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हंडिया: संशोधन पंजी के आधार पर रिकॉर्ड दुरस्त कर सीमांकन कर मुझे मेरी बची हुई जमीन दिलवा दो साहब, साथ ही भूमि के सामने अवैध अतिक्रमण हटाने की मांग, बुजुर्ग दिव्यांग ने सीएम हेल्पलाइन पर की शिकायत, क्या मिलेगा इंसाफ

हंडिया। हंडिया तहसील क्षेत्र में जमीन के विवादित मामले सबसे ज्यादा है। राजस्व अधिकारियों की मनमानी और कई जगह धनाढ्य लोगों से साठगांठ कर रिकॉर्ड में गड़बड़ी के कई मामले पूर्व में सामने आ चुके है। ऐसा ही एक मामला और प्रकाश में आया है ।

उक्त मामला जो कि तहसील मुख्यालय हंडिया का ही है।

राजस्व विभाग हंडिया में किस प्रकार रिकॉर्ड में हेराफेरी होती है। ये हम आपको बताएंगे। ये रिकॉर्ड भी स्वयं राजस्व विभाग से ही निकाले गए है। जो कि ऑन लाइन रिकॉर्ड के दस्तावेज है। देखकर आप स्वय अंदाजा लगाना की  । ऐसा कैसे संभव हुआ। उससे पहले अभी  जमीन का क्या मामला आया है। उस पर हम नजर डालते है। और ग्राउंड रिपोर्ट आपके सामने हम रखते है। जिलाधीश महोदय इस खबर को गंभीरता से संज्ञान  में लेकर विशेष वरिष्ठ अधिकारियों की जांच टीम बनाकर जांच करे तो हंडिया में कई मामले सामने आ सकते है। जिसमें नियम विरुद्ध जमीन की खरीदी बिक्री हुई है।

फिलहाल जिस मामले को हम आपके सामने रख रहे है।

क्या है पूरा मामला 

हंडिया तहसील मुख्यालय पर फारेस्ट नाके के पीछे तिराहे से लगी करोड़ो रूपये की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाने भूमि स्वामी बुजुर्ग रामकृष्ण श्रीवास पिता गणपति श्रीवास निवासी हंडिया ने जिला कलेक्टर और अनुविभागीय अधिकारी हंडिया तहसीलदार को लिखित शिकायत आज से लगभग 8 पहले की थी।

शिकायत कर्ता बहुत ही बुजुर्ग है। दिव्यांग है। बुजुर्ग की मांग है। उसका दुख दर्द भी है। मेरे बेटे नवीन का नशामुक्ति केंद्र देवास में चार साल से इलाज चल रहा है। मेरी पैतृक भूमि मेरे पुत्र नवीन पिता रामकृष्ण के नाम से थी। जो कृषि भुमि स्थित ग्राम हण्डिया प०ह0न0 27 में भुमि खसरा न0 65/1 रकवा 0.094 हैक्ट० है व खसरा न0 77/1 रकवा 0.358 हैक्ट० भुमि कुल रकवा 0.452 हैक्ट० भुमि राजस्व रिकार्ड मे दर्ज थी ।

मेरे बेटे नवीन के द्वारा उक्त भुमि वर्ष 05.12.2015 में आप क्रेता दिनेश पिता प्रेमनारायण लेगा जाति जाट निवासी ग्राम रिजगांव हाल निवासी हण्डिया वालो को भुमि खसरा न0 65/3 रकवा 0.065 हैक्ट० एवं भुमि खसरा न0 77/10 रकवा 0.304 हैक्ट० कुल योग रकवा 0.369 हैक्ट० भूमि विक्रय कर दी गयी थी।

 उक्त भुमि विक्रय के वाद आवेदक नवीन के पास भुमि खसरा न0 65/1 रकवा 0.029 हैक्ट० व खसरा न0 77/1 रकवा 0.054 हैक्ट० भुमि कुल रकवा 0.083 हैक्ट० भुमि शेष बचती है।

 राजस्व व कम्प्युटर रिकार्ड पर आवेदक नवीन पिता रामकृष्ण के यह है कि आवेदक नवीन के नाम से पूर्व में 0.452 हैक्ट० भुमि दर्ज थी उसमें से आवेदक नवीन द्वारा क्रेता दिनेश लेगा को 0.369 हैक्ट० भूमि संशोधन वर्ष 05.12.2015 के अनुसार आवेदक के नवीन नाम व स्वामित्व में शेष भुमि 0.083 हैक्ट० भुमि शेष बचती है।

 परन्तु वर्तमान खसरा न0 77/1 रकवा 0.0190 हैक्ट० भुमि आवेदक नवीन के नाम पर राजस्व रिकार्ड में दर्ज बता रही है। जो गलत है।

आवेदक चाहता है कि पुर्व संशोधन पंजी बर्ष के अनुसार उक्त खसरे न० की उचित जॉच करते हुए आवेदक नवीन के नाम पर संपुर्ण रकवा 0.083 हैक्ट० दर्ज किया जावे।

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 बुजुर्ग का कहना है कि पूर्व संशोधन पंजी के आधार पर मेरी भूमि का नक्शा सीमांकन दुरस्त किया जावे।

बुजुर्ग पिता का कहना है कि मेरी बहु ने मेरे बेटे के नाम की जमीन बेच दी। ओर छोड़कर चली गई। बुजुर्ग चाहता है कि जो बची हुई जमीन है।उसका सीमांकन करवाकर मुझे मेरी जमीन दिलवाई जाए। और गांव के लोगों के जो अवैध अतिक्रमण मेरी भूमि के सामने है।उसे हटाया जाए। बुजुर्ग ने कहा कि उनकी बहु बेटे की बीमारी ओर नशामुक्ति केंद्र में होने का फायदा उठाकर जमीन बेच सकती है। इसलिए हमें शीघ्र ही इंसाफ दिलाकर न्याय दिलवाया जाए

ऑनलाइन रिकॉर्ड में गड़बड़ी कैसे ? राजस्व अधिकारी स्पष्ट करे। ! 

