ब्रेकिंग
अभा साहित्य परिषद के अधिवेशन में शामिल हुए जिले के साहित्यकार 9 बच्चों की मां ने प्रेमी से मिलकर पति की कर दी हत्या हरदा: कलेक्टर श्री जैन ने जनसुनवाई में सुनी नागरिकों की समस्याएं हरदा: ई-केवायसी व आधार फिडिंग कार्य की गति बढ़ाएं ! कलेक्टर श्री जैन ने बैठक में दिये निर्देश घरेलू विवाद मे पत्नि ने पति की फावड़े से काटकर की हत्या ! पत्नि के चरित्र पर शंका करने से उपजे विवाद... इजराईल ईरान जंग: अमेरिका के युद्ध विराम प्रस्ताव को ईरान ने स्वीकार कर लिया ! ईरान के विदेश मंत्री स... उपभोक्ता आयोग का आदेश: 4 किसानों को मिलेंगे फसल बीमा राशि के 4.50 लाख रूपये Aaj ka rashifal: आज दिनांक 24 जून 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे खातेगांव में "अंजुमन बैतुलमाल न्यास" द्वारा कैरियर गाइडेंस कैंप का आयोजन, सैकड़ों विद्यार्थियों ने ल... टिमरनी: 2 पंचायत सचिवों को सूचना का अधिकार में जानकारी नहीं देना पड़ा भारी ! राज्य सूचना आयोग ने ठोक...

देश की जनता के लिए जानना बहुत जरूरी 23 मार्च को शहीद दिवस क्यो कहा जाता है! 

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 विशेष।आज हम जो सुख और चैन की नींद ले रहे आधुनिक तकनीक मोबाइल एसी लक्जरी कार का उपयोग कर पा रहे है इस खुली आजादी के पीछे हजारो लोगो की कुर्बानी है जिन्हे आज के युवाओ को जानना जरुरी है।

अंग्रेजो की गुलामी के दौरान बहुत यातनाएं अपने माता पिता और अन्य लोगो को सहता हुआ देख आजादी की चिन्गारी बचपन से सीने मे धधकती हुई जवानी मे आते वो शोला बन हम बात कर रहे देश के युवा स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव की जिन्हे 23 मार्च को अंग्रेजो द्वारा फांसी दी गई थी।तात्कालीन सरकार और आजादी के आन्दोलन के कर्णधार नेताओ ने भी इनकी उपेक्षा की थी ।देश को आजादी मिलने के बाद भी कई वर्षो तक उनके बलिदान को स्वीकार ही नही कर पाया जबकि आमजन के दिलों दिमाग ये 3 युवा आदर्श बन गए।

युवाओ ने अंग्रेजो का खुलकर किया विरोध

देश की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वीर सपूतों, क्रांतिकारियों और अंग्रेजों का विरोध करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों मे कुछ युवाओ का नाम दिलो दिमाग पर छा गया उनका बलिदान अमिट है। आज शहीद दिवस पर उन्हे और उनकी शहादत को नमन। अंग्रेजों ने भारत पर सालों राज किया। स्वतंत्र भारत की मांग उठी तो भारत के सपूतों ने अंग्रेजों का विरोध किया। विद्रोह की आंधी आई और लगभग हर घर से लोग स्वतंत्रतां संग्राम में कूद गए। इसी दौरान भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने भी अंग्रेजी हुकूमत का जमकर विरोध किया।

- Install Android App -

हंसते हसते फांसी के फंदे पर झूल गए

लोगो के अन्दर देश को स्वतंत्र कराने की अलख जगाने के लिए भगत सिंह जेल तक गए। आज ही के दिन 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश सरकार ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर जेल में फांसी दे दी थी। इन तीनों क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आवाज़ उठाई थी और अपने साहस से पूरे भारत में क्रांति की भावना जगा दी थी।ब्रिटिश सरकार ने इन लोगो को एक दिन पहले सजा दी थी उन्हे डर था कही आम जन विद्रोह न कर दे इसलिये रातो रात ये सब कर दिया गया।

बच्चो और युवाओ को मिले जानकारी! 

हमे हमेशा इन बलिदानी सपूतो को याद रखना चाहिये ।शहीद दिवस केवल भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की याद में ही नहीं, बल्कि उन सभी वीरों के सम्मान में भी मनाया जाता है जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। यह दिन हमें देशभक्ति, साहस और बलिदान की प्रेरणा देता है।हमारे युवाओ बच्चो को इनकी बलिदानी कहानी को बताना चाहिये उनका बलिदान हमेशा याद रखा जाना चाहिये।