हरदा :- सेठ हरिशंकर अग्रवाल मांगलिक भवन में नानी बाई रो मायरो का टंडन परिवार द्वारा कराया गया । कथा के अंतिम तीसरे दिन मंगलवार को सुश्री किशोरी जी कहा कि नानीबाई को जैसे ही पता चला पिताजी आये है तो वह ससुराल वालों से छुपकर मिलने निकली । दोनों एक दूसरे को देखकर खुश हुये नानीबाई ने नरसी को तिलक किया ।
वापस घर गई तो सासू ने आंगन में रोक लिया और पूछा कि मायरा में क्या लाये।
नानीबाई ने कहा कि मायरा ज्यादा लाते तो आप गांव बाहर टूटी टपरी न ठहराती । मेरे लिए तो वह आ गये वह ही बहुत है। इतने में ससुराल वालों ने नानीबाई को ताने मारे । जिस पर नानीबाई वापस नरसी मेहता के पास गई और बोली पिताजी आपको सभी ताने मार रहे हैं।
इतने पर नरसी मेहता ने कहा जा तू घर जा और फिर से मायरा की पाती ला ।
नानीबाई घर पहुंची और ससुराल वालों से की मेरे पिता को मायरे की पाती दे दो ।सभी इकट्ठे हुए फिर से पिछली बार की अपेक्षा ज्यादा मायरा लिखा । जिसमें सोने , चांदी , हीरे-जवाहरात , धन दौलत आदि मांगे । इससे भी ज्यादा सांवरिया जी सेठ ने नानीबाई का भाई बनकर मायरा भरा।