– फर्जी नेत्र शिविर आज भी ग्रामीण क्षेत्रो में चल रहे नही होती कार्रवाई, कई पंचायतों में करी जांच
हरदा । निःशुल्क नेत्र शिविरों के नाम पर बिना मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय की अनुमति के धड़ल्ले से आंखों की जांच व ऑपरेशन हेतु मरीजों को चिन्हित करने का काम ज़िल मे बेख़ौफ़ चल रहा है। लापरवाही का ये आलम है कि सीएमएचओ कार्यालय इन शिविरों को लेकर बेपरवाह है। कुछ दुकानदार जहां बिना परमिशन के शिविर लगाकर अप्रशिक्षितों से जांच कार्य करवाते हैं वहीं कुछ संस्था कार्यालय में आवेदन देने को ही परमिशन मानकर अपना धंधा ग्राम पंचायतों में शुरू कर देते हैं।
पूर्व में हरदा में ग्राम झाड़बीडा व नर्मदापुरम के बिसोनी ग्राम में हरदा के चश्मा दुकानदार ने बाकायदा बैनर लगाके ग्रामीणों की आंखों की जांच की। ये जांच करने वाले अप्रशिक्षित थे। जिनमें एक तो गैस टँकीयों को घर घर सप्लाय करने वाला व्यक्ति था। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि स्वास्थ्य विभाग किस तरह कर्तव्य पालन कर रहा है। सीएमएचओ हरदा ने तत्कालीन कलेक्टर संजय गुप्ता के इस मामले में जांच के आदेश को हवा में उड़ा दिया। देखना यह है नवागत कलेक्टर आदित्य सिंह के द्वारा दिये जांच के आदेश का पालन सीएमएचओ हरदा करते हैं या नहीं।
◆ क्या है मामला : नज़रपुरा पंचायत में फर्जी लोग कर रहे नज़र की जांच –
हरदा जिले में ग्रामीण क्षेत्रो में अलग अलग बेनर तले फर्जी नेत्र शिविर लगातार चल रहे है। कुछ दुकानदार और डॉक्टर विभागीय अधिकारियों कि साठगांठ से ये काम खुलेआम कर लाखो के वारे न्यारे कर रहे है। निशुल्क सेवा के नाम पर चलाएं जा रहे इन नेत्र शिविर कि स्वास्थ विभाग से किसी भी प्रकार की कोई अनुमति नहीं ली जाती।
ऐसा ही मामला बीते कल नजर पूरा ग्राम पंचायत भवन में देखा गया जहा सैंकड़ो लोगो ने पंचायत में आंखो कि जांच करवाई।
जॉच करने वालो ने वा ग्राम पंचायत के गेट पर बेनर लगाया।
ग्राम पंचायत भवन के अंदर मिटिंग रूम में डॉक्टरों का स्टाफ ओर कुछ युवकों के द्वारा वाकायदा नाम मोबाइल नंबर ओर पर्चिया बनाई जा रही थी। तो मोतियां बिंद की जांच कर रहे थे।
जब मकड़ाई एक्सप्रेस ने स्वास्थ शिविर के परमिशन के बारे में जानकारी ली तो पहले तो आवेदन को अनुमति बताकर गुमराह किया गया।
उसके बाद जब मकड़ाई एक्सप्रेस ने अन्य सवाल किए तो जांच करने वाले काम बंद कर भाग गये।
मालूम हो कि उक्त आवेदन में इस संस्था के द्वारा कई ग्राम पंचायतों में ये शिविर लगातार लग रहा है।
लेकिन स्वास्थ विभाग के लापरवाह अधिकारी हमेशा कार्यवाही करने से क्यो परहेज करते है। उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े करती है।
इधर आचार संहिता चल रही है। ओर ग्राम पंचायत सरपंच ने अपनी मर्जी से पंचायत भवन उनको दिया। वही ग्राम पंचायत सचिव को भी इस ओर देखना चाहिए। वही बीते कल पंचायत भवन में पंचायत का एक भी व्यक्ति मोजूद नही था। फिर भगवान भरोसे किसी भी संस्था को अपना कार्यालय केसे दे दिया गया।
◆ इसके पूर्व का मामला –
मालूम हो, कुछ माह पहले हरदा जिले के झाड़बीडा और नर्मदापुरम के बिसोनी कलां में हरदा के माया ऑप्टिकल के बैनर तले ग्राम पंचायत भवन में नेत्र शिविर आयोजित कर भोले भाले ग्रामीणों का नेत्र परीक्षण कर उनका इलाज कर परामर्श देकर आये थे।
सूत्रों से मिली जानकारी में जब प्रमुख दैनिक समाचार पत्र में टँकी सप्लाय करने वाले कथित डॉक्टर की तस्वीर प्रकाशित हुई तो ग्रामीण आंखों की जांच करने वाले डॉ को गैस की टँकी की खबर से हतप्रभ रह गए ।
जी हां । बिना प्रक्षिक्षण के जो व्यक्ति ग्रामीणों का इलाज कर रहे थे दरअसल वे सिलेंडर परिवहन का कार्य करते हैं। हरदा यातायात विभाग ने बीते कल उन्हें एक मोटर सायकिल पर अवैधानिक तरीके से अधिक संख्या पर सिलेंडर परिवहन करते पकड़ा गया है।
हरदा सीएमएचओ एचपीसिंह की लापरवाही देखिए कि उनके संज्ञान में ये मामला होने पर और उनके द्वारा कार्रवाई करने की बात मीडिया में प्रसारित होने के बावजूद भी उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। कार्रवाई टालने की वजह वे ही बता सकते हैं। जबकि तत्कालीन कलेक्टर संजय गुप्ता ने उन्हें जांच के आदेश दिए थे। सीएमएचओ ने कलेक्टर के आदेश को भी हवा में उड़ा दिया।
◆ न डॉक्टर न ऑप्टिमीट्रिस्ट फिर किसने की जांच –
ग्राम झाड़बीडा और बिसोनीकला में माया ऑप्टिशियन हरदा ने आई चेकअप कैम्प लगाया था। जिसमे हरदा से न तो कोई डॉक्टर उपस्थित थे न ही ऑप्टिमीट्रिस्ट । माया ऑप्टिशियन के स्टाफ़कर्मियों ने आंखों की मशीन से जांच की व उपचार दिया। इस संबंध की जानकारी न्यूज़ वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुए थे। तथा खबर में भी वीडियो चले थे । यहां आंखों की जांच कर हरदा के एक अस्पताल विशेष में ऑपरेशन की सलाह अप्रशिक्षित द्वारा दी जा रही थी।
हरदा में ही प्रभारी सीएमएचओ केके नागवंशी के फर्जी दस्तखत का इस्तेमाल माया ऑप्टिकल द्वारा किया गया था। केके नागवंशी ने मीडिया से कहा था कि अगर विभाग जांच करेगा तो वे बयान दर्ज कराएंगे।
◆ इनका कहना है –
आपके द्वारा संज्ञान में लाया गया। में दिखवाता हूं। जॉच करवायेगे।
– आदित्य सिंह कलेक्टर हरदा
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