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टल सकता था अमृतसर रेल हादसा, ड्राइवर की गलती ने ले ली 70 लोगों की जान

नई दिल्ली: पंजाब के अमृतसर शहर में शुक्रवार की शाम हुए बड़े रेल हादसे में जितनी बड़ी गलती स्थानीय नागरिकों और रामलीला के आयोजकों की है, उतनी ही गलती स्थानीय रेल प्रशासन की भी नजर आ रही है। इस हादसे में रेलवे गेटमैन की गलती भी है, जिसने इतने बड़े पैमाने पर उमड़ी भीड़ की जानकारी स्टेशन मैनेजर को नही दी। घटना स्थल से महज 400 मीटर की दूरी पर मौजूद गेटमैन ने इसे हलके में लिया और भीड़ को देखने के बावजूद शांत बैठा रहा। हालांकि, घटना के तुरंत बाद रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी सहित आला अधिकारी दिल्ली से अमृतसर के लिए रवाना हो गए।

इसके अलावा, ट्रेन ड्राइवर की लापरवाही को भी नकारा नहीं जा सकता है। पंजाब के स्थानीय लोगों एवं रेलवे विशेषज्ञों का कहना है कि जिस रेलवे क्रॉसिंग के पास यह हादसा हुआ है, वहां दशहरे का मेला 6 साल पहले से लग रहा है। इस बात की जानकारी रेलवे के स्थानीय प्रशासन, स्टेशन मास्टर, गेटमैन और वहां से गुजरने वाली ट्रेन ड्राइवरों को अवश्य होगी। इसके बावजूद भयानक हादसे में बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई। जानकारों का कहना है कि गेटमैन को यह बात पता थी कि दशहरे मेले में आए लोग ट्रैक पर खड़े होकर वीडियो बना रहे हैं, इसके बावजूद में उसने मैग्नेटो फोन (हॉट लाइन) से स्टेशन मास्टर को इसकी जानकारी नहीं दी थी, जिससे वहां से गुजरने वाली ट्रेनों को कम रफ्तार पर नहीं चलाया गया। यदि स्टेशन मास्टर ट्रेन चालकों को ट्रेन धीरे चलाने की चेतावनी देता तो शायद हादसा टल सकता था।

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रेलवे सूत्रों के मुताबिक, इस दुर्घटना के लिए अमृतसर-हावड़ा एक्सप्रेस और जालंधर-अमृतसर लोकल ट्रेन के ड्राइवरों के पूरी गलती है। किसी भी ड्राइवर को यात्री ट्रेनें 8 से 10 साल के अनुभव के बाद ही चलाने को दी जाती हैं। इन ड्राइवरों को पता था कि इस स्थान पर हर साल दशहरे के मेले में खासी भीड़ जुटती है, इसके बावजूद दोनों ट्रेनें अपनी पूरी रफ्तार से वहां से गुजरी। सूत्रों ने बताया ट्रेन ऑपरेशन मैन्युअल, जनरल रूल और एक्सीडेंट मैन्युअल यह साफ कहता है रेलवे ट्रैक पर किसी तरह की बाधा, इंसान, जानवर आदि नजर आते हैं, तो ड्राइवर को न सिर्फ गाड़ी धीरे कर देनी चाहिए, बल्कि रोक देनी चाहिए और इसकी सूचना तुरंत पास के स्टेशन मैनेजर को देनी चाहिए। लेकिन दोनों ड्राइवरों ने इन नियमों का पालन नहीं किया।

इस घटना की जिम्मेदारी से रेलवे सीधे तौर पर बच नहीं सकता। इस घटना के लिए कौन दोषी है, इसका पता रेलवे संरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा। लेकिन भारतीय रेलवे के अधिकारियों का तर्क है कि लोग पटरी पर खड़े थे, इसलिए इसमें रेलवे की कोई गलती नहीं है। अमृतसर में दशहरा देख रहे लगभग 70 लोगों की रेलगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई, जबकि 40 से अधिक घायलों की स्थिति गंभीर है।