी घोषणा की है. पुराने नेताओं ने भी घोषणा की है लेकिन इसके बाद भी आज तक कृषि महाविद्यालय हरदा में नहीं बन पाया है। यदि हरदा में कृषि महाविद्यालय का निर्माण कार्य कराया जाएगा तो अच्छा रहेगा।
हरदा में उद्योग-धंधे नहीं हैं तो उद्योग-धंधों के लिए भी व्यवस्था की जाये। यदि हरदा में उद्योग-धंधे लगा दिए जाएंगे, तो निश्चित ही लोगों को काम और रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही हरदा में 250 बेड का शासकीय अस्पताल है। इसमे 50 बेड और बढ़ाये जाये। इसके साथ ही मेडीकल कॉलेज जिला लेवल पर देने की योजना है, तो वह देंगे तो बहुत अच्छा रहेगा. मैं आपका आभारी हूँ. मैं कहना चाहता हूँ कि सरकार विकास के लिए काम करे, केवल ब्याज भरने के लिए काम नहीं हो, तो ज्यादा अच्छा रहेगा।