Sedition Law: हनुमान चालीसा मामले में निर्दलीय सांसद नवनीत कौर और उनके पति रवि राणा के खिलाफ महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने देशद्रोह का केस किया है। गुरुवार को यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में उठा। दरअसल, देशद्रोह कानून (Sedition Law) पर सुप्रीम कोर्ट में पिछले 9 माह से सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपना जवाब दाखिल करने को कहा, लेकिन केंद्र सरकार हर बार और समय मांगती रही। वहीं सर्वोच्च अदालत ने अपनी पिछले सुनवाई में कहा था कि केंद्र 5 मई को अपना जवाब दाखिल करे और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट और समय नहीं देगी। इसी सुनवाई के दौरान गुरुवार को अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सरकार का पक्ष रखा।
केके वेणुगोपाल ने कहा कि देश में राजद्रोह कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने नवनीत राणा और रवि राणा के केस का जिक्र किया। केके वेणुगोपाल ने कहा कि राजद्रोह कानून को अटकाया नहीं जाना चाहिए लेकिन इस धारा पर दिशा-निर्देशों की जरूरत है। क्या अनुमति है, क्या अस्वीकार्य है और क्या राजद्रोह के तहत आ सकता है, यह देखने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा, आपने देखा कि देश में क्या हो रहा है, कल किसी को हिरासत में लिया गया था क्योंकि वे चाहते थे कि हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए, उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
वेणुगोपाल ने देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा और कहा कि राजद्रोह कानून पर मसौदा प्रतिक्रिया वकीलों द्वारा तैयार की गई है और दाखिल करने से पहले सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित होने की आवश्यकता है। सरकार को अपना जवाब दाखिल करने देने के लिए अदालत से सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया।
सुप्रीम कोर्ट 10 मई को आईपीसी की धारा 124 ए के तहत देशद्रोह के अपराध की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ को सौंपने या नहीं, इस पर सुनवाई करेगा। देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए SC ने केंद्र को 9 मई तक का समय दिया।