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 MP NEWS: bhopal ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में अंतर समझने की चूक, राज्य शासन के जारी पत्र में दोनों का उल्लेख 

मुकेश पाण्डेय

भोपाल/हरदा:  आजादी मिलने के दशकों बाद भी देश में  स्वाधीनता दिवस पर होने वाले ध्वजारोहण और गणतंत्र दिवस पर ध्वज फहराने के कार्यक्रम के अंतर को ठीक से समझा नहीं जा रहा है। ऐसी स्थिति में दोनों पर्वो में एकरूपता कर दी जाती है।

ध्वजारोहण और ध्वज फहराने जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम और उनके अलग अलग अर्थ को समझ पाने में राज्य शासन के पत्र में होने वाली त्रुटि चिंतनीय है।

मालूम हो, हरदा में स्वाधीनता के 78 वें पर्व (2024) पर प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग द्वारा ध्वजारोहण करने के स्थान पर ध्वज फहराया गया था। तत्समय कार्यक्रम से पूर्व कलेक्टर एसपी के मंच पर होने व ध्वज के शीर्ष पर बंधे होने सम्बन्धित चित्र काफी चर्चा में रहे थे।

देखना यह है कि इस बार 26 जनवरी पर ध्वजारोहण किया जाता है या ध्वज फहराया जाता है।

दुःखद पहलू यह है कि मीडिया द्वारा बार बार जागरूक करने के बावजूद शासन द्वारा इन राष्ट्रीय पर्व के अंतर को परिभाषित करने के सम्बंध में न तो कोई जिम्मेदारी तय की गई न ही कोई दिशा निर्देश जारी किए गए। ये स्थिति सोचनीय है।

क्या है शासन का पत्र

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मप्र शासन के सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय भोपाल ने 21 जनवरी को  26 जनवरी (गणतंत्र दिवस समारोह) पर ध्वजारोहण विषयक पत्र समस्त कलेक्टर को जारी किया है।  पत्र में ध्वज फहराने की बात लिखते हुए  राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष द्वारा ध्वजारोहण करने का उल्लेख भी किया गया है। जारी सूची में जहां मंत्री द्वारा ध्वज फहराने की बात कही गयी है, वहीं जिला कलेक्टरों द्वारा ध्वजारोहण करने का जिक्र किया गया है।

 

क्या है अंतर – 

15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर होने वाले समारोह में हमारा राष्ट्रीय ध्वज पोल से बांधा जाता है, जो रस्सी के सहारे धीरे धीरे ऊपर खींचा जाता है और फिर फहराया जाता है। इसे ध्वजारोहण कहा जाता है। स्वतंत्रता दिवस में ध्वजारोहण को अंग्रेजी में फ्लैग होस्टिंग (Flag Hoisting) कहते हैं।

 

26 जनवरी के दिन हमारा तिरंगा पहले से ही पोल के शीर्ष पर बंधा रहता है।  डोर के सहारे इसे  खोलकर फहराया जाता है। इसे झंडा फहराना  कहते हैं। इस प्रक्रिया को अंग्रेजी में फ्लैग अनफर्लिंग (Flag Unfurling) कहा जाता है।

 

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