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जैन समाज का वर्षी तप करने वाले तपस्वियों का किया बहुमान, नाटक, नृत्य से की तपस्वियों की अनुमोदना

मकड़ाई समाचार खिरकिया। जिले के खिरकिया में जैन धर्म के कठिन वर्षी तप करने वाले तपस्वियों का बहुमान किया गया। श्वेतांबर जैन मांगलिक भवन में ​​​​​​​पारसदेवी कोचर परिवार ने यह आयोजन किया। इसमें तपस्वी मीनू मेहता, विमलादेवी रांका, राजेश मेहता, सुनंदा कोचर का बहुमान किया। अन्य श्राविका, बच्चों एवं मंडलों ने तपस्वियों की अनुमोदना की।

श्राविका डिंपल कोचर, लब्धि मेहता, मोक्षी मेहता ने समूह नृत्य, हार्दिक कोचर ने अभिव्यक्ति, चारवी विनायक, हितांषी श्रीश्रीमाल ने नृत्य, पूर्वी श्रीश्रीमाल, पूनम कोचर, दिव्या नागड़ा, शालू भंडारी, वंदना विनायक ने सामुहिक नृत्य, संगीता विनायक, वंदना विनायक ने भाव अभिव्यक्ति, महावीर महिला मंडल की डांडिया प्रस्तुति दी। अनुपमा नाटिका में कविता बाफना,मीनू मेहता, राजश्री मेहता, सुचीता भंडारी, संगीता विनायक, वंदना विनायक, समता महिला मंडल ने स्तवन की प्रस्तुति दी। वर्षा कोचर, पुष्पा कोचर द्वारा नाटिका की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन पुष्पा कोचर ने किया। कार्यक्रम महावीर महिला मंडल के संयुक्त प्रयास से किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्राविका मौजूद रही।

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क्या है वर्षी तप

​​​​​​​जैन धर्म में वर्षी तप को विशेष माना जाता है। इसका सीधा संबंध जैन समाज के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जी से है। भगवान आदिनाथ जी को ऋषभ देव के नाम से भी जाता है।वर्षीतप के एक दिन दो पहल ही भोजन ग्रहण किया जाता है। जिसमें एक बार सुबह सूर्यादय से बाद और सूर्यास्त के पूर्व तक ही भोजन किया जा सकता है। इसी के साथ साथ व्रत के एक दिन निराहार रहा जाता है। जैन समुदाय में वर्षीतप को सबसे बड़ा तप कहा गया है। इसमें 1 वर्ष में छह महीने से भी अधिक समयकाल के लिए निराहार रहा जाता है। यह तप 2 वर्ष में पूर्ण होता है।