मकड़ाई समाचार उत्तर प्रदेश। जो लोग समझते हैं कि वे सियासत के दम पर सरकारी नौकरी (Sarkari naukari) में प्रमोशन हासिल कर लेंगे और मनमानी करते रहेंगे, यह खबर उनके लिए सबक है। उत्तर प्रदेश में जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी, तब चार अलग-अलग स्थानों पर चपरासी और चौकीदारी के रूप में सेवा दे रहे लोगों को अफसर बनाकर प्रमोट कर दिया गया। अब मामला हाई कोर्ट पहुंचा और वहां से मिले आदेश के बाद योगी सरकार ने चारों को उनके मूल पद पर भेज दिया है। यानी जो साहब अब तक अफसरी झाड़ रहे थे, वे चपरासी और चौकीदार बने नजर आ रहे हैं।
2014 में सपा सरकार के दौरान की गईं थीं नियम विरुद्ध पदोन्नतियां
उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में मजाक बने इन अफसरों के नाम हैं नरसिंह, दयाशंकर, विनोद कुमार शर्मा और अनिल कुमार सिंह। ये चारों जनसम्पर्क विभाग के तहत नौकरी कर रहे थे। 2014 में जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो मनमाने तरीके से इन पर मेहरबानी कर दी गई। क्षेत्रीय प्रचार संगठन के तहत जिला सूचना कार्यालय बरेली में चपरासी के रूप में सेवारत नरसिंह, फीरोजाबाद में चौकीदार के पद पर तैनात दयाशंकर, मथुरा के सिनेमा आपरेटर कम प्रचार सहायक विनोद कुमार शर्मा और भदोही में सिनेमा आपरेटर कम प्रचार सहायक के रूप में सेवारत अनिल कुमार सिंह को उन्हीं के दफ्तर में अपर जिला सूचना अधिकारी बना दिया गया। यह आदेश इसलिए गैर कानूनी था क्योंकि ये पद सीधी भर्ती से ही भरे जा सकते हैं।
मामला हाई कोर्ट पहुंचा, तो सारी मनमानी धरी रह गई। अब कोर्ट ने चारों को उनके पुराने मूल पद पर भेजने का आदेश दिया। योगी सरकार ने आदेश को तालिम किया और सभी को मूल पद पर प्रत्यावर्तित किया गया है। प्रदेश के सूचना निदेशक शिशिर ने इसकी पुष्टि कर दी है। इस तरह यूपी से एक संदेश पूरे देश में गया है कि राजनीतिक प्रभाव में की गई पदोन्नति भारी पड़ सकती है।