हरदा में आज के दिन को यदि ताल ठोंक कर ललकारने वाले केदार सिरोही के नाम दर्ज कर दिया जाए तो अतिशयोक्ति न होगी। सबके साथ सबके हक़ में जन-जन का आक्रोश साथ मे लेकर विरोध स्वरूप काला कपड़ा आशीर्वाद यात्रा को दिखाना मज़ाक न था। ये क्षेत्र की समस्याओं का आईना आशीर्वाद यात्रा के समक्ष रखना था। भले ही विरोधकर्ता संख्याबल में कम थे पर आईना तो दिखाने में सफल हुए। अपने मुद्दों को उठाने को लेकर जागरूक रहने वाले मुट्ठीभर सैनिकों द्वारा मुट्ठी बांध के किया प्रदर्शन दर्ज हुआ । धुरंधर भाजपाईयों के सत्ताबल के समक्ष इस प्रदर्शन के अपने मायने हैं। सत्ता के ऐरावत पर विरोध का अंकुश रखना आसान नहीं।
प्रदर्शन के दौरान भावनाओं के ज्वार भाटे पर काबू रखना पार्टियों के लिए बड़े तप का काम है। नेता कार्यकर्ताओं को धैर्य के साथ प्रदर्शन/सामना करना चाहिए।
बहरहाल, इन मुट्ठीभर कांग्रेसियों ने कांग्रेस की मुट्ठी को बांधे रखने में सफलता हासिल की। जनहित में जेल तक पहुंचकर पार्टी का मार्ग प्रशस्त किया।
जन आशीर्वाद यात्रा की सफलता पार्टी के आकलन के लिहाज से बेहद सफल रही। अब 19 को होने वाली कांग्रेस की जनाक्रोश रैली के बाद जानकार इन यात्राओं की सफलता की विस्तृत समीक्षा करेंगे।
इस यात्रा ने केदार के रूप में एक ऐसा नायक पार्टी को दिया है जो रणनीति बनाने के साथ जटिल विषयों पर तथ्यपरक चर्चा करने के साथ ही संभाषण की सलाहियत भी दिखा सकता है। अब कांग्रेस पार्टी से किसी को भी टिकिट मिले, कोई जीते परन्तु केदार का प्रदर्शन किसी मंझे हुए कलाकार की याद दिला गया। ये प्रदर्शन लंबे समय तक यादगार बना रहेगा।
चलते चलते
– एवरेस्ट शिखर पर पहुंचने के लिए एव्हर रेस्ट नहीं सतत यात्रा जरूरी होती है। बड़े बड़े लोगों में आपकी बैठक से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है वंचित तबके के लोगों के बीच आपकी गहरी पैठ !
केदार सिरोही अपने नाम की मर्यादा के अनुरूप रहकर तथा अपने पांव जमीन पर ही रखकर जन संघर्ष की अनवरत गाथा लिखें …यही कामना