जयश ने पुलिस प्रशासन पर लगाया बंधक बनाकर रखने का गंभीर आरोप, सत्ता पक्ष के दबाब में फर्जी टेंडर वोट डलवाकर लोकतंत्र की हत्या की
मकड़ाई समाचार हरदा। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला हरदा के जिला पंचायत चुनाव में मुख्य पिठासीन अधिकारी एवं हरदा जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा आदिवासी जनजाति समाज के जिला पंचायत सदस्य के साथ गलत व्यवहार करना एव चुनाव के दौरान बंधक बना कर रखने एवं भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा आदिवासी समुदाय एंव जयस के कार्यकर्ताओं के साथ धक्का मुक्की कर मारने हेतु प्रयास किया गया।
आज स्थानीय गंगोत्री होटल में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जयश के जिला संरक्षक धनसिंह भलावी, जिलाध्यक्ष राकेश काकोड़िया जिला प्रवक्ता जय उइके सहित नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य ने पुलिस प्रशासन जिला प्रशादन पर बंधक बनाने फर्जी तरीके से सँविधान के विरुद्ध टेंडर वोट डलवाने का आरोप लगाया। जिला पंचायत के बाहर प्रशासन के खिलाफ टेंडर वोट का विरोध किया तो भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी धक्का मुक्की कर दुर्व्यहार किया। जयश ने एसआईटी जांच की मांग की है। और आज जिला प्रशासन को ज्ञापन सौपा गया। अगर शीघ्र ही कार्यवाही नही होगी तो जिले में उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
क्या होता है चैलेंज वोट ?
जब भी वोटिंग होती है तो मतदान केंद्र पर चैलेंज वोट का भी प्रावधान होता है। यह चैलेंज मतदान करने के लिए नहीं , बल्कि किसी को वोट देने से रोकने के लिए किया जाता है। जी हा दरअसल वोटिंग के वक्त मतदान केंद्र में पीठासीन अधिकारियों के साथ चुनावी एजेंट भी बैठने हैजेंट मतदाता को पहचानने का काम करते हैं और पार्टियां या उम्मीदवार अपनी ओर से उन्हें मतदान केंद्र में बैठाती है। ये चुनावी एजेंट ही इस चैलेंज वोट का इस्तेमाल करते हैं और इस चैलेंज वोट के लिए एक फीस भी देनी होती है , दरअसल जब मतदाता वोट देने मतदान केंद्र पर जाता है और किसी चुनावी एजेंट को यह शक होता है कि यह गलत मतदाता है और फर्जी वोट दे रहा है तो इस स्थिति में चैलेंज वोट का इस्तेमाल किया जाता है। इस स्थिति में पोलिंग एजेंट पीठासीन अधिकारी के समक्ष चैलेंज वोट करता है और साथ में दो रुपये की फीस देता है। चैलेंज वोट में चुनावी अधिकारी पीठासीन अधिकारी के सामने चुनौती प्रस्तुत करता है कि ये सही वोटर नहीं है। इसके बाद पीठासीन अधिकारी अन्य कागजों के साथ इसकी जांच करता है और फिर जांच करने के बाद वोटर को वोट देने का अधिकार देता है। अगर चुनावी एजेंट सही होता है तो वोटर को रोक दिया जाता है। क्या होता है टेंडर वोट दरअसल जो लोग ये शिकायत करते हैं कि उनका वोट डल चुका है उन लोगों के लिए चुनाव आयोग की ओर से टेंडर वोट व्यवस्था की गई है। आप इस टेंडर वोट के जरिए पुराने वोट को चैलेंज कर सकते हैं और नया वोट डाल सकते हैं। चुनाव आयोग के नियमों के सेक्शन 42 के अनुसार Tendered vote की व्यवस्था की गई है , जिसके लिए पीठासीन अधिकारियों को पहले से खास दिशा – निर्देश दिए जाते हैं। साथ ही उनके वोटिंग के वक्त मिलने वाले किट में टेंडर वोट भी उन्हें दिए जाते हैं और चुनाव अधिकारियों को मतदान खत्म होने के बाद भी इसका ब्यौरा आयोग को देना होता है। जैसे मान लीजिए आप वोट देने किसी मतदान केंद्र पर जाते हैं और आपको पता चलता है कि आपका वोट डल चुका है। ऐसे में आप इसकी शिकायत पीठासीन अधिकारी से कर सकते हैं और अपनी पहचान का सत्यापन करेंगे कि आप असली वोटर हैं और किसी ने आपके नाम से गलत वोट दे दिया। इसके बाद आप पीठासीन अधिकारी से टेंडर वोट की मांग कर सकते हैं। टेंडर वोट इस स्थिति में ही जारी किया जाता है लेकिन इससे आप आप ईवीएम से तो वोट नहीं दे पाएंगे और बैलेट के जरिए अपना वोट दे सकेंगे।
निविदत्त ( Tendered ) मतपत्र
यदि कोई व्यक्ति स्वयं को मतदाता बताते हुए मतपत्र की माग करे और मतदाता सूची के अवलोकन से यह ज्ञात हो कि उस नाम से कोई अन्य व्यक्ति पहले ही मतदान कर चुका है और पीठासीन पदाधिकारी पूछताछ के दौरान यदि संतुष्ट हो जाता है कि वास्तव में वह सही मतदाता है तो ऐसे व्यक्ति को मतदान करने दिया जायेगा। ऐसे मतदाता का मतपत्र मतपेटी में नहीं डाला जायेगा बल्कि उसपर संबंधित मतदाता अपना मत चिन्हित कर उसे पीठासीन पदाधिकारी को सौंप देगा। ऐसे निविदित्त मतपत्रों की सूची पीठासीन पदाधिकारी पंचायत निर्वाचन नियमावली 1-2001 नियम , 67 ( 3 ) एवं प्रपत्र 16 में स्वयं तैयार करेगा एवं उसपर अन्यान्य प्रविष्टियाँ नियमानुसार करके मतदाता के हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लेगा। पीठासीन पदाधिकारी निविदत्त मतपत्रों को मतपत्रों की अंतिम गड्डी के अंतिम क्रमांक की ओर से जारी करेगा एवं निविदत्त मतपत्र प्राप्त करने वाले मतदाता के हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान प्रपत्र 16 के प्रविष्टि के सामने करायेगा। मतदान की समाप्ति पर निविदित्त मतपत्र एवं प्रपत्र 16 में तैयार सूची को क्षेत्रवार / पदवार अलग – अलग सीलबंद कर देगा।
दृष्टिहीन , विकलांग या शिथिलांग मतदाताओं द्वारा मतदान
मतदाता मतदान केन्द्र में दृष्टिहीन , विकलांग या शिथिलांग मतदाता मतदान करने के लिए आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में उस मतदाता का एक सहायक जो ( 18 ) अठारह वर्ष की आयु से अन्यून होगा , इच्छानुसार चिन्ह लगायेगा और उसे मतपेटी में डालेगा। यदि अशक्त मतदाता अपना हाथ इस्तेमाल नहीं कर सकता हो तो उसका साथी मतपत्र के प्रतिपर्ण पर अपने हस्ताक्षर/अंगूठे का निशान देगा। उसके साथी के हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान के संबंध में ऐसे प्रतिपर्ण पर इस आशय की एक टिप्पणी अंकित की जायेगी। ऐसा व्यक्ति एक ही मतदाता का सहायक बन सकेगा। पीठासीन पदाधिकारी ऐसे प्रत्येक मामले का विवरण प्रपत्र 15 अंकित करेंगे।