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मकसूदां और राजासांसी में हुए बम ब्लास्ट कहीं मूसा के ट्रायल तो नहीं!

जालंधर: मकसूदां और राजासांसी में हुई बम ब्लास्ट की घटनाओं को महज मूसा द्वारा किए गए ट्रायल होने की संभावनाएं लगाई जा रही हैं। सूत्रों से पता चला है कि मूसा छोटी वारदातों को अंजाम देकर पता करना चाहता है कि उस द्वारा ट्रेंड किए हुए आतंकी कितने निपुण हैं।

गौरतलब है कि मकसूदां थाने में आतंकियों ने 4 हैंड ग्रेनेड फैंके थे जोकि लो कैपेसिटी के थे। इसी तरह राजासांसी में आतंकियों द्वारा फैंके गए ग्रेनेड भी ज्यादा कैपेसिटी के नहीं थे। यह दोनों ही बातें इस ओर इशारा करती हैं कि आतंकी चाहते तो बड़ी तबाही मचाने के लिए हाई कैपेसिटी के ग्रेनेड इस्तेमाल कर सकते थे। यह दोनों ही बम ब्लास्ट बड़ी घटना के  ट्रायल हो सकते हैं, मूसा किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में भी हो सकता है।

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स्लीपर सैल चेन को काटे जाने की भी हो सकती कोशिश

एक्सपर्ट्स के अनुसार स्लीपर सैल का काम करने का एक मैथड होता है जिसके लिए एक्सपर्ट ने एक उदाहरण दिया। जिसमें बताया गया कि मान लिया जाए कि ‘ए’ वारदातों को अंजाम देने के मामले में सरगना है, ‘ए’ अपना काम ‘बी’ को सौंपता है और ‘बी’ यही काम ‘सी’ को सौंपता है और इसी लड़ी में ‘सी’ इस काम को अंजाम देने के लिए ‘डी’ को चूज करता है। ‘डी’ काम को अंजाम देता है। ‘डी’ को अगर पुलिस पकडऩे में कामयाब भी हो जाती है तो ‘डी’ का ‘ए’ से कोई लेना-देना नहीं होता। वह सिर्फ ‘सी’ को जानता है, इसलिए ‘ए’ इस सारी चेन को खत्म करने के लिए कहीं भी कट लगा सकता है, जिसके बाद पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकती। जालंधर पुलिस द्वारा मकसूदां ब्लास्ट में काबू आतंकी पुलिस की हिरासत में हैं अब सरगना चेन कट करने के लिए इन्हें कभी भी खत्म कर अपने रास्ते से हटा सकता है। पंजाब में आतंकियों के छिपे होने की सूचना भी इसी चेन को कट करने का एक हिस्सा हो सकती है। ऐसे स्लीपर सैल जो अब तक पुलिस के हत्थे नहीं लगे, वे भी इनकी हिट लिस्ट में हो सकते हैं।

पुलिस का ध्यान भटकाने का तरीका भी हो सकते हैं ब्लास्ट
सूत्रों की मानें तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये दोनों ब्लास्ट पुलिस और एजैंसियों का ध्यान भटकाने के लिए किए गए हों, जबकि आतंकियों का टारगेट कुछ और हो। ध्यान भटकाने में धार्मिक भावनाओं को भड़काना भी साजिश का एक अहम हिस्सा हो सकता है और राजासांसी में ग्रेनेड से हमला भी इस बात का हिस्सा हो सकता है कि धार्मिक भावनाएं भड़का कर माहौल को खराब किया जा सके और पुलिस का ध्यान सिर्फ इसी मसले की ओर केन्द्रित रहे और इसी बीच आतंकी अपने मंसूबों को अंजाम दे सकें।