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HARDA NEWS: प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा है जिले में रेत का अवैध कारोबार – सुहागमल पंवार, डंफर मालिको को मोहरा बनाना बंद करे प्रशासन

प्रशासन के खिलाफ डंपर वेलफेयर संघ हरदा लामबंद होगा।

जिला प्रशासन और खदान ठेकेदार डंपर मालिकों को मोहरा बनाना बंद करे

मकड़ाई समाचार हरदा।
रेत का अवैध परिवहन एवं अवैध उत्खनन रोकने के लिए जिला प्रशासन को ठोस नीति बनाने की आवश्यकता है केवल कुछ दिनों की चेकिंग करने से इस समस्या का हल नहीं होगा।
जिले में स्थित सभी रेत खदान का ठेका एक ही कंपनी के पास है। और उस कंपनी के द्वारा मनचाहे रेट पर बिना रॉयल्टी की रेत गाड़ियों में भरी जाती है। यह बात जिला प्रशासन को उसी दिन से जानकारी में है, जिस दिन से जिले में कंपनी ने ठेका प्रारंभ किया है। रविवार को डंपर वेलफेयर संघ के कोषाध्यक्ष सुहागमल पंवार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि
जो गाड़ी मालिक रॉयल्टी चाहते हैं उन्हें भी माल के बराबर रॉयल्टी ना देते हुए 23 घन मीटर माल पर केवल 12 घन मीटर की रॉयल्टी दी जाती है। इस प्रकार रॉयल्टी वाली गाड़ी में भी 11 घन मीटर रेत अवैध है।
और इसका नुकसान गाड़ी मालिकों को उठाना पड़ता है। जब प्रशासन के द्वारा रेत से भरे हुए डंपर पकड़े जाते हैं। तो डंपर मालिक के पास रॉयल्टी होने के बावजूद उन पर रेत की चोरी का प्रकरण दर्ज किया जाता है। इसका कारण है, कि गाड़ी में 23 घन मीटर रेत है, और रॉयल्टी केवल 12 घन मीटर की है। इससे स्पष्ट होता है की ठेकेदार ने 11 घन मीटर रेत बिना रॉयल्टी के बेची है।

रेत चोरी करे ठेकेदार ओर भुगते डंफर मालिक

श्री पंवार ने कहा कि इस स्थिति में रेत की वास्तविक चोरी ठेकेदार के द्वारा की गई है। और उसका भुगतान डंपर मालिक को भुगतना पड़ता है। ठेकेदार को सभी गाड़ियों के लिए एक जैसी नीति बनाकर बिना रॉयल्टी के गाड़ियां भरना बंद करनी होगी। और यह सुनिश्चित करना होगा कि गाड़ी में जितना माल दिया जा रहा है। उस गाड़ी को उतनी रॉयल्टी भी दी जाए जिला प्रशासन को केवल ठेकेदार के काउंटर पर निगरानी रखने की आवश्यकता है। गाड़ियों की चेकिंग करने से अवैध रेत का धंधा बंद नहीं हो सकता। पंवार ने बताया कि
रेत एवं अन्य खनिज का परिवहन करने वाले ऐसे कमर्शियल वाहन डंपर, ट्रक एवं ट्रैक्टर ट्रॉली जिनका खनिज विभाग में पंजीयन है उनकी परिवहन विभाग द्वारा जारी परमिट की क्षमता के बराबर रेत गाड़ियों में भरना एवं भरी गई रेत के बराबर रॉयल्टी जारी करना ठेकेदार या खदान मालिक सुनिश्चित करें। अन्यथा ठेकेदार पर भी चोरी का प्रकरण दर्ज होना चाहिए।

रेत का परिवहन करने करने वाले वाहन के परमिट की अनुसार जो वास्तविक क्षमता है, उसकी जानकारी देते हुए उन्होंने आगे बताया कि

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12-चक्का गाड़ी में 23 घन मीटर रेत और 23 घन मीटर रॉयल्टी,
10-चक्का गाड़ी में 17 घन मीटर रेत और 17 घन मीटर रॉयल्टी,
6-चक्का गाड़ी में 12 घन मीटर रेत और 12 घन मीटर रॉयल्टी,
एवं खदान से भर कर आने वाली ट्रैक्टर ट्रॉली में 3 घन मीटर रेत और 3 घन मीटर रॉयल्टी होना चाहिए।

पिछले वर्ष 2021 में डंपर वेलफेयर संघ ने जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर इस बात की मांग की थी कि गाड़ियों को उनकी क्षमता अनुसार ही खदान से रेत दी जाए और उतनी रॉयल्टी उन्हें दी जाए। किंतु जिला प्रशासन ने डंपर वेलफेयर संघ की मांग पर विचार न करते हुए जिले में होने वाले रेत के व्यापार को अवैध रूप से करने के लिए खुली छूट दी।

