ब्रेकिंग
खेती किसानी हरदा: मूंग उपार्जन के लिए 60 केन्द्रों पर 5 जुलाई तक करा सकते हैं पंजीयन अगले 4 दिन में पूरे मध्य प्रदेश पर होगा मानसून! अधिकांश जिलों में तेज बारिश का येलो अलर्ट जारी दुल्हन के बेडरूम से हुई आहट से दूल्हे की नींद टूटी ! तलाशी में सन्दूक मे मिला प्रेमी उसके मुंह पर का... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 18 जून 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे खिरकिया: गोलमाल है भाई सबकुछ गोलमाल ! बबन राव नामक व्यक्ति की नियुक्ति बनी दो विभागों के लिए पहेली, ... अजब गजब - नवविवाहिता पत्नि मायके से प्रेमी संग भागी, पति बोला मै खुशकिस्मत हूं मरने से बच गया हरदा: राम जानकी मंदिर रनआई कला में मंदिर समिति की 30 एकड़ जमीन की सार्वजनिक नीलामी हो, तीन साल से भग... हरदा शहर में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें, पार्क सौन्दर्यीकरण के कार्य कराएं:  ग्रामीण पहुँच मार्गों ... हरदा: कलेक्टर श्री जैन ने जनसुनवाई में सुनी नागरिकों की समस्याएं, जमीन से जुड़े मामले ज्यादा आए Harda news: कर्मचारियों के सभी भुगतान, क्रमोन्नति, पदोन्नति समय पर सुनिश्चित हों- कलेक्टर श्री जैन

मां चंद्रघंटा की महिमा जानिए कैसा है मां का रूप

नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

चंद्रघण्टा नाम का नाम का अर्थ, चंद्र मतलब चंद्रमा और घण्टा मतलब घण्टा के समान। उनके माथे पर चमकते हुए चंद्रमा के कारण ही उनका नाम चंद्रघण्टा पड़ा। इन्हें चंद्रखंडा नाम से भी जाना जाता है। देवी का यह स्वरूप भक्तों को साहस और वीरता का अहसास कराता है और उनके दुःखों को दूर करता है। देवी चंद्रघण्टा माता पार्वती की ही रौद्र रूप हैं, लेकिन उनका यह रूप तभी दिखता है जब वे क्रोधित होती हैं, अन्यथा वे बहुत ही शांत स्वभाव की हैं।

माता चंद्रघण्टा का स्वरूप
माँ चंद्रघण्टा शेरनी की सवारी करती हैं और उनका शरीर सोने के समान चमकता है। उनकी 10 भुजाएँ हैं। उनके बाएँ चार भुजाओं में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमण्डलु विभूषित हैं, वहीं पाँचवा हाथ वर मुद्रा में है। माता की चार अन्य भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला हैं और पाँचवा हाथ अभय मुद्रा में है। माता का अस्त्र-शस्त्र से विभूषित यह रूप युद्ध के समय देखने को मिलता है।

- Install Android App -

पौराणिक मान्यताएँ
जब भगवान शिव ने देवी से कहा कि वे किसी से शादी नहीं करेंगे, तब देवी को यह बात बहुत ही बुरा लगा। देवी की यह हालत ने भगवान को भावनात्मक रूप से बहुत ही चोट पहुँचाया। इसके बाद भगवान अपनी बारात लेकर राजा हिमावन के यहाँ पहुँचे। उनकी बारात में सभी प्रकार के जीव-जंतु, शिवगण, भगवान, अघोरी, भूत आदि शामिल हुए थे।
इस भयंकर बारात को देखकर देवी पार्वती की माँ मीना देवी डर के मारे बेहोश हो गईँ। इसके बाद देवी ने परिवार वालों को शांत किया, समझाया-बुझाया और उसके बाद भगवान शिव के सामने चंद्रघण्टा रूप में पहुँचीं। उसके बाद उन्होंने शिव को प्यार से समझाया और दुल्हे के रूप में आने की विनती की। शिव देवी की बातों को मान गए और अपने आप को क़ीमती रत्नों से सुसज्जित किया।

ज्योतिषीय विश्लेषण
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

मंत्र
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ज्योतिष सेवा केन्द्र
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री
09594318403/09820819501
email.panditatulshastri@gmail.com
www.Jyotishsevakendr.in.net