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कश्मीर की परिस्थितियां धारा 370 हटाए जाने के बाद

राखी सरोज:-
कश्मीर जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है सालों से आतंक और दर्द के गूंज से झुलस रहा है इसी कश्मीर पर लगने वाली धारा 370 को भारत सरकार द्वारा 5 अगस्त 2019 को संसद में प्रावधान पास कर द्वारा हटा दिया गया। जिसके बाद जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिलने का अधिकार समाप्त हो गया। केंद्र सरकार द्वारा वह लद्दाख जो  जम्मू कश्मीर का एक हिस्सा हुआ करता था उसे जम्मू कश्मीर से अलग कर एक राज्य का दर्जा दिया गया। साथ ही साथ जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। यह सब करने के पीछे केंद्र सरकार ने अपनी मंशा यह बताएं कि वह इस इलाके का विकास चाहती है जिसके लिए आवश्यक है कि धारा 370 और अनुच्छेद 52ए को हटाया जाना आवश्यक था।

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किंतु आज एक जब सरकार द्वारा इस अनुच्छेद को हटाए 1 साल पूरा हो गया है तो तब यहां सवाल पूछना आवश्यक है कि इस अनुच्छेद के हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर और लद्दाख में क्या बदलाव आए हैं। जहां हम जम्मू की बात करें तो वह राज्य पहले से ही विकास की ओर अग्रसर रहा है इसलिए वहां पर इस धारा का कोई अधिक विरोध नहीं किया गया ना ही लोगों में इसको लेकर को आक्रोश दिखाई दिया जिसके चलते वहां परिस्थितियां एक साल से सामान्य ही बनी हुई है।
यदि हम लद्दाख की बात करें यहां धारा 370 हटाए जाने  को लेकर लोगों ने उत्साह व्यक्त किया क्योंकि लद्दाख को इसके हटाए जाने से एक विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ और उनके लिए विकास के नए मार्ग खुले। किंतु यहां विकास उस तेजी से नहीं हो रहा है जिस तेजी से इस धारा को हटाए जाने का प्रयास किया गया। अभी भी बहुत सारी परिस्थितियां ऐसी हैं जो लद्दाख के विकास में रोक लगा रहीं हैं।
जब हम धारा 370 हटाए जाने का प्रभाव कश्मीर में देखते हैं। तो हम पाते हैं कि कश्मीरवासियों ने धारा 370 हटाए जाने के बाद अपने लिए जिस तरीके की जिंदगी का सपना देखा था वह केवल सपना ही था हकीकत उसमें नाम मात्र भी ना थी। धारा 370 को हटाए गए एक साल पूरा हो गया है किंतु यहां होने वाली पत्थरबाजी दंगे और कर्फ्यू अब उसी तरीके से कश्मीर वासियों की जिंदगी का हिस्सा बनी हुई है जैसे धारा 370 के साथ हुआ करती थी। विकास का जो सपना केंद्र सरकार ने कश्मीर के लोगों को दिखाया था उस पर अभी भी कोई कार्य नहीं हो रहा है। स्कूल हो या अस्पताल कश्मीर में रहने वाले आम इंसान की बुनियादी जरूरतों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बेरोजगारी और तकनीकी विकास यहां केवल कागजों पर ही हैं हकीकत में तो इंटरनेट की सुविधा भी लोगों को उपलब्ध नहीं है। क्या हम अपने देश के लोगों को केवल इसलिए क्योंकि वह उस राज्य में रहते हैं जहां हम नहीं रहते, दुख और दर्द सहने के लिए छोड़ देंगे।