Khandwa Dada Ji Darbar : दादाजी दरबार में गुरु पूर्णिमा उत्सव का उल्लास, समाधि दर्शन को उमड़ रहे श्रद्धालु
गुरु पूर्णिमा पर दादाजी भक्तों की मेजबानी कर धन्य हुआ शहर शिवसेना
खंडवा : गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व पर खंडवा दादाजी की नगरी में दादा जी के भक्तों की मेजबानी के लिए खंडवा शहर ने शहर के चारों ओर विभिन्न प्रकार के स्टाल लगाकर दादा जी भक्तों को प्रसादी दी शिवसेना जिला प्रमुख गणेश भावसार ने बताया कि वही दादाजी भक्तों को गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर दादाजी मंदिर पर पहुंचने के लिए सुचारू व्यवस्था की गई थी जिला प्रशासन द्वारा
रविवार के दिन
गुरु पूर्णिमा उत्सव का उल्लास छाया हुआ है। श्री केशवानंद महाराज बड़े दादा जी की समाधि पर दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच । रविवार को श्रीदादाजी दरबार में सुबह से समाधि सेवा और अभिषेक के साथ पर्व की शुरुआत हुई। दरबार में समाधि पर निशान चढाने के लिए दूर दूर से पदयात्रा कर दादाजी नाम जपते हुए श्रद्धालु दादा दरबार पहुंचे। दो लाख से अधिक दादा दरबार में प्रदेश सहित अन्य राज्यों के भक्तगण पहुंचे
अखंड धूनी का तापमान बढ़ने पर दोपहर को ही नारियलों की आहुति बंद करनी पड़ी। भक्तों द्वारा लाए गए नारियल सेवादारों द्वारा अलग से एकत्रित कराए गए। इधर श्रीदादाजी दरबार पहुंच मार्गों पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई।
भवानी माता मंदिर के पास कमल यूथ क्लब द्वारा सब्जी-पूरी का भंडारा दिया जा रहा है। वहीं शहरभर में अलग-अलग संगठन और भक्तों द्वारा पोहा, जलेबी, चाय सहित दाल बाटी, मालपुआ, रबड़ी जैसे पकवान श्रद्धालुओं को परोसा जा रहा है। महान संत श्री दादाजी धूनीवाले अर्थात स्वामी केशवानंदजी महाराज की मूल समाधि है, इसी स्थान को दादाजी दरबार कहते हैं।
यहां गुरु-शिष्य अर्थात छोटे दादाजी हरिहर भोले भगवान की समाधि भी पूरी मर्यादा के साथ है। करीब पांच लाख भक्त यहां देशभर से समाधि पर मत्था टेंकने और आशीर्वाद लेने के लिए खंडवा आते है। संभवत: यह अनोखा शहर है, जबकि यहां हजारों लाखों की तादाद में भीड़ आने पर यहां के व्यापारी, दुकानदार, होटल, टैक्सी, रेस्टारेंट वाले व्यापार करने की बजाय अपना कारोबार बंद रखकर आने वाले भक्तों की सेवा में जुट जाते है।भक्तोंकी सेवा जुनून की हद तक करते हंै। लजीज व्यंजनों की फेहरिस्त है। पोहा, जलेबी, समोसा, मिठाइयां, हलुआ, मालपुआ, पावभाजी, छोला भटूरा, गुलाब जामुन, दाल-बाटी, पुड़ी-सब्जी से लेकर ऐसा कोई व्यंजन नहीं जो यहां दादाजी भक्तों के लिए परोसा न जाता हो।