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मानसून की पहली बारिश ने खोली घटिया निर्माण कार्यों की पोल, ग्राम पंचायत झाड़पा में 7 लाख की लागत से बनी आरसीसी नाली ढही, 2 महीने पहले ग्राम पंचायत ने कराया था निर्माण !

मकड़ाई समाचार हरदा/झाड़पा। ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार चरम पर है। चाहे फिर बो सीसी सड़कों हो, नाली का निर्माणहो, ग्रेवल मार्ग, भवन निर्माण पुलिया निर्माण सहित सभी प्रकार के निर्माण कार्यो में भी भारी मनमानी की जा रही है। स्वीकृति के विपरीत निर्माण कार्य करके शासकीय राशि का बंदरबांट किया जा रहा है। जिम्मेदारों द्वारा जहां नियमों के विपरीत दबंगतापूर्वक निर्माण कार्य कराया जा रहा है। वहीं ग्रामीणों के आवागमन के लिए बनाई जा रही पुलिया में भी भारी गफलत की जानकारी सामने आई है। हरदा जनपद की मगरधा क्लस्टर की ग्राम पंचायतों में नियमों को ताक पर रख कर घटिया निर्माण कराया जा रहा है। यह निर्माण कार्य बाकायदा इंजीनियर की संरक्षण में हो रहे हैं। मगरधा क्लस्टर के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में यदि जांच की जाए तो शायद ही ऐसे कोई निर्माण कार्य होंगे जो नियम से किए गए है। ताजा मामला ग्राम पंचायत झाड़पा का है जहा 2 माह पूर्व 7 लाख रुपय की लागत से झाड़पा रैसलपुर मार्ग से भोलेनाथ के मंदिर तक आर.सी.सी नाली का निर्माण कराया गया। परन्तु नाली निर्माण में घटिया सामग्री का स्तेमाल किया गया। जिसके खामियाजा मानसून की पहली बारिश में ही देखने को मिल गया। ग्रामीण द्वारा बताया गया कि रविवार शाम को मानसून की पहली बारिश हुई और जैसे ही गाँव का पानी नाली में आया ओर नाली की दीवार गिर गई। इससे अंदेशा लगाया जा सकता है कि ग्राम पंचायत झाड़पा में भ्रस्टाचारी किस चरम पे पहुँच गई है। झाड़पा निवासी अरुण सोलंकी द्वारा बताया गया कि नाली निर्माण में घटिया क़िस्म की सामग्री का स्तेमाल किया गया जिसके चलते नाली पहली बारिश भी झेल नही पाई। वही झाड़पा निवासी अभिषेक इंगले द्वारा बताया गया कि 4 माह पहले पंचायत द्वारा 4.57लाख की लागत से ग्राम में पुलिया का निर्माण कार्य करवाया गया था। जो कि बनने के बाद चार माह में चार बार रिपेयर किया जा चुका है और अभी तक साइड सोल्डर भी नही भरे गए है। पुलिया निर्माण में हल्की क्वालिटी की सीमेंट का स्तेमाल किया गया है और बिना क्यूब टेस्ट के ही निर्माण कार्य किये जा रहे हैं साथ ही मटेरियल में भी काली रेती का स्तेमाल कर रहे है। यह निर्माण कार्य इंजीनियर की देखरेख में किया जा रहा है। पुलिया निर्माण में जो मटेरियल इस्तेमाल किया जा रहा है वह सिर्फ खानापूर्ति है। पुलिया में सीमेंट की मात्रा न के बराबर डाली जा रही हैं। आश्चर्य की बात तो यह है, कि पंचायत द्वारा नदी की मिट्टी मिली रेत मटेरियल में डाली जा रही है। अधिकारियों द्वारा भी किसी प्रकार की आपत्ति नहीं लगाई जा रही है। क्लस्टर की अधिकतर पंचायतों में इसी प्रकार का माल डाला गया है। जिसमें किसी भी अधिकारी का कोई ध्यान नहीं दिया जाता, जिससे पंचायत के हौसले बुलंद हैं।

प्रतिबंध के बाद भी मिट्टी मिली रेत से हो रहा निर्माण कार्य

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा नदी से निकलने बाली काली रेत(बजरी) का उपयोग निर्माण कार्य मे करने पर विभाग द्वारा पूर्ण तह प्रतिबंध लगाया गया था क्यो की नदी की काली रेत(बजरी) में मिट्टी मिली हुई आती है जो सीमेंट में सही ढंग से पकड़ नही करती और निर्माण कार्य मे समय से पहले ही दरार आ जारी है तकनीकी स्वीकृति में भी विभाग नर्मदा की बालू रेत का स्टीमेट बनाता है परंतु सरपंच सचिव इंजीनियर से साठ गांठ करके धड़ल्ले से मिट्टी मिली काली रेत का उपयोग कर रहे है।

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निगरानी समिति ने भी नहीं दिया ध्यान

निर्माण कार्य के लिए जनपद पंचायत द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत में निगरानी समिति बनाई गई है। जिसमें अध्यक्ष, सचिव और तीन सदस्य सहित पांच लोग शामिल होते हैं। इन सभी लोगों की देखरेख में निर्माण कार्य किया जाता हैं। जिसमें उपयंत्री, एसडीओ द्वारा भी समय समय पर निरीक्षण किया जाता है, लेकिन आधा दर्जन पंचायतों में हुए निर्माण कार्य के दौरान एसडीओ ने कोई निरीक्षण नहीं किया।

इनका कहना है।
में अभी दो तीन महीने पहले ही इस ग्राम पंचायत में आया हु मेरे पास वित्तीय प्रभार भी नही है।
राधेश्याम इवने सचिव ग्राम पंचायत झाड़पा