मकड़ाई समाचार भिंड। कोरोना के कहर में न जाने कितने परिवारों को तबाह कर दिया। कई परिवार में तो कमाने वाला भी कोई नहीं बचा तो कई मासूमों से उनके माता-पिता का साया ही छीन लिया। भिंड जिल के अमहा गांव में भी कोरोना ने पांच मासूम बच्चों के सिर से माता-पिता का साया छीन लिया। अब इस दुनिया में इन बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। बड़ी बच्ची की उम्र करीब सात साल है जो अपना अपने छोटे-छोटे भाई-बहनों का ख्याल रखती है और किसी तरह गांव में भीख मांगकर सभी का पेट भर रही है।
भीख मांगकर पेट भर रहे मासूम अमहा गांव में भीख मांगकर पेट भरने को मजबूर इन मासूमों की कहानी दिल को कचोट देने वाली है। दस महीने पहले कोरोना ने पिता को छीन लिया और फिर सात महीने बाद मां भी कोरोना की चपेट में आकर चल बसी। परिवार में बचे हैं तो सिर्फ पांच बच्चे जिनमें दो बेटे व तीन बेटियां हैं। सबसे बड़ी बच्ची की उम्र सात साल है जो अपने छोटे-भाई बहनों की एकलौता सहारा है। तो वहीं सबसे छोटा बच्चा महज सात महीन का है। सबसे बड़ी बहन गांव के घर-घर जाकर खाना मांगती है, और जो कुछ भी गांव वाले दे देते हैं उससे ही वो अपना व अपने भाई-बहनों का पेट भरती है।
बारिश में श्मशान के टीन शेड में छिपाते हैं सिर जिस श्मशान के पास से रात के वक्त गुजरने में लोग डरते हैं उसी श्मशान के पास एक छोटी सी टूटी-फूटी झोपड़ी में ये मासूम बच्चे रहते हैं। इस झोपड़ी को इनके पिता ने ही बनाया था। जो अब काफी टूट चुकी है और बारिश व तेज हवा में कभी भी गिर सकती है। बारिश होने पर सभी बच्चे श्मशान घाट के टीन शेड में समय काटते हैं। मासूम बच्चों के दर्द से गांव वाले भी अंजान नहीं है। जितनी उनसे मदद हो सकती है वो बच्चों को खाने पीने के लिए देकर करते हैं।
कलेक्टर ने कही मदद पहुंचाने की बात मासूम बच्चों की दर्द भरी दास्तां सामने आने के बाद भिंड कलेक्टर सतीश कुमार एस ने इस मामले पर संज्ञान लिया। कलेक्टर ने तुरंत महिला और बाल विकास की टीम को बच्चों के पास भेजने की बात कही है और बच्चों को जल्द ही शिशु गृह या बालिका गृह भेजने की बात भी कही है।