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Harda News: मुख्यमंत्री अधोसंरचना योजना के अंतर्गत सी.सी. रोड़ का घटिया निर्माण एवं लगभग 2.35 करोड़ रूपये का भ्रष्टाचार का आरोप नेता प्रतिपक्ष अमर रोचलानी ने लगाया । कलेक्टर को की शिकायत

हरदा : मुख्यमंत्री अधोसंरचना योजना के अंतर्गत वर्ष 2017 में शहर को वार्ड क्र. 28 के औद्योगिक क्षेत्र से पीलियाखाल तक बायपास निर्माण की सौगात मिली थी, भोपाल की ऐजेन्सी के द्वारा काम नहीं करने के कारण टेण्डर निरस्त कर टेण्डर कार्यआदेश दिनांक 16/08/2021 के अनुसार मनीश शर्मा कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था, जिसकी लागत 302.28 लाख थी, जिसमे 1650 मीटर लम्बी सी.सी. रोड़ नाली बनाना थी, जिसकी समयसीमा 6 माह थी, लेकिन इस रोड़ का निर्माण आज भी अधूरा है। कंपनी द्वारा पूर्व में मात्र लगभग 650 मीटर रोड़ ही निर्माण किया गया था, उसके बाद आगे का निर्माण न0पा0 द्वारा ठेकेदार को बिना कोई नोटिस दिये रोक दिया गया। इसके पश्चात् इसी रोड़ का पुनः टेण्डर पी.डब्ल्यू.डी. विभाग द्वारा 1950 मीटर का मंडी निधी से 342.8467 लाख का टेण्डर लगाया गया, जिसमें गलत जानकारी देकर अधिक मूल्य पर निर्माण कराया गया, जिसमें लगभग 2.35 करोड़ रूपये का भ्रष्टाचार किया गया।

इस संबंध में नेता प्रतिपक्ष अमर रोचलानी ने कलेक्टर महोदय हरदा, मुख्यमंत्री महोदय, मुख्य अभियंता पी.डब्ल्यू.डी. विभाग भोपाल एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल को लिखित आवेदन देकर निम्न बिन्दुओं के आधार पर जाँच कराये जाने की मांग की है कि:-
1) कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग द्वारा तकनीकि प्रतिवेदन में बताया गया है कि वर्तमान में कृषि उपज का परिवहन इसी मार्ग से होता है, जिससे किसानों को अपनी फसल को मंडी तक ले जाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इससे संबंधित समस्त दस्तावेजों की जाँच की जाना चाहिए।

2) निर्माणाधीन रोड़ जो वार्ड क्र. 28 एवं 35 में आता है, न0पा0 क्षेत्राधिकार का है, उसमें मंडी के अधिकार कबसे कायम हुए ?
3) मंडी निधि का उपयोग किसानों के कल्याण के लिए किया जाता है तो क्या कारण है कि मंडी निधि का हस्तांतरण लोक निर्माण विभाग को किया गया, जबकि मंडी बोर्ड और न0पा0 दोनों के पास तकनीकि स्टाफ की कोई कमी नहीं है।
4) न0पा0 एवं पी.डब्ल्यू.डी. दोनो के द्वारा एक ही रोड़ की लम्बाई में 300 मीटर का नाप में अन्तर बताया गया है, उसी रोड़ की लम्बाई न0पा0 द्वारा 1650 मीटर एवं पी.डब्ल्यू.डी. द्वारा 1950 मीटर बताई गई है। जबकि पूर्व में न0पा0 ठेकेदार द्वारा 600 मीटर रोड़ निर्माण कराने के बाद पी.डब्ल्यू.डी. विभाग को 1050 मीटर रोड़ निर्माण का टेण्डर ही लगाना था, तो पी.डब्ल्यू.डी. विभाग ने टेण्डर 1950 मीटर रोड़ निर्माण का क्यों निकाला? 950 मीटर रोड़ निर्माण का पैसा किसके खाते में जायेगा ? कौन-कौन बंदरवाट कर रहा है ? इसकी जाँच अतिआवश्यक है।
5) पी.डब्ल्यू.डी. विभाग के स्टीमेट के अनुसार 1950 मीटर रोड़ 276.49 लाख में बन रही है अर्थात् 1 मीटर की लागत 14179/रू. आ रही है इस मान से 950 मीटर की लागत 13470050/रू. का भ्रष्टाचार किया गया है। साथ ही न0पा0 एवं पी.डब्ल्यू.डी. विभाग के द्वारा प्रति क्यूबिक मीटर की लागत में 3700/रू. का अन्तर है। इस हिसाब से 2681 क्यूबिक मीटर की लागत में 101 लाख रूपये का रेट अन्तर में भ्रष्टाचार किया गया है, दोनो को मिला दिया जाये, तो लगभग 2 करोड़ 35 लाख रू. का भ्रष्टाचार कियाय गया है। इसमें किस-किसकी हिस्सेदारी है ? उसकी जाँच की जाना अतिआवश्यक है।

