Farmer News : सरकार अपने राज्य में बढ़चढ़कर काम कर रही है। हाल में सीएम भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार पानी की खपत करने वाली धान की फसल को पूसा-44 किस्म की बुवाई पर अगल खरीफ सत्र से प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। राज्य में धान की खरीद को फॉर्मल तौर पर शुरु करने के लिए किसानों से पराली जलाने की प्रथा को रोकने का भी आग्रह किया है। उन्होंने खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के विभाग को एक अक्टूबर से शुरु होने वाले मौजूदा खरीफ मार्केटिंग सत्र के समय सुचारू तरीके से खरीद सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
इस फसल की खेती बंद
मान लें किसानों के एक समूह के साथ में बातचूत करते समय हम किसानों का एक-एक दाना खरीदने के लिए प्रतिबंद्ध हैं। सीएम ने किसानों से धान की पूसा 44 किस्त की फसल की खेती को बंद करने का आग्रह किया है क्यों कि इसके पकने में काफी समय लगता है। इसके साथ में फसल भी ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि इस सत्र में किसानों को पूसा-44 किस्म की बुवाई नहीं करने के लिए कहा गया था। लेकिन काफी सारे उत्पादकों ने इसको बोया है। वहीं मान लें कि अगले सत्र में पूसा-44 किस्म पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं
सीएम ने कहा कि PR-126 किस्म के पकने में 152 दिन लगते हैं, जबकि PR-126 किस्म को पकने में केवल 92 दिन लगते हैं। उन्होंने कहा कि बाकी किस्मों के मुकाबले पूसा किस्म को सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की जरुरत होती है। उन्होंने ये भी कहा कि फसल की बुवाई के लिए एक या फिर दो नई किस्मे विकसित की जाएंगी। किसानों से पराली की प्रथा को बंद करने के आग्रह करते हुए सीएम ने कहा कि पराली के इन सीटू और एक्स सीटू प्रबंधन के लिए किसानों को फसल मशीनरी दी जा रही है।
ईधन के रूप में उपयोग करना जरुरी
इसके बाद सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ईंट भट्टों को पराली को ईधन के रूप में इस्तेमाल करना जरुरी कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी काफी सारी कंपनियां है जो कि किसानों से पराली जमा कर रही हैं। सीएम आगे कहते हैं कि सरकार गेंहू की बुवाई के लिए डीएपी का मुद्दा उठाया है। उसे तीन लाख टन की पूर्ति की गई है।