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वरिष्ठ साहित्यकारों , इष्ट मित्रों के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ स्मरण- समारोह !

साकल्ले जी के साहित्यकर्म को सहेजने का मिला सुझाव !

हरदा के वरिष्ठ साहित्यकार, व्यंग्यकार, इतिहासकार, बैंककर्मी लोकप्रिय मंच संचालक, अधिवक्ता श्याम साकल्ले जी का आज 75 वां जन्म वर्ष मनाया गया। आयोजन के प्रमुख वक्ता रहे वरिष्ठ साहित्यकार अजातशत्रु, वरिष्ठ साहित्यकार शरद पगारे, वरिष्ठ लेखक नर्मदा प्रसाद उपाध्याय और वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार विनोद निगम। श्याम साकल्ले विचार मंच के इस आयोजन में सभी वक्ताओं ने श्याम भैया को दिल से याद किया। शरद पगारे जी ने अपने संबोधन में कहा कि श्याम साकल्ले अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे और उनकी जिह्वा पर सरस्वती का वास था। मंच पर वो धाराप्रवाह बोलते थे और जिस विषय पर वो बोलते थे उसकी पूरी तैयारी करते थे। शरद पगारे जी ने कहा कि मैं इस लड़के से बेहद प्रभावित रहा। वहीं नर्मदा प्रसाद उपाध्याय जी ने परिवार के साथ जुड़ाव को याद किया और कहा कि साधारण सा दिखने वाला ये व्यक्ति असाधारण था। उन्होंने कहा कि श्याम साकल्ले सर्वगुण संपन्न थे अपने वरिष्ठों का सम्मान करते थे। उनका भाषा ज्ञान जबरदस्त था, भाषा पर मजबूत पकड़ थी। विनोद निगम ने भी उनके साथ जुड़ी यादें ताजा की और कहा वो उन्हें बचपन से जानते थे। उन्होंने आयोजन में श्याम साकल्ले की प्रिय कविताओं का पाठ भी किया। उन्होंने कहा कि श्याम जैसे लोग धरती पर विरले ही होते हैं। श्याम का जुड़ाव हर व्यक्ति से दिल से था।  होशंगाबाद से शिव अनुज बिल्लौरे ने खासतौर पर कहा कि श्याम भैया के साहित्य को सहेजने की जिम्मेदारी हरदा के लोगों को उठानी चाहिए।

सभी वक्ताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि श्याम भैया के साहित्य कर्म को सहेजा जाए। इसके अलावा कार्यक्रम में श्याम साकल्ले के करीबी दोस्तों ने भी उनके साथ की यादें ताजा कीं।  जिनमें मुख्य रुप से प्रफुल्ल निलोसे, बड़ौदा से ओ पी अत्रे, नीलिमा रंजन सभी ने उनके साथ बिताए पलों को रखा।

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कार्यक्रम के सूत्रधार कैलाश मण्डलेकर ने संचालन के दौरान कहा कि खंडवा में आयोजित एक कार्यक्रम में वे पहली बार श्याम भैया को सुनकर हतप्रभ रह गए थे। उस कार्यक्रम में मौजूद सभी श्रोता श्याम भैया के बारे में जानने को उत्सुक थे। उन्होंने कहा कि श्याम भैया को वाणी और स्मृति वरदान में  मिले थे । आज कार्यक्रम में उनकी कमी बहुत खल रही है।

ज़ूम एप्प आधारित इस ऑनलाइन कार्यक्रम में तकनीकी समस्या के चलते साहित्यकार अजातशत्रु और डॉ धर्मेंद्र पारे अपनी बात नहीं रख पाए ।

इधर , श्याम भैया के दोस्तों में जबलपुर से इम्तियाज हुसैन और दुबई से डॉ आनंद झवर ने भी दोस्ती के दिनों को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस ऑनलाइन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में इष्ट मित्र शामिल हुए । कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार एवं  लेखक कैलाश मंडलेकर  ने किया।