ब्रेकिंग
हरदा: तलाक के बाद भी बहु मांग रही 2 लाख, बोली पैसे दे देना नहीं तो तेरे बेटे का अंजाम राजा रघुवंशी ज... हरदा: पूर्व सरपंच के घर सोने चांदी के आभूषण सहित लाखो रुपए की चोरी, 12 ताले तोड़े , एसपी पहुंचे गांव... Big breaking news: भूकंप से हिली धरती घबराये लोग निकले घरो से बाहर :   सुबह 6 बजे अचानक हिली धरती ह... नकली सिगरेट बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़: छापामार कार्यवाही में 52 लाख की गोल्ड फ्लेक नकली सिगरेट... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 22 जुलाई 2025 का राशिफल जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे हरदा: खाद्य प्रतिष्ठानों का निरीक्षण कर खाद्य पदार्थों के सैम्पल लिये जिले में आज से प्रारम्भ होगा दस्तक अभियान ! 16 सितम्बर तक जिले के 69922 बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण ... हरदा पुलिस की मुहिम—नशे के खिलाफ जागरूकता की लहर , विद्यालयों और कॉलेजों में नशे के विरुद्ध चला जनज... हरदा: भारतीय किसान संघ मांग किसानों को लाइन में खड़ा करना बंद करें हंडिया : हंडिया पुलिस स्कूलों में जाकर छात्र छात्राओं को बता रहे नशे के दुष्परिणाम,  नशे से दूरी है ...

क्या मैरिटल रेप को भी माना जाएगा अपराध, दिल्ली हाई कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

Marital Rape : मैरिटल रेप (पत्नी की इच्छा के खिलाफ शारीरिक संबंध) मामले में दिल्ली हाई कोर्ट आज अहम फैसला सुनाएगा। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या मैरिटल रेप को भी अपराध की श्रेणी में रखा जाए या नहीं? इस मामले में याचिकाएं दायर करते हुए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दुष्कर्म कानून को चुनौती दी गई है।आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के अपवाद-2 में पुरुष द्वारा अपनी पत्नी, जिसकी उम्र 15 वर्ष से कम नहीं है, के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध को दुष्कर्म के रूप में नहीं माना जाता है। सरल शब्दों में धारा 375 का अपवाद 2 वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है या यह आदेश देता है कि विवाह में पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध बनाना बलात्कार नहीं है।

2015 से चल रहा केस, अब फैसला संभव

- Install Android App -

जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी हरि शंकर की पीठ शादी में जबरन शारीरिक संबंध या वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग वाली चार याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी। 2015 में आरआईटी फाउंडेशन द्वारा चार याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें ऑल इंडिया डेमोरैक्टिक विमेन एसोसिएशन (एआईडीडब्ल्यूए), मैरिटल रेप का शिकार हुईं खुशबू सैफी और अपनी पत्नी पर रेप के आरोप लगाने वाले पुरुष की याचिका शामिल थी। पुरुष अधिकार संगठनों द्वारा कम से कम तीन याचिकाएं भी दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष विभिन्न आधारों पर वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण के खिलाफ दायर की गई हैं, जिसमें झूठे मामले, दुरुपयोग की संभावना और वैवाहिक संबंधों और परिवार को नुकसान पहुंचाने के आरोप शामिल हैं।

आरआईटी फाउंडेशन के मामले में सुनवाई 2015 में शुरू हुई। तब दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। 2016 में केंद्र ने एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया था कि मैरिटल रेप (#MaritalRape) को अपराध नहीं बनाया जा सकता क्योंकि इसका भारतीय समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। आरआईटी फाउंडेशन के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने गरिमा के अधिकार के उल्लंघन को उठाया था। मामला तीन साल से अधिक समय तक स्थगित रहा और आखिरकार दिसंबर 2021 में सुनवाई फिर से शुरू हुई।