ब्रेकिंग
जिंदगी और मौत के बीच झूलता आदिवासी युवक, रेफर मरीज को रात 2 बजे तक नहीं मिली एम्बुलेंस इंदौर में बारिश के बीच निकली भव्य तिरंगा यात्रा, देशभक्ति के नारों से गूंजा शहर भोपाल में गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में क्लोरीन गैस का रिसाव तीर्थदर्शन योजना का विस्तार होगा: सीएम सोना 500 रुपये टूटकर 1,01,020 रुपये प्रति 10 ग्राम पर, चांदी स्थिर मध्य प्रदेश में 15 अगस्त से बंद होगी Dial 100 सेवा, नई सुविधा को CM मोहन यादव देंगे हरी झंडी मप्र में 64 लाख अमीर उठा रहे BPL का राशन हरदा: 7 यात्री बस, 2 मेजिक पर चालानी कार्यवाही व एक वाहन जप्त किया !  RTO बोले यादव बस पर भी हुई का... गैस पीड़ितों के मुआवजे को लेकर हाईकोर्ट में 22 सितंबर को सुनवाई पार्वती नदी में बहा मासूम, बचाने कूदी मां भी डूबी, बेटा अब तक लापता

दिमाग से नकारात्मक विचारों को निकालें तभी मिलेगी खुशी

रायपुर। याददाश्त बढ़ाने के लिए मेडिटेशन सीखें। इसके लिए सुबह उठकर परमात्मा के साथ मन के तार जोड़कर एकाग्रता बढ़ानी होगी। किसी चीज को याद करने के लिए बुद्धि में उसका चित्र बनाएं। मन और बुद्धि के एकसाथ मिलकर काम करने से एकाग्रता आती है। दिमाग में नकारात्मक विचारों को हावी न होने दें, यदि नकारात्मक विचार घुस चुके हैं, तो उसे बाहर निकाल फेंके। उक्त विचार ब्रह्माकुमारी गंगा दीदी ने ‘एक नई सोच’ ऑनलाइन आयोजन में व्यक्त किया।

‘स्मरण शक्ति का विकास’ विषय पर उन्होंने कहा कि सारे दिन की अनेक छोटी-छोटी बातों को हम भूल जाते हैं। जो बातें हमें याद रहनी चाहिए, वे भी हम भूल जाते हैं। इसका प्रमुख कारण है एकाग्रता की कमी और तनाव। एक बच्चा सारे दिन में तीन सौ से अधिक बार मुस्कुराता है। मगर, जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाती है, वह मुस्कुराना भूलने लगता है। उसकी खुशी गुम हो जाती है और उसकी याददाश्त भी कम होने लगती है।

- Install Android App -

कार्य व्यवहार में तनाव होने से खुशी कम हो जाती है। प्रायः देखा गया है कि घर में माता-पिता में सबसे ज्यादा तनाव बच्चों की परीक्षा के समय मार्च और अप्रैल में होता है। तनाव का हमारी याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हम व्यायाम करते हैं। खान-पान का ध्यान रखते हैं, लेकिन मन को स्वस्थ रखने के लिए हम कुछ नहीं करते हैं।

जैसे मोबाइल या कंप्यूटर में डाटा स्टोर करते जाते हैं और जब हार्डडिस्क भर जाती है, तो कम्प्यूटर धीमा चलने लगता है। तब हमें डाटा को डिलीट करना पड़ता है। उसी तरह बचपन से ही हम बहुत सारी सूचनाएं दिमाग में भरते जाते हैं। हमें उसे डिलीट करना नहीं आता है। हमें अपनी याददाश्त को बढ़ाने के लिए दिमाग से नकारात्मक बातों और विचारों को डिलीट करना सीखना पड़ेगा।