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सिवनी मालवा: हमें अगर भगवान के समीप प्रिय रहना है तो हमेशा छोटे बनो – कमल किशोर नागर ! 50000 से अधिक श्रद्धालु पहुंचे नागर जी की भागवत कथा में 

के के यदुवंशी 

सिवनी मालवा। नर्मदापुरम हरदा बाईपास पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक पंडित कमल किशोर नागर ने भक्तों को कथा सुनाते हुए कहा कि हमें अगर भगवान के समीप और प्रिय रहना है तो छोटा बनो यह बात व्यास गादी से पंडित कमल किशोर नागर ने चौथे दिन यशवंत पटेल गडरिया वाले परिवार के द्वारा आयोजित दूधिया बाढ़ के सामने चल रही श्री श्रीमद् भागवत कथा मे भागवत कथा वाचक कमल किशोर नागर ने कहा कथा में तुलसी से बबुल के पेड़ ने कहा कि मुझे देख में कितना विशाल हूं तू तो छोटी सी है तुलसी ने बहुत सी शांत मन से कहा कि मैं छोटी हूं परंतु मुझ पर ईश्वर की कृपा है प्रभु कृपा से मैं उनके गले में पहनी जाती हूं एवं उनका भोजन मेरे बगैर नहीं होता तू बड़ा होने के कारण बार-बार छटता है कटता है और अंत में अग्नि में जलाया जाता है ।

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कथा को विस्तार देते हुए नागर जी ने कहा कि जिंदगी केवल दो दिन की ही होती है एक दिन जन्म का और एक दिन मरण का बाकी एवं बाकी समय जीवन की आपाधापी में निकल जाते हैं । हाथी को भगवान गणेश का प्रतीक मानते हैं क्योंकि हाथी अपनी सूंड से धूल भरकर अपने सिर पर डालता है वह उसी धूल में भगवान के चरण रज को ढूंढने का प्रयास करता है जिसने अहिल्या को तार दिया था । भगवान की कथा हमेशा गुण प्रदान करती है भक्त की भावना एवं वक्ता की भावना दोनों मिलकर सद्गुण प्रदान करते हैं भगवान का संदेश कथा वाचक के माध्यम से प्राप्त होते हैं कथा वाचक सदैव भगवान का संदेश लेकर श्रोताओं के बीच आता है भगवान के दर्शन मंदिर में करना चाहिए एवं उनके गुण कथा में सुनते हुए ग्रहण करना चाहिए ।

आपके भजन में सदैव बजन होना चाहिए ₹1 का नोट और ₹1 के सिक्के में भी सिक्का ही पवित्र नदियों में भेंट किया जाता है व्यक्ति का गृहस्थ जीवन एक संत के समान होना चाहिए गुरु से केवल गुण एवं ज्ञान ही ग्रहण करना चाहिए महाराज जनक के गुरु अष्टावक्र से सीख लेकर गुण ग्रहण करना चाहिए नीलकंठ अपना जीवन यापन कीड़े मकोड़े खाकर करते हैं परंतु उनका दर्शन शुभ फलदाई हो सकता है । देवता और नेता में अंतर बताते हुए नागर जी ने कहा देवता सुनते हैं बोलते नहीं परंतु नेता बोलते हैं सुनते नहीं कथा में आज भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया ।