रायपुर. राज्यपाल अनुसुईया उइके ने विधानसभा के मानसून सत्र में पारित छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2022 पर हस्ताक्षर कर दिए है। इसके साथ ही पट्टेधारियों को जमीन के मालिकाना हक मिलने का रास्ता भी खुल गया है। पट्टेधारी के 20 वर्ष पूर्ण होने की तारीख पर, ऐसी भूमि के संबंध में भूमिस्वामी समझा जाएगा। इसके तहत उन्हें कई अधिकार भी मिल जाएंगे।छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 में उल्लेखित धारा 158 को संशोधित किया गया है। संशोधन उपरांत छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्र. 20 सन 1959) (जो इसमें इसके पश्चात मूल अधिनियम के रूप में निर्दिष्ट है) की धारा 158 की उप-धारा (3) के पश्चात उपधारा 4 जोड़ा गया है। उपधारा 4 के अनुरूप प्रत्येक व्यक्ति जो राज्य सरकार या कलेक्टर या आबंटन अधिकारी द्वारा उसे मंजूर किए गए किसी पट्टे के आधार पर भूमि धारण किया हुआ है। ऐसे आबंटन तारीख से 20 वर्ष पूर्ण होने की तारीख पर, ऐसी भूमि के संबंध में भूमिस्वामी समझा जाएगा और उन समस्त अधिकारों तथा दायित्वों के अध्यधीन होगा जो इस संहिता द्वारा या उसके अधीन किसी भूमिस्वामी को प्रदत्त और उस पर अधिरोपित किए गए हैं।
विधेयक की खास बातें
राज्य सरकार या कलेक्टर या आबंटन अधिकारी व्दारा उसे छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम, 1992 के प्रारंभ पर या उसके पूर्व मंजूर किए गए किसी पट्टे के आधार पर भूमिस्वामी अधिकारों में भूमि धारण किए हैं, ऐसे प्रारंभ की तारीख से होगा। जिसे राज्य सरकार या कलेक्टर या आबंटन अधिकारी व्दारा भूमि का आबंटन भूमिस्वामी अधिकार में छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम, 1992 के प्रारंभ के पश्चात किया गया है ऐसे आबंटन की तारीख से होगा। ऐसी भूमि के संबंध में भूमिस्वामी समझा जाएगा और उन समस्त अधिकारों तथा दायित्वों के अध्यधीन होगा जो इस संहिता व्दारा या उसके अधीन किसी भूमिस्वामी को प्रदत्त और उस पर अधिरोपित किए गए हैं।ऐसा कोई भी व्यक्ति पट्टे या आबंटन की तारीख से 10 वर्ष की कालावधि के भीतर ऐसी भूमि को अंतरित नहीं करेगा।
होगा फायदा
शासकीय पट्टे पर प्रदत्त भूमि धारकों को भूमिस्वामी अधिकार दिए जाने से भूमि एवं भूमि पर निर्मित परिसंपत्तियों के आधार पर उन्हें बैंकों से ऋण एवं अन्य वित्तीय लाभ प्राप्त हो सकेगा। साथ ही भूमि का निर्वाध खरीदी-बिक्री की जा सकेगी।