6) न0पा0 द्वारा जो रोड़ बनाई जा रही थी, वह 25 फिट चैड़ी, 1 फिट ऊँची एवं 1650 मीटर लम्बी होकर, जिसकी कुल लागत 242.92 लाख जी.एस.टी. सहित थी। किन्तु पी.डब्ल्यू.डी. विभाग द्वारा बनाई जाने वाली रोड़ 18 फिट चैड़ी, 10 इंच ऊँची एवं 1950 मीटर लम्बी होकर, 342.8467 लाख की लागत का टेण्डर पास किया गया। सवाल यह उठता है कि जब ये रोड़ 242 लाख रू. में न0पा0 द्वारा बनाया जा रहा था, तो इससे अधिक लागत 342.8467 लाख में पी.डब्ल्यू.डी. विभाग द्वारा उक्त रोड़ न0पा0 से कम चैड़ाई एवं कम ऊँचाई के अनुपात में भी क्योंकि दर्शाई गई है ?

7) न0पा0 एवं ठेकेदार के मध्य हुए अनुबंध निरस्त किये बिना एवं ठेकेदार से एन.ओ.सी. प्राप्त किये बिना पी.डब्ल्यू.डी. विभाग को रोड़ निर्माण का टेण्डर जारी करने अनुमति कैसे मिली ? और क्या पी.डब्ल्यू.डी. विभाग के पास न0पा0 से अनुमति ली गई है ? क्या दोनो के मध्य कोई पत्राचार हुआ है ? यह भी जाँच का विषय है।

8) ठेकेदार द्वारा जितना रोड़ निर्माण किया गया है, उसका न0पा0 द्वारा आज दिनांक तक ठेकेदार द्वारा भुगतान नहीं किया गया है। क्योंकि पूर्व में भी मेरे द्वारा इस रोड़ के घटिया मटेरियल से निर्माण के संबंध में श्रीमान के समक्ष ही शिकायत की गई थी, जब यह रोड़ 300 मीटर ही बनी थी, जिसमें न0पा0 द्वारा 50 मीटर का पैसा रोका गया था और आगे भी 300 मीटर का घटिया निर्माण किया गया, जिसमें बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी है।

9) पी.डब्ल्यू.डी. विभाग द्वारा जो 1950 मीटर की रोड़ निर्माण किया जाना बताया जा रहा है, उसकी लम्बाई, चैड़ाई एवं ऊँचाई की जाँच होना आवश्यक है एवं रोड़ की गुणवत्ता की जाँच होना भी अतिआवश्यक है एवं साथ ही इसकी भी जाँच होना चाहिए कि क्या पी.डब्ल्यू.डी. विभाग द्वारा ठेकेदार को निर्माण के अनुसार ही भुगतान किया गया है या निर्माण से अधिक राशि का भुगतान किया गया है ?

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10) पी.डब्ल्यू.डी. विभाग द्वारा निर्धारित ठेकेदार द्वारा रोड़ के साईड शोल्डर में डाली जाने वाली मुरूम के स्थान पर मिट्टी का उपयोग किया गया है, जो कि अनुबंध के विरूद्ध है, जिसकी भी जाँच होना चाहिए।

11) पी.डब्ल्यू.डी. विभाग द्वारा निर्धारित ठेकेदार द्वारा निर्माणाधीन रोड़ का मिक्सिंग प्लान्ट मंडी परिसर में लगाया गया था, वहीं से रोड़ निर्माण का मटेरियल तैयार होकर साईड पर आता था, जिसकी भी मेरे द्वारा वीडियोग्राफी की गई थी। तो क्या ठेकेदार द्वारा मंडी समिति से उक्त औद्योगिक क्षेत्र से पीलियाखाल तक रोड़ निर्माण हेतु मंडी परिसर में मिक्सिंग प्लान्ट लगाने की अनुमति ली गई थी ? यदि मंडी समिति द्वारा अनुमति दी गई थी, तो किन नियमों के तहत अनुमति दी गई है ? यह भी जाँच का विषय है।
12) क्या न0पा0 द्वारा औद्योगिक क्षेत्र से लेकर पीलियाखाल की रेल्वे पुलिया होते हुए नर्मदापुरम मार्ग तक बायपास मार्ग बनाने की अनुमति रेल्वे विभाग से ली गई है ? इसकी भी जाँच होना चाहिए।

अमर रोचलानी ने उक्त सभी बिन्दुओं पर गंभीरतापूर्वक शीघ्र ही उच्च स्तरीय जाँच कराई जाकर दोषियों के विरूद्ध उचित दंडात्मक कार्यवाही किये जाने की मांग की है शिकायत करते समय संजय जैन धर्मेंद्र चौहान रमेश सोनकर उपस्थित।

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