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गौपालको द्वारा बेपरवाही से छोडे जा रहे गौवंश, गौवंशो से नेशनल हाईवे पर लग रहा जाम

मकड़ाई समाचार हरदा। दीपावली के दूसरे दिन मनाए जाने वाला त्यौहार गौवर्धन पूजा है। द्वापरयुग में भगवान कृष्ण ने जल, जंगल, जमीन, पहाड़ और पशुधन गाय को सम्मान देते हुए पूज्यनीय बताया है। उन्होने ग्रामीण क्षेत्र में विशेषकर गाय और गौवंशो के प्रति आत्मीयता भी दिखाई और उनका महत्व भी बताया है। इसिलिए गौवर्धन पूजा में हम गाय की पूजा करते हैं उसके गौबर से बने प्रतीको को पूजते है। वर्तमान परिस्थितियों में गाय और गौवंश की हालात कुछ और ही हैं। गौपालको द्वारा गाय और गौवंशो को लापरवाही से घर के बाहर धकेल दिया जाता है। गौपालको द्वारा सिर्फ अपने मतलब ओर स्वार्थ पूर्ति के लिए गाय का पालन या देखभाल की जाती है। इसके बाद उन्हे यूं ही शहर की सड़को पर छोड़ दिया जाता है।

आवागमन का मार्ग होता अवररुद्ध

हमारी श्रद्धा गाय के प्रति अगाध हैं। यह सिर्फ मानसिक सोच तक ही है। अगर वास्तविक क्रियान्वयन होता तो हम अपने पशुधन को यूं ही खुला और बेपरवाह नही छोडते। आज हम शहर के मुख्यमार्ग पर निकल जाए तो किसी न किसी मुख्य चैराहे पर बीच सडक पर गाय या गौवंश बैठे नजर आयेगें। यह एक नही पूरे शहर में कई स्थानों पर दिखते है। वाहन चालक इनके आस पास से अपने वाहन निकाल ले जाते है। आखिर कब तक इन्हे मार्ग से अलग हटाए एक स्थान से हटाओगे तो दूसरी जगह जाकर खड़े हो जाते है।

बारिश में हालात ज्यादा गंभीर

बारिश के दिनों ग्रामीण और शहरी दोनो क्षे़त्रो मंे गाय, बैल भैस आदि पालतु मवेशी जो कि गौपालको द्वारा घर से भगा दिए जाते हैं। यह एक साथ समूह में किसी खेत में घुस जाते हैं। खेत की फसल को नुकसान पहुंचाते है। किसानो द्वारा भगाए जाने पर यह शहर की ओर कूच करते हैं। बारिश में सारी जगह कीचड़ ओर पानी भरा होने से यह अपना बसेरा शहर की मुख्य सडकों पर बना लेते है। बारिश के दिनों में जिले के सभी मुख्यमार्गो पर इनका जमावड़ा होने से आने जाने वाले सभी वाहनो को खासी दिक्कतों का सामना करना पडता है।

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विवादों की स्थिति बनी

विगत वर्षो में गौवंशो की समस्या को लेकर प्रदेश स्तर पर भी कोई जिला अछूता नही रहा है। प्रदेश स्तर पर सरकार ने जिलाधिकारियों को सिर्फ मार्गदर्शन दिया। इसको लेकर गंभीरता नही दिखाई। जिले की नगर पालिकाओं के लिए भी यह बहुत समस्या बनी की आखिर इनका करे तो भी क्या करे। नगरपालिका के पास कांजी हाउस गौशालाएं है मगर उनकी भी क्षमता हैं। ज्यादा गौवंशो को नही रख सकते है। विगत वर्ष खिरकिया नगरपालिका में विवाद की स्थिति बनी थी। मवेशी शहर से गांव की ओर चले गए थे तो किसानों ने उन्हे घेर कर नगरपालिका तक ले आए थे और अधिकारी और किसानों के बीच जमकर विवाद हुआ था।

नेशनल हाईवे होते जाम

जिले से बैतूल, हरदा, इंदौर और भोपाल हरदा मुंबई नेशनल हाईवे होकर गुजरता है। बारिश के दिनों में इन दोनो राष्टीय राज्यमार्ग पर मवेशियों के जमा होने वाहनो को निकलने में दिक्कते होती हैं। वही भारी लोडिंग वाहनो की पलटने और दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा भी बना रहा है। कई बार तो वाहनो के सामने मवेशी को हटाने के वाहनो के कर्मचारी उतरकर उन्हे मार्ग से अलग हटाते है तब वाहन निकल पाता है। हंडिया नर्मदा पुल के पास ऐसा रोजाना ही होता हैं। कई बार वाहन पलटने से बचे है। अंधेरे में यह ओर भी ज्यादा खतरनाक साबित होते है।

गौवंश का हो संरक्षण

जिले में सरकार से अनुदान प्राप्त गौशालाओं हैं। हंडिया की गौशाला का निर्माण कार्य चल रहा है।सरकार को चाहिए कि जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा समय-समय पर गौशालाओं का निरीक्षण करे। गौवंश को मिलने वाला चारा भूसा पर्याप्त है कि नही। इसके साथ वहां पर अन्य व्यवस्थाएं भी देखे। शहर में यहां वहां घूम रहे गौवंश के संरक्षण के लिए जिले की सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए। दूधारु गायों को गौपालक घर ले जाते हैं बाद में उन्हे यूं ही छोड देते है। यह गौवर्धन पूजा कैसे स्वीकार होगी। आज खेतो में गौबर की खाद का सबसे ज्यादा उपयोगी माना जाता है। गौपालन के महत्व को समझने की कोशिश करें। गाय के गौमूत्र और गौबर से कई सारे प्रोडक्ट बनाए जाते है। जिनसे विभिन्न प्रकार की रोजगार की उपलब्धि हो सकती है। गौमूत्र पर शोध की आवश्यकता हैं अनेक गंभीर बिमारियों के इलाज में उपयोगी माना जाता रहा है। गाय का दूध ,घी आदि भी बहुउपयोेगी माना जाता है।