मकड़ाई समाचार हैल्थ। मौसम के परिवर्तन या किसी प्रकार के वायरस संक्रमण से प्रभावित होकर बीमार हो जाते है। अधिकतर देखा गया है कि संक्रमण में बुखार,छींक,खासी से लक्षण नजर आते है। प्राचीन ग्रंथो में तुलसी की महिमा में उन्हे रोगनाशक बताया है। आयुर्वेदाचार्य का कहना है कि जो व्यक्ति रोज तुुलसी की चाय पीते है उनसेे बिमारियां कोेसोे दूूर रहती है। तुलसी हमारे जीवन अध्यात्मिक धार्मिक और स्वास्थ्य वर्धक है। हर सनातन धर्मी के आंगन में आपको तुलसी का पौधा मिल जायेगा। इसके पीछे सिद्धांत यह है कि जिस घर में तुलसी का पौधा आंगन में होता है वहां पर किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नही करती है हर अला बला से घर सुरक्षित रहता है। किसी प्रकार के ग्रह दोष पितृ दोष नही होते हैं तुलसी को जल चढ़ाने से पितृ प्रसन्न होकर तृप्त होते है। तुलसी का पूजन हिन्दू परिवारों में श्रद्धा प्रतीक है। भगवान नारायण भी तुलसी को प्रिया मानते है इसलिए तो इसे हरि प्रिया कहा जाता है। भगवान के भोग में तुलसी पत्र अवश्य रखा जाता है।
अब हम बात करते है कि हमारे स्वास्थ्य में तुलसी कितनी मददगार है। पहले भी बताया कि संक्रामक रोगो के समय तुलसी का सेवन करते रहना चााहिए। तुुलसी की पत्तियों में पारा होता है। इसलिए इसे सीधे न चबाकर पानी में उबालकर छानकर पिएं। चाय मेें कुछ पत्तियां डालकर सेवन करे। यह हमारे शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाती है। तुलसी अपने एडाप्टोजेनिक और एंटी आक्सिडेंट प्रभावो के लिए प्रसिद्ध है। यह कैंसर केे रेेडियोंथेरेपी के प्रभाव कोे कम करती है। यह शरीर की मृत कोशिकाओ को जीवन प्रदान करती है।
स्वास्थ्य प्रभाव में तुलसी को भारत की सबसे प्रतिष्ठित जड़ी-बूटियों में से एक माना जाता है। तुलसी की चाय में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से कोशिकाओं को बचाते हैं, जो कई बीमारियों के विकास और प्रसार को बढ़ावा देते हैं।