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मंकीपॉक्स के नियंत्रण व बचाव हेतु स्वास्थ्य विभाग ने गाइडलाइन जारी की ! हरदा जिला स्वास्थ्य विभाग हुआ अलर्ट!

हरदा / मध्यप्रदेश में मंकीपॉक्स से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी ज़िलों को दिशा निर्देश जारी कर दिये गये हैं। उल्लेखनीय है कि मंकीपॉक्स बीमारी का केंद्र वर्तमान में अफ्रीका के देशों में है। इस बीमारी का प्रथम प्रकरण भारत में 14 जुलाई 2022 को केरल में पाया गया था जबकि 27 मार्च 2024 के बाद कोई नया प्रकरण नहीं पाया गया है। स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन अनुसार सभी संदिग्ध प्रकरणों को चिन्हाकिंत स्वास्थ्य सुविधाओं में अलग रखा जाएगा। संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकीपॉक्स वायरस परीक्षण के लिए प्रयोगशाला का सैंपल एनआईवी पुणे भेजे जाएँगे। मंकीपॉक्स का पॉजिटिव प्रकरण पाये जाने पर कांटैक्ट ट्रेसिंग कर विगत 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आये व्यक्तियों की पहचान करने के निर्देश हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 14 अगस्त 2024 को मंकीपॉक्स बीमारी को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ़ इंटरनेशनल कंसर्न घोषित किया गया है। मंकीपॉक्स से संक्रमित रोगी को सामान्यतः बुखार, रेश और लिम्फ नोड्स में सूजन पाई जाती है। कुछ रोगियों में चिकित्सकीय जटिलताएं हो सकती हैं। मंकीपॉक्स एक स्व-सीमित संक्रमण है जिसके लक्षण सामान्यतः 2-4 सप्ताह में समाप्त हो जाते है।

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मंकीपॉक्स वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है। इस वायरस कटी-फटी त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या म्यूकस मेम्ब्रेन अर्थात आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु अथवा वन्यपशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क जैसे दूषित बिस्तर के माध्यम से हो सकता है।

मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण अथवा संचरण मुख्य रूप से लार्ज रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स के माध्यम से सामान्यतः पर लंबे समय तक निकट संपर्क से होता है। वायरस शरीर के तरल पदार्थ अथवा घाव के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी प्रसारित हो सकता है, जैसे संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों या लिनेन के माध्यम से। मंकीपॉक्स का इनक्युबेशन पीरियड आमतौर पर 7-14 दिनों का होता है, यह 5-21 दिनों तक हो सकता है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है। संकमित व्यक्ति के चकत्ते दिखने से 1-2 दिन पहले तक रोग फैला सकता है। सभी चकत्तों से पपड़ी गिर न जाए रोगी तब तक संक्रामक बना रह सकता है।