निजी भूमि कभी बनी रिकॉर्ड में शासकीय तो कभी निजी। ये हम नहीं कह रहे है। हंडिया राजस्व विभाग से प्राप्त दस्तावेज कह रहे है। की ऐसे कैसे संभव हो सकता है। जब इस मामले में ग्राउंड रिपोर्ट ओर दस्तावेज देखे गए तो वर्ष 2011 में नर्मदा बाई पति गणपति के नाम से दर्ज ऋण पुस्तिका बनी हुई है। ओर उक्त ऋण हल्का नबर 26 पुस्तिका में 65/1 रकबा 0.094 और खसरा नंबर 77/1 रकबा 0.358 है। भूमि कुल योग रकवा 0.452 है। भुनी राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। उक्त भूमि वर्ष 2016, 17 में खसरा किस्तवंदी में शासकीय दर्शाई गई। वर्ष 2018, 2019 में भी शासकीय दर्शाई गई। वर्ष 2019 2020 में भी शासकीय दर्शाई गई।2020 ,2021 में भी ऐसी ही दर्शाई गई। फिर उक्त भूमि वर्ष 2021, 2022 ओर 2022, 23 2024, 25 में नवीन पिता रामकृष्ण के नाम से दर्शाई गई। आखिर सरकारी ऑनलाइन रिकॉर्ड में इतनी बड़ी गड़बड़ी कैसे हुई।

ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि वर्ष 2015,2016 में जब ऑन रिकॉर्ड ये भूमि आगर सरकारी थी तो इसकी रजिस्ट्री कैसे हुई।

 

तत्कालीन तहसीलदार ने पटवारी को रिकॉर्ड दुरस्त करने लिखा था  पत्र

 

हम आपको बता दे कि वर्ष 2015 , 2016 में तात्कालीन तहसीलदार हंडिया श्रीमती फरीदा खान ने आदेश पारित किया था कि जिसमें क्रेता विक्रेता का उल्लेख है उक्त पत्र में जमीन विक्रयपत्र के आधार पर 4 नवंबर 2015 के माध्यम से क्रय की गई। इस आदेश ने पटवारी रिकॉर्ड दुरस्त करे। लेख है। लेकिन उक्त आदेश का पालन हल्का पटवारी के द्वारा नहीं किया गया।

 

इनका कहना है।

मेरे माता पिता मेरी मानसिक विक्षिप्त बहन वर्षों से नवीन के साथ ही रहते थे। दोनो वर्तमान में बुजुर्ग है। मेरा भाई नवीन नशामुक्ति केंद्र देवास में है। । नवीन का लगभग 4 साल  से इलाज चल रहा है । नवीन की पत्नी ने जमीन बेचकर पैसा लेकर चली गई ।वो इंदौर में रहती है। उसने शादी भी कर ली। जिसके प्रमाण के फोटो भी हमारे पास है । वो चाहती है कि जो जमीन बची है । उसको भी बेच दूं। 

 मेरे माता पिता और बहन का सहारा बनने के लिए में और मेरे पति उनके पास रहते है। हमने किसी के मकान में कब्जा नहीं किया ये हमारा अधिकार है। नवीन के हिस्से की शेष बची जमीन हमारी है। मेरे माता पिता बहन का सहारा कौन बनेगा । नवीन ने जो जमीन पहले बेची उसका पैसा भी दुर्गा ले गई। 

हेमलता पति कमलेश सराठे   (बेटी दामाद)

 

मैने नवीन से जमीन खरीदी है । ट्यूबवेल भी मेरी जमीन के अंदर है। रजिस्ट्री मेरे पास है।ये लोग जबरन झूठी शिकायत कर रहे है। इनके नाम से कुछ भी नहीं है। मेरे भाई पर ये लोग कुल्हाड़ी से हमला भी कर चुके है। जिसकी रिपोर्ट थाने में की थी।जिसमे केस दर्ज हुआ था। 

दिनेश लेगा किसान हंडिया

 

मेरे सास ससुर और हेमलता और उसका पति कमलेश सराठे  मेरे पति के घर जमीन पर जबरन कब्जा कर बैठ गए हैं। मेरे सास ससुर ने उनके हिस्से की जमीन पहले ही बेच दी। मैने भी थाने में शिकायत की थी। मैने मेरे पति को नहीं छोड़ा में बच्चों को इंदौर में पढ़ाती हूं। मेरे पति का इलाज देवास नशामुक्ति केंद्र में चल रहा है। मुझे बदनाम कर रहे है। कलेक्टर को में भी शिकायत करूंगी।

दुर्गा श्रीवास पति नवीन श्रीवास

 

उक्त खबर से संबंधित दस्तावेज मकड़ाई एक्सप्रेस के पास मौजूद है। जो कि न्यायलयीन कार्य में आवश्यकता लगने पर प्रस्तुत कर सकते है।