ब्रेकिंग
बानापुरा में बाबा खाटू श्याम के भजनों पर झूमे श्रद्धालु , हजारों श्याम प्रेमियों को बाबा का श्याम क... हरदा: स्वरोजगार योजनाओं में लक्ष्य अनुसार प्रकरण स्वीकृत कराएं   कलेक्टर श्री सिंह ने बैठक में दिए न... खिरकिया: सर्व सेन समाज के ब्लॉक अध्यक्ष राजेश वर्मा नियुक्त  हरदा: प्रायवेट डॉक्टर्स को जिला प्रशासन हर संभव सहयोग करेगा खेती किसानी: महाविद्यालय में निर्मित जैविक केंचुआ खाद का निरामया ब्रांड नाम से लॉन्च हरदा नगर पालिका: भ्रष्टाचार का अड्डा, ईओडब्ल्यू तक पहुंचा मामला जांच शुरू , सीएमओ की कार्यप्रणाली पर... हरदा: खंडवा नर्मदापुरम जिले के 8 बदमाश रात के अंधेरे में बना रहे थे डकैती की योजना, मुखबिर की सूचना ... हरदा: PWD एसडीओ मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए सरपंच संघ, सचिव संघ और जयश का प्रदर्शन। देखे वीडियो PM Kisan Yojana Applying Process: पीएम किसान योजना में नए आवेदन हुए शुरू, ऐसे करे फार्म जमा मिलेंगे ... प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना: युवाओं के लिए टॉप कंपनियों में नौकरी करने का मौका यहां जाने जरूरी पात्...

मध्यप्रदेश का फौजी गॉव,जहाँ हर दूसरे घर एक फौजी । यहां बच्चे सिर्फ फ़ौज में जाने की ही बात करते है।

डैनी उतपुरे मकड़ाई समाचार ब्युरो बैतूल / मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक गांव ऐसा है, जिसे देश के लिये कुर्वान होने वाला गांव यानी फौजियों का गांव कहा जाता है। आमला तहसील के 600 घरों वाले इस छोटे से गांव अंधारिया के 300 रहवासी फौज में रहकर देश की सेवा का गौरव प्राप्त किये हुए हैं। खास बात ये है कि, इनमें सिर्फ युवा ही नहीं बल्कि गांव की युवतियों में भी देश सेवा ऐसी कूट कूट कर भरी है कि, यहां की एक दर्जन से अधिक लड़कियां BSF और CRPF में रहकर देश की सेवा में जुटी हैं। आमतौर पर छोटे बच्चे बड़े होकर डॉक्टर, इंजीनियर,  बनने की बात कहते हैं, लेकिन इस गांव का बच्चा-बच्चा सिर्फ बड़े होकर फौज में जाने की बात करता है। इसका बड़ा कारण ये है कि, यहां माता-पिता अपने बच्चों को देश सेवा करने का जज्बा पैदा करते रहत है।

गांव के 600 घरों में 300 से अधिक फौजी

बता दें कि, बेतूल जिले के इस छोटे से गांव में करीब 600 घर हैं। खास बात ये है कि, यहां 300 से अधिक लड़ेक-लड़कियां जल, थल और वायु सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।यानी गांव का हर दूसरे घर में रहने वाला युवा देश सेवा के लिए फौज में भर्ती है। इसका बड़ा कारण है इस गांव की मांएं। इस गांव की मांए ही बचपन से अपने बच्चे को देश सेवा के लिये फौज में भर्ती होने के लिये प्रेरित करती रहती हैं।
इस योगदान की वजह है मां
गांव के रहने वाली रेवती हारोड़े वो महिला हैं, जिन्होंने अपने बेटे को सबसे पहले सेना में भेजा था। इसके बाद उन्ही ने ही बेटी को भी फौज में शामिल होने की प्रेरणा दी। उनकी बेटी भी फौज में भर्ती होकर देश सेवा कर रही हैं। इसके अलावा, गांव के अन्य बुजुर्ग बाबूलाल सावनेरे का एक बेटा सेना से रिटायर हो चुका है, जबकि दूसरा बेटा अभी सेना में रहकर देश की सेवा कर रहा है। इस समय वो पश्चिम बंगाल में तैनात है। बाबूलाल सावनेरे अपने आप को देश का खुशनसीब पिता बताते हुए गर्व से कहते हैं कि, ये मेरा सौभाग्य है कि, मैं अपने दोनों बेटों को देश सेवा के लिये सेना में भेज सका। उनका कहना है कि, अगर उनके और भी कई बच्चे होते, फिर भले ही वो लड़का होता या लड़की उसे भी देश सेवा का महत्व समझाते हुए भारतीय सेना में भेजने को तैयार रहते।

- Install Android App -

ब्रिटिश आर्मी में भी दे चुके हैं सेवा

इस गांव की सेना में भर्ती होने की परंपरा अभी अभी की नहीं बल्कि, दशकों पुरानी है। द्वितीय विश्व युद्ध में गांव के स्व. श्रवणलाल पटेल ने ब्रिटिश आर्मी में रहते हुए बर्मा तक दुश्मनों की अपनी ताकत के जौहर दिखाते हुए सफलता के झंडे गाड़े थे, जिनके घायल होने के और बहादुरी के किस्से गांव के लिये प्रेरणा का सबब हैं। गांव के एक रहवासी वीरेंद्र सूर्यवंशी द्वारा मीडिया को बताया गया कि, एक बार मैंने सुना था कि हमारे दादा की गाड़ी बर्मा में 60-70 फीट की खाई में गिर गई थी। उस जमाने में फोन नहीं होने के कारण हमने गांव में हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार उनका अंतिम संस्कार कर दिया था, लेकिन कुछ समय बाद वो वापस लौट आए। उन्हीं की वीरता के किस्से सुनकर नई पीड़ी में देश सेवा की प्रेरणा जागृत होती है।

सेना में हर रैंक पर तैनात हैं यहां के युवा

गांव के एक अन्य युवक सुरेन्द्र ने कहा कि, इस गांव में रहने वाले युवा सेना की हर रैंक पर अपनी सेवाए दे रहे हैं। लड़के सिपाही, लांस नायक से लेकर कर्नल, ब्रिगेडियर तक हैं। हर सैनिक भर्ती में इस गांव के एक-दो लड़कों का चयन फौज में होना आम बात है। कई बार तो 5-6 लड़के भी एक साथ भर्ती में पास हो चुके हैं। गांव के कुछ परिवार तो ऐसे हैं, जो पूरा का पूरा परिवार ही भारतीय सेना में हैं।