जब प्रशासन का सहयोग नहीं मिला तब डंपर वेलफेयर संघ के सदस्यों ने अवैध परिवहन करने वाली गाड़ियों को रोका उस स्थिति में डंपर वेलफेयर संघ के दो सदस्यों पर प्रशासन के द्वारा एफ आई आर दर्ज की गई।
डंपर मालिकों को मोहरा बनाना प्रशासन को बंद करना होगा।

शहर के इंदौर रोड़ पर बनाये चेकपोस्ट

हरदा शहर में कलेक्टर बंगले के पास स्थित हनुमान मंदिर बायपास चौराहा पर खनिज विभाग की चेकपोस्ट लगनी चाहिए। जहां से सभी ओर से भर कर आने वाली गाड़ियां प्रतिदिन निकलती है
एवं प्रतिदिन ठेकेदार द्वारा कितनी रॉयल्टी जारी की गई है। कितनी गाड़ियों की टोकन काटी गई है। और गाड़ी नंबर से गाड़ी का रिकॉर्ड देखकर उसकी क्षमता अनुसार उसकी रॉयल्टी का मिलान जिला प्रशासन को ठेकेदार के काउंटर पर जाकर करना होगा। और यह सतत प्रक्रिया अपनानी होगी तभी जिले से रेत का अवैध व्यापार बंद हो सकता है।

रेत के धंधे से कई लोगो को मिलता है रोजगार,डंपर की छमता अनुसार ही खदान मालिक से रेत भरवाए

पंवार ने बताया कि एक दस चक्का डंपर खरीदने के लिए पचास लाख रुपए चुकाने होते हैं उसमें दस लाख रुपए से ज्यादा रकम जीएसटी टैक्स की होती है। डंपर लेने के बाद लगभग पांच लाख रुपए आरटीओ को रजिस्ट्रेशन फीस एवं आजीवन टैक्स के नाम पर दिए जाते। एक लाख रुपए में बीमा होता है। डंपर चलाने के लिए दो ड्राइवर और दो हेल्पर चार लोगों की आवश्यकता होती है। यानी कि 4 लोगों को एक गाड़ी से सीधे तौर पर रोजगार मिल रहा है। साथ ही डंपर के द्वारा जिस रेत का परिवहन किया जा रहा है उस रेत से हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है। एक डंपर प्रतिदिन लगभग 400 किलोमीटर चलता है रेत का परिवहन करने के लिए उसमें लगभग 15000 रुपए का डीजल प्रति दिन लगता है। प्रतिदिन डीजल के माध्यम से राज्य और केंद्र सरकार को डंपर मालिक के द्वारा टैक्स दिया जा रहा है। डंपर में लगने वाले एक जोड़े टायर की कीमत 50000 रुपए है।
प्रति महीने एक लाख से अधिक की राशि फाइनेंस कंपनी को किस्त के रूप में चुकानी होती है। जो सीधे तौर पर फाइनेंस कंपनी में काम करने वाले लोगों के लिए मिलने वाला रोजगार है। डंपर की मरम्मत करने वाले मैकेनिक और दुकानदार के लिए भी यह बहुत बड़ा रोजगार का माध्यम है। इस सबके बावजूद
डंपर मालिकों के लिए रेत खरीदने वाले ग्राहक ढूंढना सबसे बड़ी चुनौती है। पंवार ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से रेत का परिवहन करने वाले सभी डंपर मालिकों से यह अपील की है, कि वह डंपर की छमता अनुसार ही खदान मालिक से रेत भरवाए रेत अपनी गाड़ियों में नहीं भरे। और भरी गई रेत के बराबर खदान मालिक से रॉयल्टी ले और यदि बिना रॉयल्टी की टोकन काटी जा रही है तो उस टोकन की फोटो अपने ड्राइवर को कहे कि वह मोबाइल में रखें। ताकि जब आप पर चोरी का प्रकरण दर्ज हो तो आप उस टोकन रसीद की फोटो कोर्ट में दे सकें। जिससे कि खदान मालिक पर भी कार्रवाई करना संभव हो पाए। जिला प्रशासन और खदान ठेकेदार को डंपर मालिकों को मोहरा बनाना बंद करना पड़ेगा। यदि जल्द ही जिला प्रशासन के द्वारा रेत परिवहन के लिए ठोस नीति नहीं बनाई जाती है। तो आने वाले समय में जिला प्रशासन के खिलाफ डंपर वेलफेयर संघ हरदा लामबंद होगा।