मकड़ाई समाचार इंदौर। फटाफट लोन(इंस्टैंट लोन) बांटने वाली एप भारत में विदेशी सर्वर से आपरेट हो रही हैं। दिल्ली-गुरुग्राम,नोयडा में छोटी-छोटी इमारतों में कार्यालय खोल कर बैठे ठग एप डाउनलोड करते ही उपभोक्ता के कान्ट्रैक्ट लिस्ट,फोटो गैलरी न केवल देख लेते हैं बल्कि लोकेशन पर भी नजर रखना शुरू कर देते हैं।
एडिशनल डीसीपी(अपराध) गुरुप्रसाद पाराशर के मुताबिक पिछले आठ महीने में ही 900 से ज्यादा ऐसे लोगों की शिकायतें मिली हैं जो विभिन्न प्रकार की लोन एप के मकड़जाल में फंसे थे। पुलिस ने लगभग 100 फर्जी एप की जानकारी बनाई जो रिजर्व बैंक से पंजीकृत ही नहीं हैं। ये एप भले ही भारत से संचालित हो रही हों लेकिन इनका सर्वर चाइना, श्रीलंका(कोलंबो), पाकिस्तान (करांची) बांग्लादेश (ढाका) का है।
दस्तावेजों के झंझट से मुक्ति मिलने के कारण उपभोक्ता आसानी से इनके जाल में फंस जाते हैं। गूगल प्ले स्टोर से एप डाउनलोड करते ही मोबाइल का सारा डेटा दूसरे एप पर साझा हो जाता है। जालसाज उनकी कांटेक्ट लिस्ट,फोटो गैलरी के साथ लोकेशन पर भी नजर रखना शुरु कर देते हैं। एप से लोन लेते ही हाईक्रेडिट लिमिट पर इजी लोन देने के नोटिफिकेशन्स मिलना भी शुरु हो जाते हैं। एडीसीपी के मुताबिक पिछले महीने ही पुलिस मुख्यालय के माध्यम से इन एप को हटाने के लिए गूगल को पत्र लिखा गया था।
किस्त न भरने पर मेरे अश्लील फोटो भेज तुरंत डिलिट कर डाले
नाम न छापने की शर्त पर निजी बैंक की कर्मचारी ने बताया कि उसने एक एप से लिया लोन चुकाने के लिए दूसरी एप से लोन लिया था। पहली किस्त बाउंस होते ही जालसाज ने उसे धमकाया। दूसरे दिन भाई और रिश्तेदारों के पास फोन आने लगे। उसने भाई के फोन पर अश्लील फोटो भेजा। फोटो एडिट किया था और उसके साथ आधार कार्ड अटैच था। भाई ने मैसेज नहीं देखा और जालसाज ने स्क्रीन शाट ले लिया। बाद में वह मुझे भेजा और कहा कि शुक्र है तेरे भाई ने मैसेज नहीं देखा। शाम तक किस्त न भरी तो फोटो दिखा दिया जाएगा। इस तरह कईं युवक युवतियां ठगी के शिकार हो रहे हैं। एडीसीपी के मुताबिक साइबर क्राइम समय समय पर एडवाइजरी जारी करती रहती है।
साइबर एक्सपर्ट गौरव रावल के मुताबिक ऐसे फर्जी लोन एप से लोन लेने के पहले आरबीआइ की वेब साइट सचेत डाट आरबीआइ डाट ओआरजी डाटकाम पर तस्दीक करें। मोबाइल नंबर डाल कर इस बात की पुष्टि करें कि उक्त एप वैधानिक है या नहीं।