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टिमरनी एसडीएम शर्मा का कारनामा अतिक्रमण है लेकिन सिद्व नहीं, मैडम जी आप कार्यपालिक मजिस्ट्रेड है, आदेश जारी करते समय पढ़ भी लिया करों

मकड़ाई समाचार टिमरनी। मैडम जी आप कार्यपालिक मजिस्ट्रेड के पद पर पदस्थ है अपनी नहीं तो अपने पद की गरीमा को समझते हुए किसी आदेश को जारी करने से पहले पढ़ भी लिया करों जिससे आम जनता या किसी आवेदक को आपके आदेश के कारण परेशान न होना पड़े। आखिर शासन ने आपको न्याय के मंदिर में न्याय की कुर्सी पर इसलिए बैठाया जहां आप किसी के भरोसे को न टुटने दे, ओर सत्य की जीत हो सकें। किसी भी फरीयादी आवेदक के साथ अन्याय न हो, आप सबके साथ न्याय करें जनता के हित ओर शासन की योजनाओं का लाभ दिलाये, जनता की सेवा करें। किन्तु आपके द्वारा ऐसा न किया जाकर फरीयादी आवेदक को ही न्याय के मंदिर में न्याय पाने के लिए परेशान किया जा रहा है। ओर स्वयं के आदेश में अतिक्रमण होना बताकर उसे नस्तीबद्व भी किया जा रहा है ये कौन सा और कैसा आदेश है।

अतिक्रमण है पर सिद्व नहीं

टिमरनी एसडीएम राजनदंनी शर्मा द्वारा नगर के राधास्वामी स्वामी हाई स्कूल के पास स्थित शासकीय जगह से अवैध अतिक्रमण हटाने को लेकर फरीयादी बालकृष्ण उर्फ गोलू रात्रे द्वारा की गई थी। वहीं नर्मदा पुरम संभाग के कमिश्नर से भी शिकायत की गई थी। जिसके आधार पर कमिश्नर द्वारा एसडीएम को आदेषित करते हुए मौके का निरिक्षण कर अतिक्रमण हटाये जाने के आदेश दिए गए थे। जिस पर एसडीएम राजनंदनी शर्मा ने एक जांच दल का गठन कर मौके का निरिक्षण के लिए टीम बनाई ओर आरआई पटवारी से प्रतिवेदन मांगा। 5 सदस्यी टीम द्वारा मोके का निरिक्षण का अतिक्रमण स्थल की जांच कर पंचनामा बनाया। जिसमें मौके पर अतिक्रमण होना पाया गया लिखा है। जिसे एसडीएम के समक्ष प्रस्तुत किया। इसके बाबजूद भी एसडीएम शर्मा द्वारा मनगढ़त आदेश बनाते हुए जांच दल को भी झूठा साबित करते हुए आवेदक का आवेदन पत्र नस्तीबद्व कर दिया गया।

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यह लिखा आदेश में-
प्रकरण में जांच दल द्वारा प्रतिवेदन पंचनामा पेश कर लेख किया गया कि आवेदक द्वारा प्रस्तुत शिकायत की जांच मौके पर आवेदक की उपस्थिति में की गई। पंचनामा पर आवेदक के हस्ताक्षर हैं पंचनामा अनुसार मौके पर माॅ वैष्णो देवी दरवार समिति के द्वारा नवरात्रि में स्थापना की जाती है। देवी स्थापना स्थल ओटला 15 वाय 15 फीट का बना है। जिसमें मुर्ति स्थापना की जाती है। समिति द्वारा बताया गया की यह बीम काॅलम लगभग 2 वर्ष पूर्व के बने हुए है जबकि आवेदक द्वारा बताया गया कि देवी विसर्जन के बाद देवी स्थल के दोनो टीन खोलकर दोनो साईड पाईप लगाकर टीन लगाए गए है। प्रकरण में यह भी पाया गया कि आवेदक द्वारा शासकीय भूमि पर किसी प्रकार के अतिक्रमण संबंधी कोई प्रमाणित दस्तावेज या साक्ष्य पेश नही किए गए है। जांच दल के प्रतिवेदन में भी अतिक्रमण संबंधी कोई गंभीर तथ्य प्रगट नहीं हुए है। फलत आवेदक का आवेदन पत्र नियमानुसार स्वीकार योग्य न होने से इसी स्तर पर नस्तीबंद्व किया जाता है।

अपनी ही टीम पर नहीं भरोसा

एसडीएम मैडम जी जब आपके आदेश में ही 15 वाय 15 का अतिक्रमण ओर 2 वर्ष पूर्व बीम काॅलम के साथ टीनशेड निर्माण होना बताया गया है। साथ ही आपके विभाग के ही आरआई पटवारी सहित टीम ने मौके के निरिक्षण में भी लोहे के बीम कालम सहित देवी स्थल के उत्तर साईड 13 वाय 15 ओर दक्षिण साईड 13 वाय 15 का टीन शेड कर अतिक्रमण होने का पंचनामा बनाया गया है। तो मैडम जी कौन सा सबूत चाहिए जब स्वयं आपके ही विभाग की टीम ने अतिक्रमण होना बता दिया तो फिर कौनसे साक्ष्य सबूत चाहिए। यह शासकीय भूमि का अतिक्रमण तो बिना सबूत दस्तावेज के ही हटा दिए जाते है। किन्तु एसडीएम मैडम को अपनी ही टीम पर विश्वास नहीं है।