हरदा :- सेठ हरिशंकर अग्रवाल मांगलिक भवन में नानी बाई रो मायरो का तीन दिवसीय कथा का आयोजन दोपहर 1 बजे से 5 बजे तक टंडन जी परिवार द्वारा सुश्री भारती किशोरी जी श्रीधाम वृन्दावन के मुखारबिन्द से किया जा रहा है। सोमवार को कथा के दूसरे दिन सुश्री किशोरी जी कहा गया जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है ।
उन्होंने बताया नानीबाई के यहां से जोशी जी के हाथ पत्रिका नरसी मेहता के यहां पहुंचाई गई। जिसमें पूरे मायरे की लिस्ट थी । जिसे देखकर नरसी मेहता की पत्नि चिंतन हो गयी और बोली की यह मायरा हम कैसे भरेंगे। नरसी मेहता ने कहा तू थोड़ी मायरा भरेगी मायरा तो सांवरिया जी भरेंगे। जो पत्रिका लेकर गये थे वो बोले मुझे कुछ खाने को दो तो नरसी मेहता की पत्नी बोली मांग कर लाओ , तुम भी खाओ और हमें भी खिलाओ।
नरसी मेहता भगवान सांवरिया से कहते है कि मेरे पास तो कुछ भी नहीं है, नानीबाई का मायरा तुमको ही भरना है । इतने में भविष्य वाणी होती है कि मायरा तो सांवरिया ही भरेगा। क्योंकि नानीबाई ने उनको भाई माना था।
नरसी मेहता ने परखने के लिए अपने भाई बंधुओं को मायरा भरने के लिए अपने साथ चलने को कहा । उन्होंने कहा मायरे का जस ले लो । अब मेहता की गरीबी के कारण उनके रिश्तेदारों ने उनके साथ जाने से मना कर दिया। तब नरसी मेहता ने रिश्तेदारों से बैलगाड़ी मांगी कि वह ही दे दो।
गरीब का साथी नहीं कोई नहीं होता यह बात चरितार्थ होती हुई दिखाई दी। उनके रिश्तेदारों ने कहा कि बैलगाड़ी तो टूटी हुई है तो मेहता ने कहा टूटी गाड़ी ही दे दो। जैसे तैसे गाड़ी जोड़ जाड़ के ठीक करी । अब बैल मांगे तो रिश्तेदारों ने कहा हमारे बैल बूढ़े हो गये है उन्हे गांव बाहर कर दिया। अब गांव बाहर से बैल ले लिए ।
पूरा गांव वाले नरसी मेहता की मजाक उड़ाने लगे और बोले यह मायरा भरने नहीं सिर्फ जिनमें जा रहे हैं।
मेहता अब भगवान सांवरिया से प्रार्थना करते हैं म्हारी गाड़ी टूटी तू सम्भाल मेरे राजा रणछोड़। आपके अलावा मेरी लाज बचानें वाला कोई नहीं है।
तो भगवान सांवरिया जी भगवान विश्वकर्मा जी के पास गये और बोले मुझे आपके औजार दे दो मुझे गाड़ी सुधारना है। इतने पर विश्वकर्मा जी ने कहा आप क्यो जाते हो में चला जाता हूं। जिस पर सांवरिया जी ने कहा संसार का काम हो तो कोई भी कर सकता हैं परन्तु भक्त का काम तो मैं ही करता हूं।
उधर जैसे तैसे नरसी मेहता कुछ साधु-संतों एवं ज्ञानदास के साथ नानीबाई का मायरा भरने चल दिये।
इतने में भगवान सांवरिया जी ने आवाज लगाई रूको भाईयों । गाड़ी नहीं रूकी तो सांवरिया जी गाड़ी के सामने आ गये । नरसी मेहता ने पूछा की क्या काम है।
तो भगवान सांवरिया जी ने कहा गाड़ी में बैठा ले रे बाबा मुझे मायरो देखना है जो नरसी मेहता भर रहे है।
नरसी मेहता ने कहा आपको ले तो चलूं पर मेरी गाड़ी टूटी है। तब सांवरिया जी ने कहा उसको सुधार दूंगा और भगवान ने गाड़ी सुधार दी । साथ ही उन्होंने कहा मैं गाड़ी चलाऊंगा , भगवान ने गाड़ी भी चलाई। साथ ही उन्होंने कहा मैं खाती जात का हूं मुझे कुछ दो । नरसी ने कहा मेरे पास कुछ नहीं तो भगवान बोले सिर्फ भजन सुना दो ।
अनजान नगर जाने के बाद नरसी को छोड़कर भगवान चल दिये । जिस पर नरसी मेहता ने कहा कि आप तो मायरा देखने आये थे फिर क्यों जा रहे हो । जिस पर सांवरिया जी ने कहा कि मैं पत्नी को लेकर आऊंगा।
जोशी जी ने जैसे ही नरसी मेहता को अपने शहर में देखा तो उनको बड़ा आश्चर्य हुआ वह श्रीरंगम जी से बोले मायरादार आ गये है । श्रीरंग ने पूंछा कि मायरे में क्या लाये है तो जोशी जी ने सामग्री बताई । जिस पर श्रीरंग ने कहा उन्हें गांव बाहर टूटी कुटिया में रुकवाओ।
मंगलवार को कथा का अंतिम तीसरा दिन है जिसमें सांवरिया जी द्वारा नानीबाई का मायरा भरा जायेगा।