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कोरोना संक्रमण ठीक होने के बाद 5 फीसद मरीजों के फेफड़ों में तकलीफ

भोपाल। कुछ मरीजों में कोरोना ठीक होने के बाद भी फेफड़े से जुडी तरह-तरह की तकलीफें हो रही हैं। यह दिक्कतें ज्यादातर उन मरीजों को हो रही हैं जिनके फेफड़े में कोरोना का संक्रमण ज्यादा रहा है। कोरोना के चलते जिन्हें निमोनिया हुआ, उन्हें भी इस तरह की परेशानी हो रही है। कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने कहा कि इसकी मुख्य वजह लंग फाइब्रोसिस है। गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल के छाती व श्वास रोग विभाग के प्रमुख डॉ. लोकेंद्र दवे ने बताया कि कोरोना के 100 मरीजों में 20 फीसद मध्यम (माडरेट) और गंभीर स्थिति में पहुंचते हैं। इनमें से करीब 20-30 फीसद (कुल में 4-5 फीसद) मरीजों को लंग फाइब्रोसिस की बीमारी देखने को मिल रही है। उन्होंने बताया कि पहले से पता करना मुश्किल होता है किन मरीजों को यह बीमारी होगी। कोरोना ठीक होने के बाद जब मरीजों को सांस लेने में दिक्कत व अन्य तकलीफ शुरू होती है वह इलाज के लिए पहुंचते हैं।

कोरोना की जांच नेगेटिव होने के बाद भी फाइब्रोसिस वाले मरीजों का ऑक्सीजन स्तर सामान्य नहीं हो रहा। 10 कदम चलने मात्र से सांस फूलने लगती है। ऑक्सीजन का स्तर (एसपीओ 2) जो 95 फीसद से ऊपर होने चाहिए वह गिरकर 80 फीसद तक पहुंच जाता है। यानी, मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ जाती है। फाइब्रोसिस वाले कई मरीजों की सांस नली टेढ़ी हो जाती है, जिससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है।

मोटे लोगों में ज्यादा दिक्कत

भोपाल के छाती व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएन अग्रवाल ने बताया कि उनके पास अभी तक छह मरीज लंग फाइब्रोसिस के पहुंचे हैं। कोरोना ठीक होने के बाद उन्हें यह तकलीफ हुई। इसमें चार मरीज ऐसे थे जिनका वजन 80 से 90 किलो था। उन्होंने बताया कि फाइब्रोसिस पता करने के लिए सीटी स्कैन के साथ ही पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी) किया जाता है। इसके बाद मरीजों का इलाज शुरू होता है। सांस संबंधी व्यायाम करने की सलाह भी दी जाती है। इलाज व व्यायाम से फाइब्रोसिस में कुछ सुधार होता है।

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कहा नहीं जा सकता किसे फाइब्रोसिस होगा

एक निजी अस्पताल के छाती व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी मल्होत्रा ने बताया कि यह नहीं कहा जा सकता है कि किन कोरोना के किन मरीजों को फाइब्रोसिस होगा। जिन्हें कोरोना के मामूली लक्षण दिखे हैं उनमें भी यह बीमारी देखने को मिल रही है। इस संबंध में शोध होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। फाइब्रोसिस में फेफड़े में गैस की अदला-बदली होने में कठिनाई हो जाती है, जिससे मरीज को ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

क्या है लंग फाइब्रोसिस

कोरोना के चलते कुछ मरीजों के फेफड़े में सूजन हो जाती है। बीमारी ठीक होने के बाद सूजन कम होती है। इस दौरान कुछ सामान्य तो कुछ फाइबर टिश्यू बनते हैं। फाइबर टिश्यू से फाइब्रोसिस होता है। इससे फेफड़े में ऑक्सीजन की अदला-बदली प्रभावित होती है। यह ठीक उसी तरह है जैसे कोई घाव ठीक होने के बाद वहां कि चमड़ी हो जाती है।

ऐसी होती है पहचान : सीटी स्कैन से इसकी पहचान की जाती है। इलाज व सांस के व्यायाम से मामूली सुधार हो सकता है पूरी तरह से नहीं।