तुलसी के पौधे को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है,यह पूजन के साथ आयुर्वेद में भी बहुत ज्यादा महत्व कई प्रकार की बिमारियों को दूर करने में सक्षम हैं हर हिंदू परिवार में तुलसी को प्रणाम किया जाता हैं। भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं इसलिए भोग में तुलसी पत्ती को डाला जाता है। हिंदू घरों के आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य लगाया जाता हैं जिससे घरों की नकारात्मकता दूर होती है।
तुलसी के पत्ते टहनी जड़ सभी है उपयोगी
हमारे घरों में ऐसे कई तत्व हैं जो कई रोगों में अलसी का काम करते हैं। हल्दी, अदरक, पुदीना, सौंफ, धनिया व तुलसी पत्ती औषधियुक्त पौधे हैं। इनका उपयोग केवल भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं होता बल्कि स्वस्थ रहने के लिए भी किया जाता है। तुलसी एक ऐसा पोधा है जिसकी पत्ती लकड़ी और जड़ भी स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।
तुलसी के सेवन से असाध्य रोग होते है दूर
तुलसी के पत्ते रक्त शुद्ध करते है
तुलसी के पत्तों को ‘एडाप्टोजेन’ या एंटी-स्ट्रेस एजेंट माना जाता है। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि पत्तियां तनाव के खिलाफ महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करती हैं। यहां तक कि स्वस्थ व्यक्ति तनाव को रोकने के लिए तुलसी की 12 पत्तियों को दिन में दो बार खा सकते हैं। यह रक्त को शुद्ध करता है और कई सामान्य तत्वों को रोकने में मदद करता है। मुंह में छाले और संक्रमण के लिए तुलसी की पत्तियां प्रभावी होती हैं। जड़ी बूटी कीट के डंक या काटने के लिए एक रोगनिरोधी या निवारक और उपचारात्मक है। पत्तियों के रस का एक चम्मच लिया जाता है और कुछ घंटों के बाद दोहराया जाता है। प्रभावित भागों पर ताजा रस भी लगाना चाहिए। कीड़े के काटने के मामले में ताजा जड़ों का एक पेस्ट भी प्रभावी है। तुलसी का रस दाद और अन्य त्वचा रोगों के उपचार में फायदेमंद है। ल्यूकोडर्मा के उपचार में कुछ प्राकृतिक चिकित्सकों द्वारा भी इसे सफलतापूर्वक आजमाया गया है। दांतों के विकारों में हरड़ उपयोगी है। इसके पत्तों को धूप में सुखाकर पाउडर बनाया जाता है, इसका इस्तेमाल दांतों को ब्रश करने के लिए किया जा सकता है।