क्षिप्रा नदी के तट पर “शिव ज्योति अर्पणम ” कार्यक्रम केे बाद दीयों में बचा शेष तेल से घाट परगिरे नहाने वाले
मकड़ाई समाचार उज्जैन |महाशिवरात्रि पर मोक्षदायनी क्षिप्रा नदी के तट पर हुआ शिव ज्योति अर्पणम कार्यक्रम जीरो वेस्ट कार्यक्रम होने का दावा किया गया था। मगर रविवार सुबह नदी के पानी की सतह और घाट पर जमा तेल ने दावों की कलाई खोल दी। दावा किया था कि कार्यक्रम में उपयोग लाई हर सामग्री (दीयों में बचा शेष तेल, तेल की खाली बोतल, दीये, रूई की बाती) को पुन: उपयोग में लिया जाएगा। तेल का उपयोग गोशाला की खाद्य सामग्री के निर्माण में लिया जाएगा। इस हिसाब से नगर निगम के सफाई मित्रों को एक-एक दीये में बचा तेल एकत्र करना था, पर उन्होंने ऐसा न करके घाट पर जमे सारे 21 लाख फावड़े से सौरकर गाड़ी में भर लिए। इससे आधा तेल घाट पर जम गया और आधा नदी के पानी में मिल गया।
घाट पर चिकनाई होने से सुबह नहान के लिए आए लोग गिरे, संभले। जानकारी लगते ही अफसर ने चिकनाई मिटाने को घाट पर चूना पावडर डलवा दिया। इधर कुछ पर्यावरणविदों का मत है की नदी के पानी में तेल मिलना जलीय जीव के लिए ठीक नहीं है।
शिव ज्योति अर्पणम कार्यक्रम पर नगर निगम ने तीन करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए। उज्जैन को पर्यटन के रूप में विश्व पटल पर लाने और दीप प्रज्वलन का सबसे बड़ा प्रस्तुतीकरण करने का कीर्तिमान बनाने को शिप्रा किनारे 21 लाख दीये एक साथ जलाए गए थे। निर्धारित 10 मिनिट में एक साथ 18 लाख 82 हज़ार 229 दीये एक साथ जलाए जाने का विश्व रिकार्ड बना। इस पल के प्रत्यक्ष साक्षी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित दो लाख से अधिक लोग रहे। कार्यक्रम में बीते वर्ष दीपावली पर अयोध्या में 15 लाख 76 हजार दीये एक साथ जलाए जाने का विश्व रिकार्ड टूट गया।