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टिमरनी : कलयुग में मनुष्य का मन पाप में अधिक लगता है – अभिषेकानंद जी महाराज, टिमरनी में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा हजारों की संख्या में कथा का श्रवण करने पहुंचे भक्त

टिमरनी। टिमरनी में अयोजित श्री शिव महापुराण कथा जो की 9 मार्च से 15 मार्च तक श्री राधेश्वर महादेव मंदिर सेवा समिति द्वारा कथा का आयोजन किया जा रहा है।

कथा के चर्तुथ दिवस बड़े धूम धाम से मना शिव विवाह

कथाव्यास अभिषेकानंद जी महाराज द्वारा की जा रही शिव महापुराण कथा में प्रतिदिन उमड़ रहा है श्रद्धालुओं का जन सैलाव “ कथा के प्रारंभ में भजन सुनाते हुए पूज्य महाराज श्री ने कहा तेरी शरण में आके में धन्य हो गया अर्थात जीव जब महादेव की शरण धारण कर लेता है तो उसके जीवन से भटकाव दूर होकर जीवन में शिव तत्व की प्राप्ति हो जाती है एक लोटा जल अगर भाव से शिव को श्रद्धा और विश्वास के साथ कोई समर्पित करे तो महादेव की कृपा अवश्य प्राप्त होती है

कलयुग में मनुष्य का मन पाप में अधिक लगता है और इसलिए मनुष्य भगवान की पूजा नहीं करता है और ना ही कथा का श्रवण करता है।
कलयुग का मनुष्य पैसा कमाने के लिए किसी भी हद तक गिर जाता है। कलयुग के लोगों को उनकी मानसिकता पापी बना देती है । भगवान कहते हैं कि मुझे मेरे बनाये हुए हर एक जीव से प्रेम है लेकिन सब से प्रिय है मानव, क्योंकि उसके पास मुझे पाने का समर्थन है।

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जब मानव भगवान की शरण में आ जाता है तो संसार में ऐसा कोई कारण नहीं है जो कि उस मनुष्य को कोई क्लेश या दुःख दे सके। और जो उस मानव को सता सके इसलिए मनुष्य को भगवान की शरण अवश्य लेनी चाहिए। क्योंकि यह संसार मनुष्य का हित नहीं चाहता है लेकिन भगवान हमेशा अपने भक्त का हित ही चाहते हैं।

जो मानव अपनी संस्कृति का अपमान करते हैं। वह अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए नर्क के द्वार खोल देतें है। मनुष्य को अपने अंदर के अंधकार को मिटाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है और वह ज्ञान मनुष्य को कथा से प्राप्त होता है। सनातन को केवल अपने घर में सुरक्षित रखना चाहिए इससे सनातन धर्म हमेशा जिन्दा रहेगा और आने वाली पीढ़ी का भी भला होगा।

ना जाने कब मनुष्य की मृत्यु आ जाये इसलिए अपने ज़िन्दगी के हर एक पल का सदुपयोग करना चाहिए। मनुष्य को कभी भी किसी के सामने झुकना नहीं चाहिए बस महादेव के सामने झुकना चाहिए ऐसा करने से मनुष्य के जीवन में कभी भी दुःख प्रवेश नहीं करेगा।

जहाँ पर बारिश नहीं होती वहां पर फसल घराब हो जाती है और जहाँ पर सत्संग में बच्चों को नहीं लाया जाता वहां की नस्ल ख़राब हो जाती हैं। जो मनुष्य चाहते हैं कि उनके बच्चे कभी भी बुरी संगत में न पड़े इसलिए उन्हें सत्संग का श्रवण करना चाहिए। मनुष्य से माया के चक्कर में ही भगवान छूट जाते हैं। जो मनुष्य कथा सुनते हैं उनको भगवान मिल जाते हैं।